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बैंकिंग व्यवस्था में झोल ही बढ़ा रहा है नकदी का संकट

पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से कई बैंकों के प्रबंधक पुलिस या आयकर विभाग के घेरे में फंसे हैं उससे स्पष्ट है कि आम लोगों के लिए हो रही नकदी की कमी में शाखाओं में पिछले दरवाजे से सफेद हो रहे काले धन का बड़ा हाथ है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 26 Nov 2016 07:30 PM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2016 07:52 PM (IST)
बैंकिंग व्यवस्था में झोल ही बढ़ा रहा है नकदी का संकट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी के सत्रह दिन बीतने के बाद भी बैंकों में नकदी की स्थिति सामान्य होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। रिजर्व बैंक की तरफ से नकदी का प्रवाह होने के बावजूद बैंकों की शाखाओं में नकदी की अभूतपूर्व कमी ने पूरी बैंकिंग व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जिन बैंकों को नकदी का प्रवाह बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्हीं बैंकों ने सरकार की आंखों में धूल झोंककर काले धन को सफेद कर आम जनता को नकदी की पहुंच से दूर कर दिया है। यही नहीं बैंकों तक नकदी पहुंचाने के सिस्टम में भी अब झोल दिखने लगे हैं। अधिकांश बैंकों की शाखाओं में अभी तक 500 के नए नोट या तो पहुंचे ही नहीं है या फिर बेहद सीमित संख्या में पहुंच रहे हैं।

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पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से कई बैंकों के प्रबंधक पुलिस या आयकर विभाग के घेरे में फंसे हैं उससे स्पष्ट है कि आम लोगों के लिए हो रही नकदी की कमी में शाखाओं में पिछले दरवाजे से सफेद हो रहे काले धन का बड़ा हाथ है। नोटबंदी की घोषणा के बाद के शुरुआती दिनों में ही बैंक प्रबंधकों ने चालू खाते का इस्तेमाल कर अरबों रुपये के काले धन को सफेद बना दिया। बैंकों ने न सिर्फ अरबों रुपये जमा किये बल्कि उन्हें किसी दूसरे बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक्स भुगतान के तहत हस्तांतरित भी किया।

इसके अलावा बैंक शाखाओं के स्टाफ ने काला धन सफेद करने में मदद करने के लिए जनधन खातों का भी खूब इस्तेमाल किया। नोटबंदी की घोषणा के बाद जनधन खातों में आई 21000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इसका खुला प्रमाण है। जानकार बताते हैं कि बिना बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के ऐसा होना संभव ही नहीं है। बैंकिंग सूत्र बताते हैं कि नोटबंदी की घोषणा के चार दिन बाद ही जनधन खातों में भारी भरकम राशि जमा कराये जाने की सूचना मिल गई थी। इसके बावजूद बैंक प्रबंधकों की मिलीभगत के चलते इन खातों में काला धन जमा होना जारी रहा। जनधन खातों के अलावा बैंक प्रबंधन इस काम के लिए उन खातों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं जिनमें आमतौर पर ट्रांजैक्शन बहुत कम होते हैं। चूंकि सभी खातों की पूरी जानकारी जिनमें आधार संख्या से लेकर पहचान पत्र तक सब कुछ बैंककर्मियों को उपलब्ध होता है इसलिए वे इन खातों के आधार पर भी पुरानी करेंसी को नई करेंसी में बदलने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

देश में नकदी की कमी की एक बड़ी वजह यही है कि बैंक प्रबंधन पिछले दरवाजे से काला धन सफेद करने में मददगार साबित हो रहा है। इसके चलते ही आम जनता के लिए बैंक शाखाओं में पर्याप्त नकदी की कमी होती जा रही है। नकदी की कमी की दूसरी वजह 500 रुपये के नोट की पर्याप्त मात्रा में शाखाओं को आपूर्ति न होना है। बताया जा रहा है कि नई करेंसी में निजी बैंकों को वरीयता मिल रही है। इसलिए सरकारी बैंकों की शाखाओं में नकदी की कमी बनी हुई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में सरकारी बैंकों की कई शाखाओं में अब तक 500 रुपये के नोट नहीं पहुंचे हैं। 500 रुपये के नए नोट केवल उन्हीं शाखाओं को उपलब्ध कराये जा रहे हैं जिनके अधिकार क्षेत्र में एटीएम प्रबंधन है। एटीएम भी वही जिनमें नई करेंसी के लिहाज से बदलाव हो चुका हो। इतना ही नहीं भारतीय स्टेट बैंक की कुछ शाखाओं को तो अपने नेटवर्क से नकदी भी नहीं मिल रही है। उनसे आइसीआइसीआइ बैंक की चेस्ट से नकदी लेने को कहा जा रहा है।


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