एसबीआइ, पीएनबी और बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों की मदद से बाहर भेजा गया कालाधन
सीबीआइ का आरोप है कि 24 खातों के जरिये 488.39 करोड़ रुपये विदेश भेजे गए। बताया गया कि उक्त राशि सामान आयात के लिए एडवांस के तौर पर भेजी गई।
नई दिल्ली, प्रेट्र। स्विस बैंकों में कालाधन रखने के लिए लोग अपने नाम के साथ-साथ अलग-अलग ट्रस्ट के नाम से खाता खुलवा लेते हैं। भारत और स्विट्जरलैंड के कर अधिकारियों ने अब ऐसे ट्रस्टों की पहचान की है। ऐसे ट्रस्टों को स्विट्जरलैंड के कर प्राधिकरणों ने नोटिस जारी किए हैं। इतना ही नहीं, स्विट्जरलैंड के कर अधिकारी ऐसे व्यक्तियों की बैंक जानकारियां भारत के कर अधिकारियों के साथ साझा भी कर रहे हैं।
सीबीआइ ने कथित तौर पर 1,038 करोड़ रुपये का काला धन हांगकांग भेजने के मामले में 48 कंपनियों व तीन लोगों समेत कुल 51 पर मुकदमा दर्ज किया है। मामला वर्ष 2014-15 का है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
एसबीआइ, पीएनबी और बैंक ऑफ इंडिया के थे अधिकारी
ज्यादातर संस्थाओं के मालिक चेन्नई के रहने वाले हैं। आरोप है कि संस्थाओं ने बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर 1,038 करोड़ रुपये का काला धन हांगकांग भेज दिया। सीबीआइ को जानकारी मिली कि 48 कंपनियों के 51 करंट खाते तीनों बैंकों की चार शाखाओं में संचालित हो रहे हैं। इनके जरिये 1,038.34 करोड़ रुपये विदेश भेजे गए।
सीबीआइ का आरोप है कि 24 खातों के जरिये 488.39 करोड़ रुपये विदेश भेजे गए। बताया गया कि उक्त राशि सामान आयात के लिए एडवांस के तौर पर भेजी गई। 27 अन्य खातों का इस्तेमाल 549.95 करोड़ रुपये विदेश भेजने के लिए किया गया। बताया गया कि वह राशि भारतीय सैलानियों के विदेश भ्रमण के मद में भेजी गई।
बिचौलियों को खिलाया कमीशन
एजेंसी ने जिन तीन लोगों को नामजद किया है, उनमें एमआइ जॉनी, जेड. मिधर और निजामुद्दीन शामिल हैं। सीबीआइ का आरोप है कि 24 में से 10 कंपनियों ने थोड़ी मात्रा में सामान का आयात किया। कंपनी द्वारा बैंक को सौंपे गए बिल और आयात सामान के मूल्य में मिलान नहीं हुआ। जांच एजेंसी ने रिपोर्ट में बताया, 'आरोपितों ने विदेश पैसा भेजने के लिए बिचौलियों को कमीशन खिलाया और बैंक अधिकारियों को भी रिश्वत दी गई।' सीबीआइ का आरोप है कि ज्यादातर राशि वर्ष 2015 की दूसरी छमाही में भेजी गई। बैंक ने अपना टर्नओवर लाखों में दिखाया, जबकि करोड़ों रुपये विदेश भेजे गए।