...तो रहने लायक नहीं रहेगी ये धरती, IPCC की ये ताजा रिपोर्ट पढ़कर चौंक जाएंगे आप
अगर समय रहते हम नहीं चेते तो यह वसुंधरा रहने योग्य नहीं होगी। आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट आपको चौंका सकती है।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट आपको चौंका सकती है। सोमवार को जारी रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यदि वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में 50 फीसद तक कमी नहीं की गई तो फिर दुनिया में रहने लायक नहीं होगी। एक अनुमान के मुताबिक सदी के आखिर तक तापमान वृद्धि दो डिग्री या इससे ज्यादा हो सकती है। यह स्थिति पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है। खास बात यह है कि तापमान वृद्धि का सर्वाधिक असर गंगा घाटी क्षेत्र में पड़ सकता है। यदि औसत तापमान में दो डिग्री बढ़ोतरी होती है तो यूपी, बिहार जैसे गंगा घाटी वाले राज्यों में बारिश में 20 फीसद तक गिरावट आ सकती है। बारिश में 20 फीसद की कमी का मतलब क्षेत्र में सूखे की स्थिति होगी।
कृषि उत्पादन पर पड़ेगा असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और अन्य दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों में कृषि उत्पादन इसका असर होेगा। इससे गेहूं और धान के उत्पादन में छह और तीन फीसद तक की कमी हो सकती है। इसी तरह से मक्का और सोेयाबीन में साढ़े सात फीसद और करीब तीन फीसद तक उत्पादन घट सकता है। इससे आंशका जाहिर की जा रही है कि यहां खाद्यान संकट उत्पन्न हो सकता है।
सिमटेगा ग्लेशियरों का दायरा
महज दो डिग्री तापमान बढ़ने पर दुनिया के ग्लेशियरों में जमी एक तिहाई बर्फ पिघलकर खत्म हो जाएगी। इसके चलते ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों का जलतंत्र प्रभावित होगा। नदियों का जलस्तर बढ़ेगा। ग्लेशियर खत्म होने से इन नदियों के जल स्रोत खत्म हो जाएगा। इसका सर्वाधिक असर भारत समेत दक्षिण एशिया के मुल्कों के नदियों पर पड़ेगा। भारत और पड़ोसी देशों में करीब 80 करोड़ लोगों के लिए ये नदियां जीवन रेखा है। इनका जीवन इन नदियों पर निर्भर हैं।
गर्म हवाओं का प्रकोप
तापमान वृद्धि से गर्म हवाओं का प्रकोप बढ़ेगा। देश के कई महानगरों में तापमान में वृद्धि के साथ गर्म हवाएं चलेंगी। यदि तापमान 45 डिग्री पार कर गया था और फिर यहां चलने वाली लू जानलेवा होगी। इस मामले में भारत संवेदनशील देशों में शामिल है, जहां जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसमी घटनाएं सर्वाधिक होती हैं। भारत जैसे क्षेत्र अत्यंत गर्म हवा की चपेट में आ सकते हैं। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा। तटीय इलाके पहले ही समुद्री जलस्तर के बढ़ने की वजह से संघर्ष कर रहे हैं, अगर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के नीचे नहीं रखा गया तो और ज्यादा मुसीबत बढ़ेगी।
भारत में उत्पन्न हो सकता है खद्यान्न संकट
यदि तापमान वृद्धि दो डिग्री होती है तो इससे गंगा घाटी वाले राज्यों में बूरी तरह से प्रभावित होंगे। बारिश में 20 फीसद तक की कमी आएगी। गंगा घाटी क्षेत्र देश के भीतर 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा में फैला हुआ है। कृषि के लिहाज से यह देश का सबसे उपजाऊ भू-भाग है। देश में सबसे उपजाऊ माना जाने वाला गंगा घाटी क्षेत्र पहले ही कम बारिश और बाढ़ की समस्या से जूझ रहा है। इसके कुछ इलाकों को छोड़कर ज्यादातर हिस्से खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं। ऐसे में यह रिपोर्ट और भी चिंताएं पैदा करती है।
0.5. डिग्री की बढ़ोतरी का असर
- छोटे द्वीपीय देशों के डूबने का खतरा बढ़ जाएगा। दुनियाभर में जबरदस्त गर्मी होगी, जबकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में असामान्य गर्म दिनों में सर्वाधिक वृद्धि होगी।
- भूमध्य क्षेत्र में खास तौर पर सूखे की समस्या बढ़ जाएगी। ध्रुवीय भालू, व्हेल, सील, समुद्री पक्षियों के आवास पर बुरा असर पड़ेगा।
- पर्यावरण व जीवजगत में भारी उथल-पुथल मचा सकती है। इससे मूंगा चट्टानें और आर्कटिक का ग्रीष्मकालीन समुद्री बर्फ समाप्त हो सकते हैं। दुनियाभर में लाखों लोग लू, पानी की कमी, तटीय बाढ़ के खतरे की जद में आ सकते हैं।
- इससे दुनियाभर में बाढ़ और बीमारियों से तबाही बढ़ने का अंदेशा होगा।
1.5 डिग्री तापमान बढ़ोतरी का असर
- दुनिया में 3.1 करोड़ से 6.9 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। लगभग 14 फीसद विश्व जनसंख्या प्रभावित होगी। 1.5 डिग्री तापमान पर दुनियाभर में 35 करोड़ों लोागों के समक्ष पेयजल का संकट उत्पन्न होगा।
- छह फीसद कीड़े, आठ फीसद वनस्पतियां और चार फीसद कशेरुकी जंतु समाप्त हो जाएंगे यानी विलुप्त हो जाएंगे।
2.0 डिग्री तापमान होने पर
- उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया और केंद्रीय व दक्षिण अमेरिका में फसलों के उत्पादन में बड़ी कमी आ सकती है।
- मूंगा चट्टान ज्यादातर खत्म हो जाएंगे। 41.1 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। यानी विश्व की करीब 37 फीसद आबादी प्रभावित होगी।
- गर्मियों में समुद्री बर्फ के खत्म हो जाने की 10 गुना अधिक संभावना है।
- 18 फीसद कीड़े समाप्त हो जाएंगे। 16 फीसद वनस्पतियां विलुप्त हो जाएंगी। इसके अलावा आठ फीसद केशरुकी जंतु समाप्त हो जाएंगे।