हंदवाड़ा छेड़खानी मामले में पीड़िता का यू-टर्न, कहा- सैन्यकर्मी ने पकड़ा था मेरा हाथ
जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में छात्रा के साथ कथित छेड़खानी मामले में पीड़िता ने अपने बयान से यू टर्न ले लिेया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीड़िता ने जवान पर छेड़खानी का आरोप लगाया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। हंदवाड़ा में छात्रा के साथ कथित चेड़खानी मामले में नया मोड़ आ गया है। पीड़ित छात्रा ने अदालत में दिए अपने बयान से मुकरते हुए आरोप लगाया कि एक सैन्यकर्मी ने उसका हाथ पकडा था। पुलिस ने उससे जबरन बयान दिलाया था।
आज यहां मानवाधिकारवादी संगठन जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सीविल सोसाइटी द्वारा आयोजित एक पत्रकार वार्ता में हंदवाडा मामले की पीडित छात्रा ने पहली बार मीडिया से अपने परिजनों की उपस्थिति मे बातचीत की।
उसने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हिरासत में उसे प्रताडित किया गया। एसपी हंदवाडा ने जबरन उससे बयान दिलाते हुए उसका वीडियो बनाया। उसने कहा कि मुझे बोला गया था कि मैं सैन्यकर्मियों द्वारा छेड़खानी से इंकार कर दूूं। लेकिन अब मैं चुप नहीं बैठूंगी बल्कि अपनी अंतिम सांस तक अपने इंसाफ के लिए लडूंगी।
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गौरतलब है कि बीते 12 अप्रैल को हंदवाड़ा में कुछ लोगों ने एक छात्रा के साथ सैन्यकर्मियों द्वारा छेड़खानी का आरोप लगाया था। इसके बाद पूरे इलाके में भड़की हिंसा में पांच लोग मारे गए। हालांकि पीड़ित छात्रा ने अपने बयान में सैन्यकर्मियों को क्लीनचिट देते हुए कहा कि उसके साथ शोचालय में कोई नहीं था और न उसने किसी को वहां देखा।
अलबत्ता, शौचालय के बाहर दो लड़कों ने उसे पीटा और उन्होंने ही छेडखानी की अफवाह फैलाई। लेकिन कश्मीर के मानवाधिकार संगठनों और पीडित की मां ने आरोप लगाया कि छात्रा से जबरन बयान दिलाया गया है और उसे पुलिस ने हिरासत में रखा है।
छात्रा की मां राजा बेगम ने अपनी बेटी को पुलिस द्वारा जबरन हिरासत में रखने और जबरन बयान दिलाने का आरोप लगाते हुए जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सीविल सोसाईटी के माध्ययम से राज्य उच्च न्यायालय में बीते 16 अप्रैल को एक याचिका दायर की थी।
उसने अपनी बेटी की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए उससे जबरन बयान दिलाने व अवैध हिरासत में रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही पुलिस ने पीड़िता को गत सप्ताह रिहा कर दिया था।
अदालत ने भी अपने फैसले में कहा था कि पीड़िता और उसका परिवार कहीं भी अाने जाने के लिए स्वतंत्र हैं, उन पर किसी तरह की रोक नहीं होनी चाहिए।