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आठ गुना बढ़ेगा उज्जैन का महाकाल मंदिर परिसर, दो चरणों में हो रहा काम, जानें कितनी आएगी लागत

महाकालेश्वर मंदिर परिसर का क्षेत्रफल आठ गुना तक बढ़ने जा रहा है। मंदिर परिसर के विस्तार और क्षेत्र के सुंदरीकरण के लिए बनाई गई महाकाल रूद्रसागर एकीकृत विकास दृष्टिकोण (मृदा) योजना के तहत विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 06:33 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 01:31 AM (IST)
आठ गुना बढ़ेगा उज्जैन का महाकाल मंदिर परिसर, दो चरणों में हो रहा काम, जानें कितनी आएगी लागत
महाकालेश्वर मंदिर परिसर का क्षेत्रफल आठ गुना तक बढ़ने जा रहा है।

धीरज गोमे, उज्जैन। मध्य प्रदेश की धर्मधानी उज्जैन में ज्योतिर्लिग महाकालेश्वर मंदिर परिसर का क्षेत्रफल आठ गुना तक बढ़ने जा रहा है। मंदिर परिसर के विस्तार और क्षेत्र के सुंदरीकरण के लिए बनाई गई महाकाल रूद्रसागर एकीकृत विकास दृष्टिकोण (मृदा) योजना के तहत विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। इसमें श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने और सुगम दर्शन व्यवस्था को भी प्राथमिकता दी गई है। लगभग 500 करोड़ रुपए की इस योजना को दो चरणों में पूरा किया जाना है। पहले चरण के कार्य शुरू हो चुके हैं और इनमें से कई कार्य जून में पूरे हो जाएंगे। इसके बाद दूसरा चरण शुरू होगा।

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अधिग्रहित की जाएगी 223 परिवारों की जमीन

मंदिर क्षेत्र विस्तार एवं विकास कार्यों के लिए कुल 223 परिवारों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी। बदले में उन्हें मुआवजा स्वरूप 128 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। मंदिर के सामने 70 मीटर क्षेत्र का भूअर्जन कर जमीन को मंदिर परिसर में सम्मिलित किया जाएगा। इससे 145 परिवारों की जमीन अधिग्रहित होगी। इसके अलावा महाकाल मंदिर एवं महाराजवाड़ा परिसर के बीच की सड़क चौड़ी करने के लिए छह परिवारों की, महाकाल मंदिर से महाकाल चौराहा तक मार्ग चौड़ीकरण के लिए 40 परिवारों की, सरस्वती शिशु मंदिर समानांतर मार्ग को चौड़ा करने के लिए 20 परिवारों की और बड़ा गणेश मंदिर से चौबीस खंभा माता मंदिर मार्ग तक मार्ग चौड़ा करने के लिए 12 लोगों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी।

पहले चरण में हो रहे ये कार्य

1- पहले चरण में चारधाम मंदिर के पास नूतन स्कूल परिसर, गणेश स्कूल कॉम्प्लेक्स, महाकाल मंदिर का नया प्रवेश द्वार, 900 मीटर लंबा महाकाल कॉरिडोर, मिडवे जोन, सप्तऋषि-शिव स्तंभ दर्शन क्षेत्र आकार लेता दिखाई देने लगा है।

2- जल्द ही थीम पार्क, रूद्रसागर घाट एवं डेक एरिया का विकास कार्य शुरू होगा। मिड-वे जोन में फूड कोर्ट, वाच टावर और पूजन सामग्री की दुकाने होंगीं।

3- थीम पार्क में शिव की कथाओं पर आधारित म्युरल वाल्स का निर्माण होगा। 25 फीट ऊंची 108 मूíतयां परिसर में स्थापित होंगीं।

4- थीम पार्क में बैठने को आरामदायक कुíसयां लगाई जाएंगीं। मंदिर के समीप रूद्रसागर में घाट एवं बोटिंग की सुविधा भी होगी।

5- बेगमबाग के समीप स्थित मकानों का विस्थापन, महाकाल धर्मशाला, प्रवचन हॉल, अन्न्क्षेत्र का निर्माण कार्य भी इसी चरण में होगा।

दूसरे चरण में होंगे ये कार्य

1- मृदा प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में महाराजवाड़ा स्कूल भवन को कुंभ संग्रहालय और हैरिटेज धर्मशाला के रूप में परिवíतत किया जाएगा।

2- रूद्रसागर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसे शिप्रा के शुद्ध पानी से भरा जाएगा। फ्रंट लेक एरिया का विकास एवं सुंदरीकरण किया जाएगा।

3- पार्किंग, रामघाट मार्ग सुंदरीकरण, हरिफाटक ब्रिज का चौड़ीकरण, रेलवे अंडरपास का निर्माण किया जाएगा। रूद्रसागर पैदल पुल, बेगमबाग मार्ग का विकास, महाकाल पहुंच मार्ग का उन्न्यन किया जाएगा।

4- क्षेत्र में सांस्कृतिक हाट का निर्माण होगा। रामघाट पर सिंहस्थ थीम आधारित डायनेमिक लाइट शो किया जाएगा। रूद्रसागर पर 210 मीटर लंबा पैदल पुल बनाया जाएगा, जो महाकाल थीम पार्क को जोड़ेगा।

जमीन की कीमत

महाकाल मंदिर के सामने 70 मीटर के दायरे में जो भवन आ रहे हैं, उनकी कीमत करोड़ों में है। कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार यहां की आवासीय जमीन की कीमत 41600 स्त्र्पये वर्ग मीटर और व्यावसायिक जमीन की कीमत 83200 रुपये वर्ग मीटर है। खास बात यह है कि ज्यादातर ने आवासीय भूमि पर ही व्यावसायिक गतिविधियां प्रारंभ कर रखी हैं।

चुनौती: रखरखाव के लिए कोई योजना नहीं

महाकाल मंदिर क्षेत्र विकास एवं सुंदरीकरण के लिए उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने जो 500 करोड़ रुपये की परियोजना बनाई है। इन कार्यों का रखरखाव खर्च निकालने की कोई योजना शामिल नहीं है।

इनसे ले सकते हैं सीख

दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर, गुजरात के पोयचा स्थित नीलकंठ धाम और सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी दूर स्थित स्टेच्यू ऑफ यूनिटी परिसर के लिए रखरखाव खर्च निकालने की अच्छी व्यवस्था की गई है।

गुजरात के इन तीन स्थानों पर है व्यवस्था

अक्षरधाम मंदिर में इनहाउस प्रदर्शनी और म्युजिकल फाउंटेन के टिकट से मंदिर को अच्छी आय होती है। नीलकंठ धाम में भी प्रदर्शनी, वाटर पार्क से और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक स्थल के मेंटेनेंस की आय प्रदर्शनी, स्काई दर्शन और लेजर शो दिखाने से होती है। इसी आय से वहां बनीं कलाकृतियों का संरक्षण होता है। बिजली, साफ-सफाई एवं अन्य खर्च निकाले जाते हैं।


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