शहीद के परिजनों को एसडीओपी का बेतुका जवाब, ग्रामीणों ने खदेड़ा
मणिपुर उग्रवादी हमले में शहीद जिले के सैनिक जीतेन्द्र कुशवाहा के परिजनों को एसडीओपी ने बेतुका जवाब दिया। परिजनों का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री नहीं आएंगे तब तक वे शहीद सैनिक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। शहीद सैनिक का शव यहां पहुंचने से माहौल खासा गमगीन हो गया।
श्याम मिश्रा, रीवा। मणिपुर उग्रवादी हमले में शहीद जिले के सैनिक जीतेन्द्र कुशवाहा के परिजनों को एसडीओपी ने बेतुका जवाब दिया। परिजनों का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री नहीं आएंगे तब तक वे शहीद सैनिक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। शहीद सैनिक का शव यहां पहुंचने से माहौल खासा गमगीन हो गया।
शहीद सैनिक के परिवारवालों को यूपी सरकार देगी 20-20 लाख
इस पर त्योंथर तहसील एसडीओपी महेंद्रसिंह ठाकुर का कहना था कि उन्हें यह सब क्यों बताया जा रहा है। उनका कहना था सड़ने दो हमें क्यों बता रहे हो, मत करो अंतिम संस्कार धरे रहो अपने घर। हालांकि बाद में पूछे जाने पर एसडीओपी ने इससे इंकार किया है। अंतिम संस्कार में सीएम के आने की मांग करने पर एसडीओपी त्योंथर भड़क गए थे।
जम्मू-कश्मीरः बारामूला में घुसपैठ की कोशिश नाकाम, 3 आतंकी ढेर
बेतुकी बयानबाजी करने से नाराज ग्रामीणों ने एसडीओपी महेंद्र सिंह को गांव से खदेड़ दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि महेंद्र सिंह ने शहीद के परिजनों का अपमान किया है। एसडीओपी यहां शहीद के अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे थे। यह सूचना मिलते ही एसपी आकाश जिंदल और आईजी श्रीनिवास वर्मा मौके पर पहुंचकर हालात को नियंत्रित करने में लगे थे।
इस वाकए के बाद परिजन आहत हुए। रात में बल ना पहुंचने पर परिजनों ने लगाया था एसडीओपी को फोन।वहीं शहीद की मौत के बाद उसके भाई की मानसिक हालत खराब हो गई है। उसने हंसते हुए बताया कि भाई जिंतेंद्र आ रहा है।
शहीद सैनिक के पार्थिव शरीर का इंतजार परिवार के सदस्य करते रहे वहीं गांव के साथ आसपास के गांवों के भी हजारों लोग एकत्रित हैं। शव दिल्ली से इलाहाबाद और वहां से यहां दोपहर में लाया गया। गांव बरादर फरहदी यहां से करीब 78 किलोमीटर दूर है। नईदुनिया की खबर के बाद गांव में शासन - प्रशासन के लोग एकत्रित हो गए हैं। शहीद सैनिक का गार्ड आॅफ आॅनर के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
(साभार : नई दुनिया)