मणिपुर चुनाव के केंद्र में आर्थिक नाकेबंदी का मुद्दा
राज्य में 1 नवंबर 2016 से यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की हुई है। यह बंद राज्य के जिलों का बंटवारा कर सात नए जिले बनाने के राज्य सरकार के फैसले के विरोध में आहूत किया गया है।
इंफाल, प्रेट्र : पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में विधानसभा चुनाव आर्थिक नाकेबंदी के मुद्दे के इर्द-गिर्द घूम रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां चुनाव में इसे भुनाने की कोशिश में लगी हैं। राज्य में 4 और 8 मार्च को दो चरणों मतदान होना है।
राज्य में 1 नवंबर 2016 से यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी की हुई है। यह बंद राज्य के जिलों का बंटवारा कर सात नए जिले बनाने के राज्य सरकार के फैसले के विरोध में आहूत किया गया है। नाकेबंदी से राज्य की जीवनरेखा कहे जाने वाले एनएच 2 और एनएच 37 पूरी तरह बंद हैं। राज्य में ईधन और अन्य रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति भी बुरी तरह से प्रभावित हो गई है। वहीं राज्य सरकार जिलों के विभाजन और नए जिलों के गठन से प्रशासनिक कार्यक्षमता बढ़ने की बात कही है।
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सत्तारूढ़ कांग्रेस ने बंद के लिए प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पर भी निशाना साधा है। उसका आरोप है कि भाजपा ने यूएनसी के साथ मिलकर नाकेबंदी की है। वहीं भाजपा का कहना है कि ओकराम इबोबी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जान-बूझकर जिलों का बंटवारा किया है। वह पहाड़ी और घाटी के मतदाताओं को बांटना चाहती है। कांग्रेस हालात को सामान्य नहीं होने देना चाहती। राज्य भाजपा प्रमुख के. भबानंद सिंह ने कहा कि 15 साल के शासन के बाद कांग्रेस को अपनी हार का भय था। इसीलिए चुनाव जीतने के लिए उसने बंटवारे की यह राजनीति खेली।
इरोम शर्मिला और इबोबी ने भरा पर्चा
मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम सिंह इबोबी ने गुरुवार को विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन भरा। उन्होंने थोबल सीट से पर्चा भरा। राज्य में अफस्पा के विरुद्ध 16 साल तब अनशन करने के बाद राजनीति में उतरीं इरोम शर्मिला ने उन्हें चुनौती देते हुए इसी सीट से नामांकन भरा है। इरोम ने पिछले साल अगस्त में अपना अनिश्चितकालीन अनशन खत्म करके राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी।