शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त करने का मुद्दा राज्यसभा में गूंजा, सांसद बोले- दो लाख टीचर हैं तनाव में
राज्यसभा में मंगलवार को शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए गए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का मुद्दा उठा। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान सबसे पहले भाजपा स ...और पढ़ें

शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त करने का मुद्दा राज्यसभा में गूंजा (सांकेतिक तस्वीर)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए गए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का मुद्दा उठा। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान सबसे पहले भाजपा सदस्य सीमा द्विवेदी ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से इस निर्णय के बाद तनाव में चल रहे शिक्षकों को राहत देने की मांग की गई।
इसके बाद कांग्रेस सदस्य प्रमोद तिवारी ने भी इस मुद्दे को रखा और कहा कि इससे देश के करीब 25 लाख और अकेले उत्तर प्रदेश के दो लाख शिक्षकों की स्थायी नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है।राज्यसभा में दोनों सदस्यों ने इस मुद्दे को विस्तार से रखा।
सीमा द्विवेदी ने कहा कि सालों से स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए टीईटी को दो साल के भीतर पास करने की अनिवार्यता से पूरी शिक्षा व्यवस्था के सामने एक संकट खड़ा हो गया है। सरकार को इस पूरे मामले में लाखों शिक्षकों के हितों को देखते हुए तत्काल जरूरी कदम उठाना चाहिए।
प्रमोद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत 27 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त कक्षा एक से आठवीं तक के शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए दो साल के भीतर टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में इन शिक्षकों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। वे असमंजस में है। सरकार को इस मामले में दखल देते हुए उनके हितों की रक्षा करनी चाहिए।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।