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शीतकालीन सत्र का अंतिम सप्ताह भी रहेगा हंगामेदार, 23 दिसंबर तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र

संसद के दोनों सदनों में फिलहाल जिस तरह का गतिरोध बना हुआ है उसे देखते हुए उम्मीद यही है कि शीतकालीन सत्र का अंतिम सप्ताह भी हंगामेदार ही रहेगा। वैसे भी अब शीतकालीन सत्र के खत्म होने में सिर्फ चार कामकाजी दिन ही बचे हुए हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 19 Dec 2021 08:19 PM (IST)Updated: Sun, 19 Dec 2021 08:19 PM (IST)
शीतकालीन सत्र का अंतिम सप्ताह भी रहेगा हंगामेदार, 23 दिसंबर तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र
शीतकालीन सत्र का अंतिम सप्ताह भी रहेगा हंगामेदार, 23 दिसंबर तक चलेगा संसद का शीतकालीन सत्र।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद के दोनों सदनों में फिलहाल जिस तरह का गतिरोध बना हुआ है, उसे देखते हुए उम्मीद यही है कि शीतकालीन सत्र का अंतिम सप्ताह भी हंगामेदार ही रहेगा। वैसे भी अब शीतकालीन सत्र के खत्म होने में सिर्फ चार कामकाजी दिन ही बचे हुए हैं। ऐसे में बचे हुए इन चार दिनों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के रुख में कोई बदलाव होगा, इसकी उम्मीद कम है। इसके बदले उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए विपक्ष के और आक्रामक होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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29 नवंबर से शुरू हुआ संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को खत्म हो जाएगा। संसद के दोनों सदनों में जिन प्रमुख मुद्दों को लेकर गतिरोध बना हुआ है, उनमें राज्यसभा में सदस्यों के निलंबन का मुद्दा है। लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष अड़ा हुआ है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं, उनमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपने-अपने रुख में किसी तरह के बदलाव के मूड में नहीं हैं। राज्यसभा में सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर चल रहे हंगामे पर पिछले दिनों सभापति ने भी दखल दिया था। साथ ही सरकार और विपक्ष से आपसी सहमति बनाने को कहा था। लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से निलंबित किए गए विपक्षी सांसदों के सामने माफी की शर्त रखी गई है। उसे विपक्षी दल कतई मानने को तैयार नहीं हैं।

वहीं विपक्ष के लिए राजनीतिक रूप से यही फायदेमंद है कि निलंबन के बहाने विपक्षी एकजुटता बनी रहे। दूसरी तरफ, लोकसभा में अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग पर सरकार ने संकेत दिया है कि इस्तीफा नहीं होगा, क्योंकि लखीमपुर खीरी मामले में प्रत्यक्ष रूप से केंद्रीय मंत्री आरोपित नहीं हैं। वैसे भी मामला कोर्ट के सामने लंबित है। सूत्रों के अनुसार, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए वैसे भी शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बीच सरकार भी अपने जरूरी कामकाज निपटाने में जुटी है। इस दिशा में सरकार ने जो बड़ा काम किया है, वह सत्र के पहले दिन ही तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना है। इसके बाद साल भर से ज्यादा समय से चल रहा कृषि कानून विरोधी आंदोलन भी खत्म हो गया है। गौरतलब है कि 25 दिनों के इस शीतकालीन सत्र में कुछ दिनों को छोड़ दें तो अब तक दोनों सदनों में ज्यादातर हंगामा ही हावी रहा है।


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