बहन को हाथियों से बचाने के लिए मौत के मुंह तक गई कांती, मिलेगा वीरता पुरस्कार
7 साल की कांति ने अपनी 3 साल की मासूम बहन को हाथियों से बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगाई और बहन की जान बचा ली।
रायपुर, जेेएनएन। दुनिया में कुछ ही लोग ऐसे हैं, जो अपनों से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचते हैं। जरूरत होने पर दूसरे की हिफाजत के लिए ये अपनी जान की बाजी लगाने से भी पीछे नहीं हटते। कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जिनमें यह विशेषता होती है। छत्तीसगढ़ के ऐसे ही सात बच्चे गणतंत्र दिवस के मौके पर वीरता पुरस्कार से नवाजे जाएंगे। इन्हीं में से एक है-सरगुजा जिले की कांति। इस 7 साल की बच्ची ने अपनी 3 साल की मासूम बहन को हाथियों से बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगाई और बहन की जान बचा ली।
सरगुजा जिले के उदयपुर के मोहनपुर गांव के रहने वाले विनोद सिंह की 7 साल की बेटी कांति के गांव में 17 जुलाई जंगली हाथियों के झुंड ने धावा बोला। पूरे गांव में फसल बर्बाद करने के बाद झुंड बस्तियों तक तबाही फैलाने पहुंच गया। हाथी पूरे गांव में उपद्रव करने लगे। हाथियों का झुंड ग्राम निवासी खोरा राम कंवर के घर को तोड़ते हुए बाड़ी में पहुंच गया और वहां लगी मक्का की फसल को बर्बाद करने लगा। हाथियों से डर के कारण खोरा राम के परिवार के सभी सदस्य घर में तीन वर्ष की बच्ची सोनिया को भूलकर बाहर निकल गए।
कुछ दूर जाकर अपने साथ सोनिया को न देखकर सभी सहम गए, लेकिन घर को घेरे हुए हाथियों के झुंड के बीच जाने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। सभी छोटी बच्ची सोनिया के लिए परेशान थे, इसी बीच कांति वहां से बिजली की फूर्ति के साथ घर की ओर दौड़ी। हाथियों के झुंड के बीच से होते हुए वह घर के अंदर पहुंची और छोटी बहन को गोद में उठाकर उसे वापस हाथियों के झुंड के बीच से होते हुए सकुशल बचा लाई। इस बच्ची की बहादुरी को देखते हुए पुलिस ने इसे वीरता सम्मान देने की अनुशंसा की थी।