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जो 4 साल में न हुआ ग्रामीणों ने तीन माह में कर दिखाया, पेश की प्रेरक मिसाल

ग्रामीणों की जागरूकता और तत्परता का ही परिणाम रहा कि ग्राम पंचायत अपने दायित्व को लेकर सक्रिय होने पर बाध्य हुई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 10:21 AM (IST)
जो 4 साल में न हुआ ग्रामीणों ने तीन माह में कर दिखाया, पेश की प्रेरक मिसाल
जो 4 साल में न हुआ ग्रामीणों ने तीन माह में कर दिखाया, पेश की प्रेरक मिसाल

शैलेंद्र लड्ढा, सुसारी (धार)। पंचायत जो काम चार साल में नहीं कर पाई था, ग्रामीणों ने सिर्फ तीन महीने में कर दिखाया। पिछले कई सालों से बिगड़ी नल-जल और सड़क-बत्ती जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं को खुद ही समिति बना बखूबी संचालित कर रहे हैं। पहले जहां आठ दिन में पानी मिलता था, अब दो दिन में पानी मिलने लगा है और गांव के सभी रास्ते रात भर रोशन रहने लगे हैं। ग्रामीणों की जागरूकता और तत्परता का ही परिणाम रहा कि ग्राम पंचायत अपने दायित्व को लेकर सक्रिय होने पर बाध्य हुई।

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पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम स्वराज की परिकल्पना का यह बेहतर उदाहरण मध्य प्रदेश के धार जिले की सबसे अधिक आबादी वाली सुसारी ग्राम पंचायत में सामने आया है। सुसारी की आबादी करीब 11 हजार है। पिछले कुछ वर्षों से यहां के निवासियों को पेयजल, सड़क और बत्ती (विद्युत) को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पांच माह पूर्व ग्रामीणों ने 40 सदस्यीय नल-जल समिति का गठन किया और जल वितरण व्यवस्था का संचालन उसे सौंप दिया। समिति ने जल वितरण की सुचारू व्यवस्था के लिए पांच कर्मचारी तैनात कर दिए। उन्हें वेतन भी दिया जा रहा है, जिसके भुगतान के लिए समिति प्रति नल कनेक्शन 100 रुपए प्रतिमाह शुल्क ले रही है।

समिति ने गांववालों को हेल्पलाइन नंबर भी दिया है। जल वितरण में कोई समस्या होने पर वे इस पर कॉल कर समस्या का निराकरण करवा सकते हैं। इसका असर यह हुआ कि पूर्व में जहां छह से आठ दिन में पानी मिलता था, अब दो दिन में पानी मिलने लगा है। पारदर्शिता की कमी के चलते नल-जल योजना के संचालन में ग्राम पंचायत को दिक्कतें आ रही थी।

इसी तरह दो साल से बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट व्यवस्था भी अब दुरुस्त हो गई है। गांव के सभी विद्युत खंभों पर नंबर डाले गए हैं। यदि कहीं बत्ती बंद होती है, पोल नंबर के अनुसार, हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई जाती है। नियुक्त कर्मचारी तत्काल इसे सुधारते हैं। गांव में 200 खंभो पर एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, गांव के तिराहों पर एलईडी हाईमास्ट लगाए गए हैं। बिजली व्यवस्था का रखरखाव भी नल-जल योजना से मिलने वाली कर राशि से किया जा रहा है। अब पंचायत भी इसमें सहयोग कर रही है। ग्राम से लगे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुत बस्तियों के मार्गों और डही मार्ग को भी दुरुस्त कर बत्ती लगाने का काम किया जा रहा है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रवींद्र चौधरी सुसारी गांव में विकास और वहां के बाशिंदों के जज्बे के दीवाने हैं। चौधरी ग्रामीणों के प्रयास की सराहना करते हुए कहते हैं कि शासनादेश के अनुसार नल-जल आदि की व्यवस्था ग्रामीण स्वत: भी समिति बनाकर कर सकते हैं, जैसा कि सुसारी के लोगों ने कर दिखाया है, लेकिन फिलहाल जिले के अन्य गांवों में इस पर अमल नहीं किया जा रहा है। सुसारी के लोगों ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उल्लेखनीय है कि देश की सैकड़ों ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां सरकारी सळ्विधाएं न के बराबर हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से भेजे जाने वाला फंड भी बिचौलिए और भ्रष्ट लोग डकार जाते हैं।  


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