आयातित कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी को वित्त मंत्रालय ने नकारा, दवा के दाम पर नहीं होगा असर
भारतीय फार्मा कंपनियों का दावा है कि चीन ने दवा निर्माण से जुड़े कच्चे माल की कीमत में 20 प्रतिशत तक इजाफा कर दिया है इसलिए उनकी लागत बढ़ गई है। भारतीय दवा निर्माता दवा निर्माण के लिए लगभग 70 प्रतिशत कच्चे माल का आयात चीन से करते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दवा निर्माण के लिए जरूरी कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी हो भी जाए तो फिलहाल उपभोक्ताओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। भारतीय फार्मा कंपनियों का दावा है कि चीन ने दवा निर्माण से जुड़े कच्चे माल की कीमत में 20 प्रतिशत तक इजाफा कर दिया है, इसलिए उनकी लागत बढ़ गई है। भारतीय दवा निर्माता दवा निर्माण के लिए लगभग 70 प्रतिशत कच्चे माल का आयात चीन से करते हैं।
इंडियन फार्मास्युटिकल्स अलायंस (आइपीए) ने पिछले महीने नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) से कुछ दवा की कीमतों में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी के लिए आवेदन किया था। लेकिन वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने आइपीए के दावे को खारिज कर दिया। डीईए ने कहा कि चीन से आयात होने वाले कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी नहीं हुई है। मंत्रालय के मुताबिक चीन अगर कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी करता तो सीमा शुल्क में उसका फर्क दिखता, जो नहीं दिख रहा है।
इंडियन ड्रग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आइडीएमए) के मुताबिक इस वर्ष मार्च से कच्चे माल की कीमत में 10-15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इस बढ़ोतरी में घरेलू स्तर पर कंटेनर और माल भाड़े के मद में बढ़ते खर्च जैसे घरेलू कारक भी शामिल हैं। आइडीएमए के मुताबिक आयातित कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी के बावजूद घरेलू स्तर पर दवा निर्माण के फॉर्मूलेशन में कोई समस्या नहीं आ रही है। बिना एनपीपीए की इजाजत के दवा की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हो सकती है।
दरअसल जब से भारत-चीन के बीच सीमा पर विवाद हुआ है उसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं। इस वजह से चीन कई मामलों कूटनीतिक चाल चल रहा है। वो भारत के विरोधियों के साथ संबंध बेहतर करके नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। जिन चीजों का भारत चीन से आयात करता है उनके दामों में भी इजाफा किया जा रहा है।