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भारत के नेतृत्व में 5 नवंबर को मनाया जाएगा पहला विश्व सुनामी जागरूकता दिवस

एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (UNISDR) के अनुसार, इस दिन के महत्व को समझने के लिए साल 1854 के उदाहरण को समझना बहुत जरूरी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 02 Nov 2016 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 02 Nov 2016 12:56 PM (IST)
भारत के नेतृत्व में 5 नवंबर को मनाया जाएगा पहला विश्व सुनामी जागरूकता दिवस

नई दिल्ली, पीटीआई। प्रथम विश्व सुनामी जागरूकता दिवस भारत सरकार के नेतृत्व में 5 नवंबर, 2016 को नई दिल्ली में मनाया जाएगा। यह जागरूकता दिवस आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2016 के एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण (UNISDR) के आपसी सहयोग से नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा

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एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (UNISDR) के अनुसार, इस दिन के महत्व को समझने के लिए साल 1854 के उदाहरण को समझना बहुत जरूरी है।जापान में रहने वाले वाकायामा 5 नवंबर को एक प्रान्त में आए उच्च तीव्रता के भूकंप के बाद सुनामी को लेकर काफी चिंतित थे। उन्होंने पहाड़ी की चोटी पर जाकर चावलों के ढ़ेर में आग लगा दी थी। जब ग्रामीणो ने इस चावल के ढ़ेर में लगी आग को देखा तो लोग उसे बुझाने के लिए पहाड़ी पर चढ़ गए।

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उनके पहाड़ी पर चढ़ने के बाद नीचे गांव में तेज सुनामी की लहरे आई जिन्होंने पूरी तरह गांव को नष्ट कर दिया था। यह सुनामी पूर्व चेतावनी का पहला दस्तावेज उदाहरण था। जिस दिन चावलों के ढ़ेर में आग लगाई गई थी विशेषज्ञों ने उसी 5 नवंबर को सुनामी जागरूकता दिवस मनाने का फैसला किया है।

क्या होती है सुनामी
सुनामी भी `बंदरगाह लहरों 'कहा जाता है क्योंकि वे तटीय क्षेत्रों और बंदरगाहों में अधिकतम नुकसान का कारण बन रही है। सागर में हमेशा उतपन्न होने वाली लहरों और झीलों की हवाओं में चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव की वजह से यह उत्पन्न होती है। आम तौर ये शांत होती है लेकिन अगर ये ज्यादा ताकतवर हो तो ये एक बड़े पैमाने पर तटीय क्षेत्रों नाश कर सकती है। विशेषज्ञ की मानें तो सुनामी की गति उतनी होती है जिस गति से एक हवाई जहाज उड़ता है।

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एक दशक पहले मौजूदा पीढ़ी ने पहली बार देखा था सुनामी का कहर

एक दशक पहले आई सुनामी की विनाशकारी लहरों ने दक्षिण भारत में कुछ ही मिनटों में 10 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। वहीं 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई सुनामी में दो लाख 30 हजार लोगों की जान चली गई थी। 12 साल पहले रविवार की सुबह भारतीयों को सचमुच सुनामी का `टी और पी ' कुछ नहीं पता था। वर्तमान पीढ़ी को सुनामी को कोई अनुभव नहीं था ।

उस दिन के बाद सुनामी को पृथ्वी पर सबसे भयकंर विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं में गिना जाने लगा। आज हैदराबाद में अपनी उच्च तकनीक की सुविधा से हिंद महासागर क्षेत्र में सुनामी पूर्व चेतावनी सेवा प्रदान की जाती है। पिछले सौ सालों में हुई 58 सुनामी की घटनाओं में करीब 2 लाख 60 हजार लोगों की जान चली गई है।

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