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मप्र-छग में देश की सबसे ज्यादा बेनामी संपत्तियां, IAS अफसर, कारोबारी व टेक्नोक्रेट शामिल

आईएएस अफसर, कारोबारी और कतिपय राजनेता भी हैं जिन्होंने दूसरों के नाम पर करोड़ों रुपए मूल्य की संपत्तियां खरीदी हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 10:52 AM (IST)
मप्र-छग में देश की सबसे ज्यादा बेनामी संपत्तियां, IAS अफसर, कारोबारी व टेक्नोक्रेट शामिल
मप्र-छग में देश की सबसे ज्यादा बेनामी संपत्तियां, IAS अफसर, कारोबारी व टेक्नोक्रेट शामिल

भोपाल [ जेएनएन ]। आयकर विभाग ने मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में अपनी छानबीन और छापामारी के बाद देश में सबसे ज्यादा 325 बेनामी संपत्तियों का पर्दाफाश किया है। मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान, मुंबई और गुजरात का नंबर है। विभाग ने जो प्रापर्टी अटैच की हैं, उनमें आईएएस अफसर, कारोबारी और कतिपय राजनेता भी हैं जिन्होंने दूसरों के नाम पर करोड़ों रुपए मूल्य की संपत्तियां खरीदी हैं। संपत्तियों की मौजूदा कीमत 200 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है।

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मप्र-छग में पिछले सवा साल की छानबीन में ये बेशकीमती संपत्तियां उजागर हुई हैं। सूत्रों का दावा है कि और भी मामले छानबीन में हैं, पुख्ता सुबूत व साक्ष्य के बाद ही उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी। ये सभी कार्रवाई बेनामी ट्रांजेक्शन (प्रोहिबिशन) अमेंडमेंट एक्ट 2016 के तहत की गई हैं। विभागीय अफसरों का कहना है कि नवंबर 2016 में अधिनियम आया, उसके दो-तीन महीने बाद दोनों राज्यों में बेनामी यूनिट की टीम ने अपना काम शुरू किया। सवा साल के नतीजे उत्साहजनक रहे।

आइएएस अफसर व कारोबारी ज्यादा : अपने कालेधन को किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर निवेश करने वालों में आइएएस अधिकारी, कारोबारी और टेक्नोक्रेट ज्यादा हैं। कुछ कारोबारियों का राजनीतिक रसूख भी सामने आया है। पूर्व आइएएस अफसर अरविंद जोशी, एमए खान एवं सेवकराम भारती व टेक्नोक्रेट पीके सरैया के मामले भी हैं। कारोबारियों में संतोष रमतानी (सुरभि ग्रुप), पवन अहलूवालिया, एमवाय चौधरी, भाटिया एनर्जी (छग), अजय सोनी व नितिन अग्रवाल (छग), मनीष-हेमलता सरावगी एवं सुशील वासवानी जैसे नाम प्रमुख हैं।

खुफिया जानकारी व छापे से मिले सुराग : विभागीय सूत्रों का कहना है कि शिकायतों, विभाग की खुफिया जानकारियों और छापे-सर्वे के दौरान मिले सुराग के आधार पर हुई पड़ताल में उक्त मामले सामने आए हैं। कुछ ऐसे मामले भी हैं, जिनमें हैसियत से ज्यादा शानो-शौकत का प्रदर्शन भी छानबीन का कारण बना। जांच के बाद टैक्स चोरी और नंबर दो की संपत्ति निवेश के अलावा आदिवासियों की जमीन फर्जी लोगों के नाम पर खरीदना भी दिखाया गया। करीब 200 एकड़ जमीन, प्रीमियम बंगले और करीब डेढ़ दर्जन बेशकीमती प्लॉट भी अटैच किए गए हैं। इनमें अधिनियम की धारा 6ए और 6(1) के तहत कार्रवाई की गई है।

सात साल तक की सजा : आयकर विभाग की बेनामी यूनिट ने सभी 325 संपत्तियों को प्रॉविजनल अटैचमेंट कर दिल्ली स्थिति एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी को ब्योरा भेजा है, जहां जल्द ही कानूनी औपचारिकताओं और निर्णय के बाद इन्हें राजसात कर दिया जाएगा। दोषी पाए जाने पर बेनामीदार को धारा 53 के तहत एक से सात साल तक की सजा भी हो सकती है।


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