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नक्सलियों के गढ़ में खुलेआम वर्दी में जाता है ये पुलिसवाला, नहीं कोई डर

बच्चों के बीच शिक्षा की मशाल जला कर सबके दिल का चहेता बन चुका यह पुलिसवाला ड्यूटी से समय निकाल वर्दी में ही बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल पहुंच जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 12 Jun 2018 10:04 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2018 12:46 PM (IST)
नक्सलियों के गढ़ में खुलेआम वर्दी में जाता है ये पुलिसवाला, नहीं कोई डर
नक्सलियों के गढ़ में खुलेआम वर्दी में जाता है ये पुलिसवाला, नहीं कोई डर

जमशेदपुर [वेंकटेश्वर राव]। नक्सल क्षेत्रों में पुलिस की वर्दी से खौफ खानेवाले लोग इन दिनों एक एएसआइ पर फिदा हैं। बच्चों के बीच शिक्षा की मशाल जला कर सबके दिल का चहेता बन चुका यह पुलिसवाला ड्यूटी से समय निकाल वर्दी में ही बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल पहुंच जाता है। तर्क है- बच्चे पढ़ेंगे तो खुद नक्सलवाद खत्म हो जाएगा। इस एएसआइ का नाम है- प्रमोद पासवान।

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वर्दीवाले गुरुजी कहकर पुकारते है
पूर्वी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित गुडाबांदा क्षेत्र के बीहड़ व पहाड़ी इलाके में प्रमोद किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। ग्रामीण इलाके के लोग उन्हें वर्दीवाले गुरुजी कहकर पुकारते हैं। बच्चे उन्हें देख कर बेहद उत्साहित नजर आते हैं, क्योंकि स्कूल में प्रमोद के पढ़ाने का अंदाज अन्य शिक्षकों से जुदा है। बच्चों के अनुसार, वे गणित के फार्मूले इस तरह समझाते हैं कि बच्चों को याद रखने और गणित बनाने में आसानी होती है।

वर्दीवाले ने जीता सबका दिल
ग्रामीण महेश नायक कहते हैं कि अमूनन इस क्षेत्र के लोग पुलिस को 'गुंडा' मानते रहे हैं, लेकिन इस वर्दीवाले ने सबका दिल जीत लिया है। पुलिसवालों के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। अच्छा लगता है कि एक पढ़ा लिखा पुलिस अफसर उनके बच्चों को पढ़ा रहा है। प्रमोद पासवान गुड़ाबांदा थाने में पदस्थ हैं। एएसआइ हैं। यह इलाका नक्सलियों का गढ़ रहा है।

संवाद और समुचित विकास
प्रमोद कहते हैं कि संवाद और समुचित विकास के जरिए ही क्षेत्र में नक्सलवाद खत्म हो सकता है। पुलिस को ग्रामीणों का दिल जीतना जरूरी है। इसके बाद ही सार्थक संवाद की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। प्रमोद पासवान के अनुसार, अपनी ड्यूटी निभाते हुए उन्हें जब कभी भी वक्त मिलता है, किसी न किसी स्कूल में जाकर पढ़ाना शुरू कर देते हैं।

यही नहीं ड्यूटी के दौरान भी यदि किसी स्कूल के पास से गुजरते है तो एकबार स्कूल जाकर बच्चों को कोई ना कोई ट्रिक देना नहीं भूलते हैं। प्रमोद कहते हैं कि गुड़ाबांदा प्रखंड के इन बच्चों को उनके परिजन गरीबी के कारण उच्च शिक्षा नहीं दिला सकते हैं। बच्चों को ट्यूशन भी नहीं पढ़ा पाते हैं। स्कूल में जो कुछ पढ़ाया व सिखाया गया, बस उसी पर बच्चे निर्भर रहते हैं।

नक्सलियों का गढ़ रहा है गुड़ाबांधा
पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल का एक प्रखंड है- गुड़ाबांधा। लंबे समय से यह नक्सलियों का गढ़ रहा है। यहां आए दिन हत्याएं और मुठभेड़ की घटनाएं होती रहती हैं। इलाका इस कदर पिछड़ा है कि यहां किसी तरह की बुनियादी सुविधाएं लोगों को नसीब नहीं है। वैसे इस इलाके में कुछ वर्षों से नक्सली गतिविधियां ठप हैं। बावजूद नक्सलियों की सक्रियता कम नहीं हुई है। पुलिस प्रशासन की पहल से इलाके के कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी कर दिया है। पास के ही एक गांव को एसएसपी ने गोद भी ले रखा है।

मुसाबनी के एसडीपीओ विमल का कहना है कि
एएसआइ प्रमोद पासवान का यह कार्य उनके सामाजिक उत्तरदायित्व को दर्शाता है। इससे लोगों में अच्छा मैसेज जा रहा है। वे अपने कार्य के साथ-साथ इस उत्तरदायित्व को भी निभा रहे हैं। पूरा विभाग उन पर गर्व करता है।

-अजीत कुमार विमल, एसडीपीओ, मुसाबनी। 

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