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जिस चंबल में बात-बात पर बहता है खून, वहां की बेटियों को चढ़ा रक्तदान का 'जुनून'

चंबल की इस खूंखार छवि को बदलने के लिए यहां की बेटियां खून देकर जान बचाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। रक्तदान के लिए यहां वॉट्सएप ग्रुप बने हैं जिनसे करीब 50 बेटियां जुड़ी हैं। ये सभी ब्लूड डोनेच करके नाम बदल रही हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 06:07 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 06:07 PM (IST)
जिस चंबल में बात-बात पर बहता है खून, वहां की बेटियों को चढ़ा रक्तदान का 'जुनून'
चंबल की खूंखार छवि को बदलने के लिए यहां की बेटियां खून दान कर रही हैं। (फाइल फोटो)

अब्बास अहमद। भिंड (नईदुनिया)। रसोई में काम कर रहीं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्वेता सक्सेना के वॉट्सएप पर नोटिफिकेशन की घंटी बजी। खोलकर देखा, संजीवनी ग्रुप पर मैसेज था कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को बी-निगेटिव ब्लड की आवश्यकता है। संयोग से डॉ. सक्सेना का ब्लड ग्रुप यही है।

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उन्होंने रसोई का काम छोड़ा और रक्तदान करने सीधे जिला अस्पताल पहुंच गई। यह वाकया किसी बड़े शहर या महानगर का नहीं बल्कि चंबल क्षेत्र के उस भिंड का है, जहां लोग छोटी-सी बात पर गोलियां चलाकर एक-दूसरे का खून बहाने से नहीं चूकते। चंबल की इस खूंखार छवि को बदलने के लिए यहां की बेटियां खून देकर जान बचाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। रक्तदान के लिए यहां वॉट्सएप ग्रुप बने हैं, जिनसे करीब 50 बेटियां जुड़ी हैं।

दैनिक जागरण का सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया ऐसी ही कुछ बेटियों से रूबरू करा रहा है, जो दूसरों की जान बचाने के लिए अपने घर से किसी रक्तयोद्घा की तरह निकलती हैं। जो बच्चों को सिखाया, उसे जी रही हैं डॉ. सक्सेना दिलीप सिंह कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्वेता सक्सेना अब तक छह बार रक्तदान कर चुकी हैं। दो बच्चों की मां प्रोफेसर सक्सेना कहती हैं, हम बच्चों को यही शिक्षा देते हैं कि हमेशा दूसरों की मदद करो। 

ऐसे में जब रक्तदान करती हूं तो लगता है कि बच्चों को दे रहे ज्ञान को जी पा रही हूं। हर जन्मदिन पर रक्तदान करती हैं वर्षा फूफ कस्बे में रहने वाली वर्षा जैन बीकॉम, डीएड कर चुकी हैं। इनमें रक्तदान को लेकर जुनून है। एक बार रक्तदान ग्रुप पर जरूरतमंद की सूचना डाली गई। उन्होंने फूफ से आने-जाने में 24 किमी का सफर तय किया और रक्तदान करने पहुंचीं। वर्षा अपने हर जन्मदिन पर रक्तदान करती हैं।

जरूरतमंद के लिए तुरंत पहुंचती हैं नाहिदा जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स नाहिदा शेख अब तक छह बार रक्तदान कर चुकी हैं। ऐसे मौके भी आए, जब अस्पताल में मरीज को खून की जरूरत हुई और नाहिदा को पता चला कि उसके परिवार में कोई रक्त देने वाला नहीं है तो उन्होंने खुद आगे आकर रक्तदान किया।

संजीवनी और नवजीवन से दे रहे नया जीवन युवा व्यवसायी बबलू सिंधी 'संजीवनी' और समाजसेवी नीतेश जैन 'नवजीवन' नाम से रक्तदान के लिए वॉट्सएप ग्रुप चलाते हैं। इनसे पुरषों के साथ भिंड क्षेत्र की कई बेटियां व कामकाजी महिलाएं भी जुड़ी हैं। जिला अस्पताल में जब भी किसी गंभीर मरीज को रक्त की आवश्यकता होती है तो इन समूहों पर सूचना दी जाती है और रक्त का प्रबंध हो जाता है। बबलू सिंधी कहते हैं कि रक्तदान को लेकर बेटियों में कोई झिझक नहीं है। वे खुद फोन कर सूचित करती हैं।

डॉक्टर का बयान

महिलाओं में मासिक धर्म के चलते पहले से ही रक्त कम होता है। ऐसे में 40 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं का रक्तदान करना ज्यादा सुरक्षित है। फिर भी बेटियां रक्तदान कर रही हैं तो यह महत्वपूर्ण बात है। उन्हें अपना खान-पान ठीक रखना होगा। रक्तदान के समय वे स्वयं यह जरूर चेक करवाएं कि उन्हें रक्तअल्पता की शिकायत तो नहीं है। (डॉ. रश्मि गुप्ता, महिला रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल, भिंड)


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