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पृथ्‍वी के सबसे निकट का ब्‍लैकहोल हो रहा चमकदार, जानिए दुनिया पर इसका क्‍या असर पड़ेगा

एक रिसर्च में बताया गया है कि ब्लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार पहले की तुलना में ज्यादा भूखा हो गया है जिससे यह आसपास की चीजों को ज्यादा तेजी से अपने में समाहित कर रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 09:51 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 08:27 AM (IST)
पृथ्‍वी के सबसे निकट का ब्‍लैकहोल हो रहा चमकदार, जानिए दुनिया पर इसका क्‍या असर पड़ेगा
पृथ्‍वी के सबसे निकट का ब्‍लैकहोल हो रहा चमकदार, जानिए दुनिया पर इसका क्‍या असर पड़ेगा

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कुछ समय पहले एक शांत ब्‍लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार में हलचल देखी गई है। इसके आसपास का इलाका पहले की तुलना में ज्‍यादा चमकदार है। इस साल में इसकी चमक दोगुनी बढ़ी है। सैजिटैरस ए स्टार ब्‍लैकहोल की खोज 24 वर्ष पहले हुई थी। यह आकाश गंगा मिल्की वे के केंद्र में स्थित है। इसे एक शांत ब्लैकहोल माना जाता है। गौरतलब है कि 10 अप्रैल 2019 को वैज्ञानिकों के एक समूह ने ब्लैक होल की एक फोटो जारी की थी। यह फोटो पृथ्वी के सबसे पास स्थित दो ब्लैकहोलों में से एक M-87 की थी।

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इसके अलावा दूसरे ब्लैकहोल का नाम है सैजिटैरस ए स्टार। यह पृथ्वी से करीब 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है। एक प्रकाश वर्ष का मतलब सूरज की रोशनी की गति से चलने पर एक साल में तय की गई दूरी होता है। प्रकाश की गति करीब तीन लाख किलोमीटर प्रति घंटा होती है। माना जा रहा है कि इन बदलावों को धरती या इस आकाशगंगा के किसी ग्रह पर असर नहीं पड़ेगा।

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क्‍या है ब्लैक होल?

ब्लैकहोल अंतरिक्ष का एक हिस्सा है, जहां भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। यहां तक कि प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है इसीलिए इसको ब्लैक होल कहते हैं क्योंकि इसको हम सीधे से नहीं देख सकते हैं।

फोटो के बाद अब ब्लैकहोल का वीडियो आएगा

विश्‍व के अलग-अलग देशों के 347 वैज्ञानिकों की एक टीम ब्लैकहोल के ऊपर काम कर रही है। इस टीम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वैज्ञानिक शेप डोएलेमान ने कहा कि जिस तरह 2019 में ब्लैकहोल की फोटो आई, वैसे ही 2020 में ब्लैकहोल का वीडियो भी जारी होगा। हालांकि, यह वीडियो ज्यादा स्पष्ट नहीं होगा लेकिन इससे देखा जा सकेगा कि ब्लैकहोल किस तरह आसपास मौजूद गैस के गुबार और तारों को अपने अंदर खींच लेता है। उन्होंने कहा कि अगले दशक में ब्लैकहोल की उच्‍च गुणवत्‍ता वाली फोटो और वीडियो लेने की तकनीक बना कर ली जाएगी।

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पहले से ज्‍यादा भूखा हो गया है यह ब्‍लैकहोल

वैज्ञानिकों ने इस असामान्य घटनाक्रम का कारण बताया है। एस्ट्रोफिजिकल जनरल लेटर्स में छपे एक रिसर्च में बताया गया है कि ब्लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार पहले की तुलना में ज्यादा 'भूखा' हो गया है जिससे यह आसपास की चीजों को ज्यादा तेजी से अपने में समाहित कर रहा है। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिकों ने 'बिग फीस्ट' यानी बड़ा भोज नाम दिया है।

एक ब्लैकहोल खुद से किसी भी तरह का प्रकाश नहीं निकालता है, लेकिन जो चीजें इसमें समाती जाती हैं वो इसके प्रकाश का स्रोत हो जाती हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पिछले साल इस ब्लैकहोल के करीब से गुजरे SO 2 नाम के एक तारे से निकली गैस अब ब्लैकहोल में पहुंची होगी। इसकी वजह से यह असामान्य रोशनी दिख रही है। SO 2 का आकार सूरज के आकार से करीब 10 गुना बड़ा है। यह सैजिटैरस के चारों ओर 16 साल में एक चक्कर पूरा करता है।

वैज्ञानिकों ने बताई दूसरी वजह

वैज्ञानिकों ने इसकी दूसरी संभावना जताई है कि यह ब्लैकहोल अपने आकार के हिसाब से जल्दी बड़ा हो रहा है। फिलहाल में वैज्ञानिकों के पास ब्लैकहोल की रोशनी मापने के जो उपकरण हैं, तो संभव है कि पर्याप्त क्षमता का ना हों। इसकी वजह से वैज्ञानिकों को यह रोशनी असामान्य लग रही हो। ऐसे में वैज्ञानिकों को अपने उपकरणों को अपडेट करने की जरूरत होगी। ब्लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार का यह असामान्य व्यवहार इस साल तीन बार देखा गया। 13 मई को सैजिटैरस ए स्टार का बाहरी इलाका पहले की तुलना में लगभग 2 गुना ज्यादा चमकदार था। इसके बाद दूसरे रिसर्च से भी पता चला है कि इस ब्लैकहोल का बाहरी हिस्सा ज्यादा चमकदार हो गया है।

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फोटो जारी करने वाली टीम को मिला पुरस्‍कार

ब्लैकहोल का फोटो जारी करने वाली टीम को हाल में सांइस का ऑस्कर कहा जाने वाला ब्रैकथ्रू प्राइज इन फंडामेंटल फिजिक्स दिया गया है। इस पुरस्कार में 30 लाख डॉलर यानी करीब 20 करोड़ रुपये की इनामी राशि दी जाती है। ब्लैकहोल की फोटो लेने के इस प्रोजेक्ट पर पिछले 20 सालों से काम किया जा रहा था। फोटो लेने के बाद अब ब्लैकहोल का एक साफ और स्पष्ट फोटो लेकर उस पर रिसर्च करना इस टीम के सामने एक नया लक्ष्य है। 

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