Indian Railways: नशे में ड्यूटी पर आने से रोकने की रेलवे में बढ़ेगी चुनौती, जोनल महाप्रबंधकों से मांगी गई राय
रेलवे बोर्ड की सबसे बड़ी मुश्किल ट्रेनों को चलाने या ट्रेनों के संचालन में सहयोग करने वाले उस स्टाफ से है जो पीकर ड्यूटी पर पहुंचते हैं।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। लॉकडाउन के बाद नियमित ट्रेनों के संचालन के शुरु होने पर रेलवे कर्मचारियों की हाजिरी को लेकर आला अफसरों की चिंताएं बढ़ गई हैं। कोरोना वायरस की वजह से हाजिरी के साथ ब्रीथ एनलाइजर जैसी मशीन के हटा देने पर अब नशे में ड्यूटी पर आने वाले कर्मचारियों को रोकने की चुनौती बढ़ गई है। इसकी जगह अब आंख व चेहरा पढ़ने वाली मशीनों के साथ आवाज के नमूने से पहचान लेने वाली मशीनों से हाजिरी लेने पर विचार शुरु कर दिया गया है। मंत्रालय ने इन्हीं में से किसी एक या दो विकल्प पर सभी जोनल महाप्रबंधकों से उनकी राय मांगी गई है।
इसकी जगह जो विकल्प सुझाए गए हैं, उनमें आंख और फेस रीडिंग के साथ आवाज के नमूने पर सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि इसमें पारदर्शी (ट्रांसपैरेंट) डिस्पोजल ग्लोब्स से बायोमीट्रिक से हाजिरी लगाने का प्रस्ताव भी है। दरअसल, सबसे बड़ा संकट रेलवे के उन कर्मचारियों को लेकर पैदा हो रहा है, जो आदतन शराब पीकर ट्रेन के संचालन करने पहुंच जाते हैं। नशे में ट्रेन चलाना या ट्रेन चलाने में सहयोगी कर्मचारी पूरी ट्रेन के लिए खतरा बन सकता है। इसी पर पाबंदी लगाने के मकसद से उनकी जांच के लिए ही ब्रीथ एनलाइजर जैसी मशीन लगाई गई हैं, जिसमें उन्हें फूंक मारकर हाजिरी देनी पड़ती थी। लेकिन कोविड-19 वायरस के खतरे ने उस मशीन की उपयोगिता पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इसी तरह का संकट अंगुली के निशान से हाजिरी लगाने को लेकर भी पैदा हो गया है। पूरे देश में फिलहाल इन दोनों मशीनों पर पाबंदी लगा दी गई है।
पीकर ड्यूटी करने वालों से रेलवे को है सबसे ज्यादा दिक्कत
रेलवे बोर्ड की सबसे बड़ी मुश्किल ट्रेनों को चलाने या ट्रेनों के संचालन में सहयोग करने वाले उस स्टाफ से है, जो पीकर ड्यूटी पर पहुंचते हैं। आंख व चेहरा पढ़ने वाली मशीन भला शराबी कर्मचारियों को कैसे पहचान करेगी? आवाज के नमूने से हाजिरी लगाने वाली मशीनों की भी काट निकाल लिए जाने की बात कही जा रही है। यही वजह है कि इन्हीं विकल्पों में किसी एक पर अथवा किसी और विकल्प के बारे में भी सुझाव दिया जा सकता है। इसमें प्रस्तावित मशीन अथवा टेक्नोलॉजी की लागत पर ध्यान दिए जाने की बात कही गई है। विभिन्न जोनों से हर हाल में सुझाव इसी सप्ताह भेज देने को कहा गया है।