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कुपोषण का मुख्य कारण गरीबी नहीं भोजन में विविधता की कमी, शिक्षित मां कर सकती है अपने शिशु का बचाव

कुपोषण का मुख्य कारण गरीबी नहीं भोजन में विविधता की कमी है अगर हर दिन मां अलग-अलग प्रकार का भोजन बनाकर अपने शिशु को खिलाए तो इस महामारी से शिशुओं को बचाया जा सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 12:10 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 12:10 PM (IST)
कुपोषण का मुख्य कारण गरीबी नहीं भोजन में विविधता की कमी, शिक्षित मां कर सकती है अपने शिशु का बचाव
कुपोषण का मुख्य कारण गरीबी नहीं भोजन में विविधता की कमी, शिक्षित मां कर सकती है अपने शिशु का बचाव

वास्को द गामा (गोवा), आइएसडब्ल्यू। एक नए अध्ययन से सामने आया है कि बच्चों में कुपोषण का कारण केवल गरीबी नहीं होता है, बल्कि उनके भोजन में विविध प्रकार के आहार की कमी होती है। एक शिक्षित मां चाहे उसकी आर्थिक हालत जैसी भी हो वह अपने बच्चे को कुपोषण से बचा सकती है।

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शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों को दिए जाने वाले आहार में विविधता बहुत कम है। जबकि, आहार की अपर्याप्त मात्र का प्रतिशत अधिक देखा गया है। शिशु आहार में कद्दू, गाजर, हरे पत्ते वाली सब्जियां, मांस, मछली, फलियां और मेवे जैसे अधिक पोषण युक्त आहार पर्याप्त मात्र में शामिल करने में मां के शैक्षणिक स्तर का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।

आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवारों में शिशुओं के लिए डिब्बाबंद खाद्य उत्पादों का उपयोग अधिक होता है। जूस, रेडीमेड शिशु आहार और योगर्ट जैसे खाद्य उत्पादों का उपयोग गरीब परिवारों की तुलना में अमीर परिवारों में लगभग चार गुना अधिक होता है। वहीं, शिक्षित माताओं के कारण रेडीमेड शिशु आहार चार गुना, जूस और योगर्ट तीन गुना तथा मछलियों, सूप और दुग्ध उत्पाद दो गुना अधिक उपयोग किए जाते हैं।

नई दिल्ली स्थित टाटा ट्रस्ट व आर्थिक विकास संस्थान और अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किए गए इस अध्ययन में विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक स्तरों पर बच्चों को दिए जाने वाले आहार की पर्याप्त मात्र और विविधता को बच्चों के कुपोषण से जुड़ा प्रमुख कारक माना गया है। शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के आधार पर छ से 23 माह के लगभग 74 हजार बच्चों में भोजन सामग्री के उपयोग और आहार विविधता का आकलन किया है।

हारवर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ शोधकर्ता प्रोफेसर एसवी सुब्रमण्यन का मानना है कि भारत में बच्चों के पोषण के लिए जरूरी विविधतापूर्ण आहार की कमी एक आम समस्या है जो सिर्फ गरीब आबादी तक सीमित नहीं है। गरीब परिवारों में आहार में विविधता की कमी का कारण गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदाथोर्ं को खरीदने और उनका उपभोग करने में सक्षम न होने की कठिनाई हो सकती है। जबकि, आर्थिक रूप से समृद्ध परिवारों में इस कमी का कारण जागरूकता के अभाव को दर्शाता है।

अध्ययन से जुड़ीं प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सुतपा अग्रवाल ने बताया कि केवल मां या अभिभावकों की शिक्षा का स्तर ही बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह शोध यूरोपियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित किया गया है। इससे जुड़े शोधकर्ताओं में राजन शंकर एवं स्मृति शर्मा, इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ, नई दिल्ली के विलियम जो, अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रॉकली किम, चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, बोस्टन के जैवेल गौसमान और एस.वी. सुब्रमण्यन शामिल थे। 


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