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फर्जी नक्सल मुठभेड़ को लेकर सुरक्षा बलों पर चल सकता है देश का सबसे बड़ा मुकदमा

28 जून 2012 की रात को बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र के सारकेगुड़ा में तीन गांवों के ग्रामीणों की बैठक में गश्त पर निकली फोर्स ने गोलीबारी की थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 10:19 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 10:23 PM (IST)
फर्जी नक्सल मुठभेड़ को लेकर सुरक्षा बलों पर चल सकता है देश का सबसे बड़ा मुकदमा
फर्जी नक्सल मुठभेड़ को लेकर सुरक्षा बलों पर चल सकता है देश का सबसे बड़ा मुकदमा

जगदलपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ स्थित सारकेगुड़ा गांव में 2012 में नक्सलियों के साथ फर्जी मुठभेड़ में 17 ग्रामीणों की हत्या का मामला गर्माता जा रहा है। जस्टिस वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग की रिपोर्ट आने के बाद नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बलों पर देश का सबसे बड़ा मुकदमा चल सकता है। कांग्रेस नेताओं के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग के बाद इस मामले में प्रदेश सरकार ने भी सख्ती का संकेत दिया है।

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अफसरों और जवानों पर दर्ज हो सकता है मुकदमा

सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़ की घटना में शामिल केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल (CRPF) और छत्तीसगढ़ पुलिस के 190 से अधिक जवानों और अफसरों पर मुकदमा दर्ज हो सकता है। अभी इन सुरक्षा बलों का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। न्यायिक जांच रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच चुकी है और विधि विभाग के अधिकारी इसका अध्ययन कर रहे हैं। न्यायिक जांच रिपोर्ट में पुलिस द्वारा की गई घटना की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कुछ पुलिस अफसरों और सुरक्षा बलों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाले जवान भी कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं।

ग्रामीणों की बैठक में फोर्स ने की थी गोलीबारी

बता दें कि साढ़े सात साल पहले 28 जून 2012 की रात को बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र के सारकेगुड़ा में तीन गांवों के ग्रामीणों की बैठक में गश्त पर निकली फोर्स ने गोलीबारी की थी। इसमें सात नाबालिग बच्चों सहित 17 ग्रामीण मारे गए थे। विदित हो कि मामले में सर्व आदिवासी समाज ने भी न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए गोलीबारी में शामिल रहे अफसर और जवानों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करते पीडि़त परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की है।

सीआरपीएफ ने बताया था नक्सली मुठभेड़, आयोग ने कहा गोलीबारी अकारण

सारकेगुड़ा कांड को सीआरपीएफ ने नक्सलियों के साथ मुठभेड़ बताया था। मारे गए ग्रामीणों को नक्सली बताया गया था। विशेष न्यायिक जांच आयोग ने 78 पेज की अपनी रिपोर्ट में मुठभेड़ को फर्जी करार देते ग्रामीणों की मौत के लिए फोर्स की अकारण गोलीबारी को वजह बताया है। मुठभेड़ को फर्जी करार दिए जाने के बाद सारकेगुड़ा कांड में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे सुरक्षा बल और पुलिस के अधिकारी-जवान निशाने पर आ गए हैं। आयोग ने 17 अक्टूबर 2019 को रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन का सौंप दी थी जिसे दो नवंबर को कैबिनेट की बैठक में रखा गया था। उल्लेखनीय है कि इस घटना में दो घायल ग्रामीणों को नक्सली बताकर पुलिस ने जेल भेजा था, जिन्हें जगदलपुर में स्थापित एनआइए की विशेष अदालत दो साल पहले ही बरी कर चुकी है।


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