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क्या जनता और क्या प्रशासन, एक कुत्ते को बचाने के लिए उमड़ पड़ा पूरा शहर

एक बेसहारा कुत्ते को बचाने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। क्या आम और क्या खास। क्या जनता और क्या प्रशासन। सात दिनों तक कोई भी चैन से नहीं बैठा।

By Arti YadavEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 08:47 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 08:47 AM (IST)
क्या जनता और क्या प्रशासन, एक कुत्ते को बचाने के लिए उमड़ पड़ा पूरा शहर
क्या जनता और क्या प्रशासन, एक कुत्ते को बचाने के लिए उमड़ पड़ा पूरा शहर

इमरान खान, नारायणपुर। बोरवेल में गिरे बच्चे या संकट में फंसे किसी इंसान को बचाने के लिए बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन हमने देखे हैं। कुएं में गिरे हाथी या बाघ को बचाने के लिए भी रेस्क्यू ऑपरेशन होते रहे हैं। लेकिन यह घटना एकदम अलग है। बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में एक बेसहारा कुत्ते को बचाने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। क्या आम और क्या खास। क्या जनता और क्या प्रशासन। सात दिनों तक कोई भी चैन से नहीं बैठा। मीडिया और सोशल मीडिया पर पल-पल की जानकारी अपडेट की जाती रही। सड़कों पर अनाउंसमेंट होता रहा। विभिन्न टीमों में बंटे लोग चप्पे-चप्पे पर डटे रहे। अंतत: कुत्ते को संकट से मुक्ति दिला दी गई।

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नक्सल हिंसा से जूझते इस इलाके में किसी निरीह मूकप्राणी के लिए पुरजोर संवेदनाओं से भरा यह पूरा घटनाक्रम बेहद मार्मिक और खासा दिलचस्प रहा। आम जनता के साथ ही आला अधिकारियों, कर्मचारियों और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने अपने-अपने साधन-संसाधनों के साथ सात दिनों तक मोर्चा संभाला। उप जिलाधिकारी, नायब तहसीलदार, पशु चिकित्सा विभाग, वन विभाग, होमगार्ड समेत नगर पालिका का अमला इस बचाव अभियान में जुटा रहा। सोशल मीडिया पर कुत्ता बचाओ अभियान शुरू हो गया। किसी बेसहारा कुत्ते को संकट से निजात दिलाने का इतना व्यापक और इतना लंबा चला बचाव अभियान हाल के दिनों में देश ही क्या दुनिया में भी शायद ही कहीं देखा गया है। इस घटना का कैनवास इसलिए भी बड़ा हो जाता है क्योंकि इसमें अभूतपूर्व जन सहभागिता थी। पूरे सात दिनों तक यह घटना शहर की सबसे बड़ी घटना, सबसे बड़ी खबर बनी रही।

प्लास्टिक के जार में कैद था कुत्ते का सर
वो एक दिसंबर की ठंडी शाम थी जब नायब तहसीलदार आशुतोष शर्मा अपने सरकारी आवास की ओर बढ़ रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक कुत्ता सड़क पार कर रहा है, जिसका पूरा सिर प्लास्टिक के जार में कैद है। कुत्ता अपनी गर्दन को बार-बार झटकते हुए सड़क पारकर जिला अस्पताल परिसर में जाकर बैठ गया। उस समय लोग उसे देखकर हंस रहे थे, लेकिन आशुतोष समझ रहे थे कि कुत्ता धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ रहा है क्योंकि न तो वह कुछ खा-पी सकता था और न ही खुलकर सांस ले सकता था। हुआ यूं होगा कि कुछ खाने-पीने के लालच में इस बेसहारा कुत्ते ने अपना मुंह प्लास्टिक के जार में डाला होगा, लेकिन जार ऐसा फंसा कि फिर लाख जतन के बाद भी नहीं निकला। अब कुत्ता बेचैन था, इधर आशुतोष भी। वो तुरंत अस्पताल की ओर बढ़े, लेकिन कुत्ता तब तक वहां से भाग गया।

प्रशासन ने संभाला मोर्चा
अंधेरा घिर चुका था। रात भर आशुतोष सो न सके। सुबह होते ही उन्होंने फोन कर अपने स्टाफ को अस्पताल के पास बुलाया। तभी पास ही के चाय दुकानदार लाल बहादुर पटेल ने बताया कि कुत्ते के सिर में जार दो दिन पहले फंसा था। बहरहाल, यह टीम अब कुत्ते की तलाश में निकल पड़ी। लेकिन वह कहीं न मिला। अगले दिन आशुतोष ने सोशल मीडिया पर एक मार्मिक संदेश पोस्ट किया। इसका असर हुआ। आम जन की संवेदनाओं को देखते हुए प्रशासन के विभिन्न विभागों ने मोर्चा संभाल लिया। अब न केवल जनता बल्कि सारा प्रशासन इस अभियान में कूद पड़ा था। कई गाडि़यों में बैठकर लोग आसपास के वीराने में उस कुत्ते को तलाशने लगे। सड़कों-गलियों में अनाउंसमेंट भी किया जा रहा था।

आशुतोष शर्मा बताते हैं कि यह छठा दिन था। तभी किसी ने बताया कि कि कुत्ता एएनएम ट्रेनिंग सेंटर के पास है। हम सभी ने वहां कायदे से मोर्चाबंदी की, लेकिन कुत्ता किसी तरह भाग निकला। अब उसे जाल में फांसने की योजना बनाई गई। अगली सूचना मिलने पर सभी जाल लेकर उसकी ओर बढ़े। उस पर जाल फेंका गया, लेकिन वह किसी तरह निकल कर एक बंद नाले में जा घुसा और दूसरे सिरे से भाग निकला।

कुत्ते को मिली दूसरी जिंदगी
सात दिसंबर को कुछ लोगों ने कुत्ते को सरकारी कॉलोनी के पास बने एक टैंक के निकट बैठा पाया। चारों ओर से घेराबंदी कर दी गई। तब रेंजर बी चक्रधर और पशु चिकित्सक डॉ. प्रवीण खरे को साथ लेकर नायब तहसीलदार आशुतोष शर्मा की टीम कुत्ते की तरफ बढ़ी। अंतत: कोशिश कामयाब हुई और कुत्ते को दमघोंटू जार से मुक्ति दिला दी गई। आशुतोष बताते हैं, हम सभी ने साफ महसूस किया कि जार से मुक्त हो कुत्ते ने चैन की लंबी सांस ली। मानो दूसरी जिंदगी पा ली हो।

इंसानियत की खातिर
अगले दिन तक पूरे शहर में इस अभियान की चर्चा के आगे चुनावी बतकही भी पीछे छूट चुकी थी। अब तक आसपास के गांव वाले भी शहर में आ चुके थे। सूचना देने वाले को एक हजार रुपये का इनाम देने की भी घोषणा कर दी गई। दूसरी ओर जिला प्रशासन ने भी नगर पालिका परिषद और होमगार्ड दस्ते को इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए लिखित आदेश जारी कर दिया।


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