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    बंगाल के एक गांव के 1,500 लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं, SIR को लेकर सता रही चिंता 

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 10:30 PM (IST)

    पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के करिन्या गांव के करीब 1,500 लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची से गायब हैं, जिससे गांव में चिंता का माहौल है। निवासियों के पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं और वे नियमित रूप से मतदान करते रहे हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से शिकायत की है और मामले की जांच जारी है। टीएमसी ने चुनाव आयोग पर मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप लगाया है।

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    बंगाल के ग्रामीणों की चिंता। (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल के हुगली जिले के करिन्या गांव के करीब 1,500 लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं। इसे लेकर वे काफी चिंतित हैं।

    इन लोगों का कहना है कि वे वर्षों से यहां रह रहे हैं। उनका राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र व अन्य दस्तावेज भी हैं। वे नियमित रूप से मतदान भी करते आ रहे हैं। इसके बावजूद उनके नाम 2002 की मतदाता सूची में क्यों नहीं शामिल हैं, यह समझ से परे है। उन्होंने स्थानीय पंचायत के जरिए चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की है। इन मामलों की जांच चल रही है।

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    नई एसआईआर में खुद शामिल हो जाएंगे नाम

    प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिले के बलागढ़ ब्लॉक की बकुलिया ग्राम पंचायत के करिन्या गांव में बीएलओ कर्मी जब गणना प्रपत्र वितरित करने गए तो पता चला कि गांव के अधिकांश निवासियों के नाम 2002 की मतदाता सूची में ही दर्ज नहीं हैं। आयोग के निर्देशानुसार जिन मतदाताओं या उनके माता-पिता के नाम 2002 की सूची में दर्ज हैं, उनके नाम नई एसआईआर सूची में स्वत: शामिल कर लिए जाएंगे। यहां के कई ग्रामीणों के माता-पिता के नाम भी पुरानी सूची से गायब हैं, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है।

    टीएमसी ने लगाया ये आरोप

    स्थानीय लोगों का कहना है कि 2002 में यह इलाका 59 नंबर बूथ के अंतर्गत था, जिसे अब 69 और 70 नंबर बूथों में विभाजित किया गया है। बकुलिया पंचायत के प्रधान गणेश मांडी ने बताया कि जो ग्रामीण अन्य राज्यों में कामकाज के सिलसिले में हैं, वे भी ऑनलाइन फॉर्म भरने में असमर्थ हैं क्योंकि 2002 की सूची में उनका नाम दर्ज नहीं है। स्थानीय तृणमूल नेताओं का आरोप है कि चुनाव आयोग ने गुपचुप लाखों मतदाताओं के नाम 2002 की सूची से हटा दिए हैं।

    दूसरी तरफ बंगाल के 59 सुधार गृह में बंद हजारों कैदी भी एसआइआर को लेकर चिंता में हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से इन कैदियों को लेकर अब तक इन कैदियों को लेकर कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है।

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