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आंदोलन करके भी कुछ नहीं मिला, खुद को ठगा महसूस कर रहे सिंगुर के किसान

कभी टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ आंदोलन करने वाले सिंगुर के किसान अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 09:02 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 09:02 PM (IST)
आंदोलन करके भी कुछ नहीं मिला, खुद को ठगा महसूस कर रहे सिंगुर के किसान
आंदोलन करके भी कुछ नहीं मिला, खुद को ठगा महसूस कर रहे सिंगुर के किसान

जागरण संवाददाता, सिंगुर। कभी टाटा के नैनो कारखाने के खिलाफ आंदोलन करने वाले सिंगुर के किसान अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें उनकी जमीन तो वापस मिल गई, लेकिन अब वह खेती लायक नहीं रह गई है। क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर भी मौजूद नहीं हैं। कभी आंदोलन करने वाले किसान अब उद्योग लगाने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर उन्होंने पिछले दिनों कोलकाता में जुलूस भी निकाला था। उनका कहना है कि अगर उन्हें अपनी गलती सुधारने का मौका मिला तो वे सिंगुर में उद्योग लगाने के लिए नए सिरे से अपनी जमीन देने को तैयार हैं।

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अशोक माइती नामक किसान ने कहा-'आंदोलन करके आखिर हमें क्या मिला? कुछ भी नहीं। राजनीतिक दलों ने अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारा हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। न तो उद्योग लगा और न ही हमें लौटाई गई जमीन अब खेती लायक रह गई है। हम पहले की तरह गरीबी में ही जी रहे हैं।' अशोक और उनके भाई को 60 एकड़ जमीन वापस मिली है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सिंगुर की जमीन पर जो कंक्रीट के पिलर और सीमेंट के स्लैब हैं, उससे जमीन के ऊपर की कम से कम सात से आठ इंच परत को हटाना होगा, तभी उसे पिर से खेती लायक बनाया जा सकेगा।

यह बहुत महंगी प्रक्रिया है, जिसमें आने वाली लागत को किसान वहन नहीं कर सकते। ऐसा नहीं करने पर उक्त जमीन को खेती लायक बनने में और 10 साल का समय लग जाएगा। सुकांत मंडल नामक एक अन्य किसान ने कहा-'हमने राजनीतिक दल की बातों में आकर गलती की थी। अगर हमने भी इच्छुक किसानों की तरह अपनी जमीन दे दी होती तो सिंगुर आज औद्योगिक केंद्र में तब्दील हो गया होता और रोजगार का सृजन होता।

हुगली लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी लॉकेट चटर्जी ने कहा-'अगर हम दोबारा सत्ता में आए और इस सीट पर भाजपा जीती तो हम यहां कुछ उद्योग लगाने की कोशिश करेंगे। तृणमूल ने सत्ता पाने के लिए सिंगुर के किसानों का इस्तेमाल किया और बाद में उन्हें फेंक दिया।'

वहीं माकपा प्रत्याशी प्रदीप साहा ने कहा-'सिंगुर के लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ है और वे अब तृणमूल को उन्हें गुमराह करने का सबक सिखाएंगे।' वहीं दूसरी ओर तृणमूल के एक स्थानीय नेता ने बताया कि भाजपा और माकपा को यहां चुनाव में कोई फायदा नहीं होने वाला। यहां के किसान अब उद्योग चाहते हैं और पार्टी ने यहां उद्योग लगाने का वादा किया है।'

दास्तां-ए-सिंगुर : 2006 में हुगली जिले के सिंगुर में टाटा मोटर्स के नैनो कारखाने के लिए बंगाल की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने 997.11 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। कुछ किसान जमीन देने के इच्छुक नहीं थे। उनसे जबरन उनकी जमीन ली गई थी। 400 एकड़ जमीन लौटाने की मांग पर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आंदोलन शुरू किया था।

सिंगुर को लेकर ममता ने कोलकाता के मेट्रो चैनल पर 26 दिनों तक अनशन भी किया था। विपक्ष के भारी विरोध के कारण 23 सितंबर, 2008 को टाटा ने कारखाने को सिंगुर से गुजरात शिफ्ट करने का फैसला किया, हालांकि जमीन लौटाने को लेकर अदालत में मामला चला। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर, 2016 को अनिच्छुक किसानों की जमीन लौटाने का फैसला सुनाया, जिसके बाद उन्हें जमीन लौटा दी गई।

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