इसी साल पूरा होगा शहरों में भूमि सुधार का पायलट प्रोजेक्ट, केंद्र ने राज्यों को दिया दिसंबर तक का समय
केंद्र सरकार शहरी सुधारों को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत 159 जिलों में भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण पूरा करने की योजना बना रही है। राज्यों को इस कार्य को तीन चरणों में पूरा करने के लिए कहा गया है जिसमें एरियल और ग्राउंड सर्वे शामिल हैं। इस पहल से संपत्ति स्वामित्व में पारदर्शिता आएगी और शहरी नियोजन को बढ़ावा मिलेगा।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। शहरी सुधार को गति देने के लिए केंद्र सरकार इस साल पायलट प्रोजेक्ट वाले 159 जिलों अथवा स्थानीय निकायों में जमीन के रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का काम पूरा करना चाहती है। राज्यों को इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक तीन चरणों में इस काम को पूरा करने के लिए कहा गया है।
ये तीन चरण भूमि का एरियल, ग्राउंड सर्वे तथा आपत्तियों के निस्तारण के बाद रिकार्ड का डिजिटल प्रकाशन सुनिश्चित करना है। इस पहल से संपत्तियों के स्वामित्व में पारदर्शिता के साथ-साथ शहरी नियोजन में भी सुविधा होगी।
केंद्रीय समितियों ने भीकिया समर्थन
शहरी सुधार से संबंधित दो केंद्रीय समितियों ने भी इसकी अनिवार्यता पर जोर दिया था और स्थानीय निकायों को आज की जरूरतों के अनुरूप तैयार करने के लिए इस काम को प्राथमिकता के आधार पर करने का सुझाव दिया था। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र, तेलंगाना और राजस्थान के सबसे अधिक 10-10 शहर और स्थानीय निकाय शामिल हैं।
राज्यों को खुद करना है चयन
बिहार और पंजाब के छह-छह, छत्तीसगढ़ के तीन और उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर के चार-चार शहरों को इसमें लिया गया है। इनका चयन राज्यों को खुद करना है। पायलट प्रोजेक्ट के बाद केंद्र सरकार ने 1000 शहरी स्थानीय निकायों को इसके दायरे में लेने का निर्णय किया है। ज्यादातर राज्यों में शहरों में भूमि रिकार्ड रखने का तरीका पुराना पड़ चुका है और इसके चलते भ्रष्टाचार, कर चोरी, विवाद, ढांचागत विकास में अवरोध जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
शहरों में जमीन और संपत्तियों के सर्वे के साथ उन्हें डिजिटल रूप देने के अभियान में केंद्र सरकार ने राज्यों को यह मौका दिया है कि वे कम से कम पहले दो चरण यानी एरियल और ग्राउंड सर्वे का काम इसी साल अवश्य पूरा कर लें। राज्यों को सहायता संबंधी अपनी गाइडलाइन में वित्त मंत्रालय ने पायलट प्रोजेक्ट वाले जिलों के शहरी लैंड रिकार्ड 31 दिसंबर तक भूमि संसाधन मंत्रालय को भेजने के लिए कहा है।
केवल तीन राज्यों ने किया अच्छा काम
भूमि संसाधन मंत्रालय 31 जनवरी तक उनके दावों का सत्यापन करेगा। शहरी कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार शहरों में लैंड रिकार्ड के डिजिटल प्रबंधन के मामले में केवल तीन राज्यों-गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने कुछ संतोषजनक कार्य किया है। अधिकांश शहरों में भवन और भूखंड की रजिस्ट्री की प्रक्रिया तो कंप्यूटरीकृत हो गई है, लेकिन म्युटेशन (राजस्व रिकार्ड में स्वामित्व को अपडेट करना) जैसे कार्य तमाम जटिलताओं से घिरे हैं।
केंद्र सरकार अगले दो से तीन साल में अर्बन लैंड रिकार्ड की तस्वीर बदलना चाहती है। गांवों में इसी से जुड़ी स्वामित्व स्कीम ने उल्लेखनीय असर डाला है, लेकिन गांवों के मुकाबले शहरों में इस तरह का सुधार करना खासा कठिन है, क्योंकि यहां संपत्तियों की खरीद-बिक्री का पैमाना काफी बड़ा होता है।

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