अभी खतरा टला नहीं, देश में फिर से कोरोना महामारी के मामले आना चिंतनीय
देश में एक बार फिर से कोरोना महामारी का खतरा बढ़ता नजर आ रहा है। एक बार फिर से मार्च महीने में कोरोना के बढ़ते मामले आना चिंतनीय है। ऐसे में नियमों का पालन किया जाना जरूरी है। सार्वजनिक स्थलों पर लोग न मास्क ना दूरी का पालन कर रहे।
नई दिल्ली, जेएनएन। दुर्घटना तभी होती है जब कहीं लापरवाही होती है। वैश्विक महामारी कोविड 19 ने पूरे विश्व को परेशान कर रखा है। इससे भारी क्षति हो चुकी है। हिदायतों और सावधानी से इस पर कुछ हद तक नियंत्रण पाने के बाद अब गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं, लेकिन महामारी ने फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश में भी स्थितियां सही नहीं हैं। राज्य में सोमवार को 132 नए मामले सामने आए हैं। इनमें 98 मामले सिर्फ धर्मशाला में ही आए हैं। सोलन जिले में एक शिक्षिका समेत पांच विद्यार्थी भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।
चिंता की बात है कि 53 दिन के बाद कोरोना संक्रमण के एक दिन में इतनी अधिक संख्या में मामले आए हैं। अब लगभग सभी गतिविधियां पटरी पर लौट रही हैं, लेकिन यह समझना कि खतरा टल गया है, सही नहीं हैं। अब फिर से महामारी के मामले सामने आने से लगता है कि लोग इसके प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं। नियमों का पालन किया जाना अब भी उतना ही जरूरी है। सार्वजनिक स्थलों पर अब लोग न तो मास्क का प्रयोग कर रहे हैं, न ही शारीरिक दूरी के नियम का पालन किया जा रहा है।
प्रशासनिक तौर पर जो सख्ती पहले की जा रही थी, वह भी अब नहीं दिखती है। यह सही है कि कोरोना से बचाव की वैक्सीन तैयार हो गई है और इसे चरणबद्ध तरीके से लोगों को लगाया जा रहा है, लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि अब महामारी से बचने की हिदायतों को भूल जाएं। स्वास्थ्य विभाग की हिदायतों का पालन किया जाना जरूरी है। इस बात को भी समझना चाहिए कि मास्क और शारीरिक दूरी सिर्फ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए ही जरूरी नहीं है, इससे कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
अभी सीमित संख्या में ही कोरोना की वैक्सीन तैयार हो पाई है, इसी कारण चरणबद्ध तरीके से यह दी जा रही है। लोगों को चाहिए कि स्वास्थ्य विभाग जो भी हिदायतें जारी कर रहा है उनका सख्ती से पालन किया जाए। किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इस महामारी से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। महंगाई बढ़ने का एक कारण यह महामारी भी है। अगर पुन: स्थितियां बिगड़ती हैं तो भविष्य में गंभीर चुनौतियां का सामना करना पड़ सकता है।