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DATA STORY : देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर होती हैं सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं

2017 में कुल सड़क दुर्घटनाएं 464910 हुई थीं जिनमें राष्ट्रीय राजमार्गों पर 141466 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं जबकि राज्यीय राजमार्ग पर 116158 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। 2018 में जहां 467044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिनमें राष्ट्रीय राजमार्गों पर 140843 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जबकि राज्यीय राजमार्गों पर 117570 लोग दुर्घटना के शिकार हुए।

By Vineet SharanEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 08:34 AM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 08:35 AM (IST)
DATA STORY : देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर होती हैं सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं
2019 में कुल सड़क दुर्घटनाओं में राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई सड़क दुर्घटनाओं का प्रतिशत 30.5 था।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। राष्ट्रीय राजमार्गों पर राज्यों के राजमार्गों के मुकाबले अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। संसद में 2017 से 2019 तक के पेश आंकड़ों के अनुसार, 2019 में जहां कुल सड़क दुर्घटनाओं में राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई सड़क दुर्घटनाओं का प्रतिशत 30.5 था, वहीं 2017 में राज्यों के राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं का प्रतिशत 24.3 था।

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आंकड़ों के अनुसार, 2017 में जहां कुल सड़क दुर्घटनाएं 4,64,910 हुई थीं, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,41,466 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जबकि राज्यीय राजमार्ग पर 116158 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। 2018 में जहां 4,67,044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,40,843 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जबकि राज्यीय राजमार्गों पर 117570 लोग दुर्घटना के शिकार हुए। 2019 में कुल 4,49,002 सड़क दुर्घटनाओं में 1,37,191 राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं, जबकि 108976 घटनाएं राज्यीय राजमार्गों पर हुईं। दी गई जानकारी के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में बेहद तेज गति से वाहन चलाना, शराब पीकर/नशे में वाहन चलाना, लेन अनुशासनहीनता, मोटर वाहन चालक का दोष, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग आदि प्रमुख हैं।

इन राज्यों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर अधिक सड़क दुर्घटनाएं

कुछ राज्यों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। तमिलनाडु में साल 2019 में 17633, उत्तर प्रदेश में 16181 और कर्नाटक में 13363 दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं। केरल और मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर क्रमश: 9459 और 10440 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। राज्यीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं के मामले में तमिलनाडु 2019 में शीर्ष पर रहा। यहां पर 2019 में 19279 सड़क दुर्घटनाएं हुई। उत्तर प्रदेश में राज्यीय राजमार्गों पर 13402 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। वहीं मध्य प्रदेश के राज्यीय राजमार्गों पर 13166 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, तो कर्नाटक के राज्यीय राजमार्गों पर 10446 लोग सड़क दुर्घटनाओं के शिकार हुए।

दोपहिया वाहन चालक ज्यादा शिकार

देशभर के 2016 से 2019 तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जहां 2016 में कुल दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहन चालकों की मौत का फीसद 29.4 था, वहीं 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 37.1 प्रतिशत हो गया। संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 2016 में भारत में कुल 480,652 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें दो पहिया वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाएं 162280 थीं। 2017, 2018 और 2019 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा क्रमश: 464,910 , 467,044 और 4,49,002 था, जिनमें दोपहिया वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाएं क्रमश: 157723, 164313 और 167184 थी। वहीं 2016 में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 150,785 व्यक्तियों की मौत हुई थी, जिनमें 44366 दोपहिया वाहन सवार थे। 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में कुल 151,113 व्यक्तियों की मौत हुई थी, जिनमें 56136 दोपहिया चालक थे।

ये कहती है सड़क दुर्घटनाओं पर आई हालिया रिपोर्ट

विश्व बैंक द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि सड़क दुर्घटनाओं में हताहत होने वाले लोगों में सबसे ज्यादा भारत के होते हैं। भारत में दुनिया के सिर्फ एक फीसदी वाहन हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में दुनियाभर में होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 11 प्रतिशत है। देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और हर चार मिनट में एक मौत होती है।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौत हुई और इनके अलावा 50 लाख लोग घायल हुए। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं के चलते 5.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.14 प्रतिशत के बराबर नुकसान होता है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा हाल ही में किये गये एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं से 1,47,114 करोड़ रुपये की सामाजिक व आर्थिक क्षति होती है, जो जीडीपी के 0.77 प्रतिशत के बराबर है। मंत्रालय के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों में 76.2 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनकी उम्र 18 से 45 साल के बीच है, यानी ये लोग कामकाजी आयु वर्ग के हैं। 


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