खतरे में वीरभद्र की कुर्सी
भ्रष्टाचार के मामले में फंसते जा रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आ रही है। दरअसल, उनके मामले में कांग्रेस आलाकमान भी पसोपेश में है। इस्पात मंत्री रहते वीरभद्र सिंह पर लगे आरोपों पर सीबीआइ जांच तेजी पकड़ रही है। वहीं, भाजपा ने हितों के टकराव के दो मामलों को
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के मामले में फंसते जा रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आ रही है। दरअसल, उनके मामले में कांग्रेस आलाकमान भी पसोपेश में है। इस्पात मंत्री रहते वीरभद्र सिंह पर लगे आरोपों पर सीबीआइ जांच तेजी पकड़ रही है। वहीं, भाजपा ने हितों के टकराव के दो मामलों को उछालकर वीरभद्र पर हमला बोल दिया है। मौजूदा सियासी माहौल व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैये के चलते वीरभद्र को सफाई देने के लिए दिल्ली आना पड़ा। फिलहाल पार्टी उनके बचाव में तो है, लेकिन वीरभद्र को जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले बिना हिमाचल लौटना पड़ा, उससे उनको अभयदान नहीं मिलने के भी स्पष्ट संकेत मिले हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वीरभद्र पर कार्रवाई से पहले पार्टी नेतृत्व उन्हें आरोपों से निकलने का मौका देना चाहता है। इसके लिए कांग्रेस कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर लड़ेगी, लेकिन भ्रष्टाचार पर राहुल के सख्त रवैये के चलते अगर इस मुद्दे पर छवि की बात आई तो हिमाचल में नेतृत्व परिवर्तन से भी पार्टी परहेज नहीं करेगी। भाजपा के आरोपों और सीबीआइ की जांच के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर वीरभद्र ने पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को हर मुद्दे पर अपनी सफाई दी है। सिंघवी पूरे मामले पर कानूनी राय से कांग्रेस नेतृत्व को अवगत कराएंगे।
जाहिर है कि वीरभद्र के मामले में आलाकमान के फैसले में सिंघवी की रिपोर्ट की अहम भूमिका होगी।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी में एक बड़ा खेमा हर हाल में वीरभद्र के बचाव में खड़े होने का पक्षधर है, लेकिन राहुल ने साफ कर दिया है कि अगर बात छवि तक पहुंची तो समझौता नहीं होगा। इसीलिए कांग्रेस ने वीरभद्र से कहा है कि वह हिमाचल में ही भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के क्रिकेट स्टेडियम बनाने में अनियमितताओं जैसे मामलों में आक्रामक राजनीतिक जवाब दें। हिमाचल की प्रभारी अंबिका सोनी से भी वीरभद्र की मुलाकात हुई है। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि वह भाजपा के साथ-साथ सीबीआइ जांच से भी उबरने में कामयाब रहेंगे। फिलहाल सोनिया ने वीरभद्र से न मिलकर साफ संकेत दे दिया है कि अगर बात बढ़ी तो उन्हें हटना पड़ेगा।
जेटली के आरोपों का मजबूत शिकंजा भाजपा नेता अरुण जेटली के आरोपों पर दिए जवाब में भी वीरभद्र ने हितों के टकराव को स्वीकार कर लिया है। वीरभद्र ने स्वीकार किया है कि उन्होंने हिमाचल में वेंचर एनर्जी एंड टेक्नोलॉजी लिमिटेड से कर्ज लिया था।
गौरतलब है कि इसी कंपनी को ऊर्जा परियोजना मिली है। वीरभद्र का दावा है कि कंपनी के मालिक वाकामूला चंद्रशेखर उनके पारिवारिक दोस्त हैं। हालांकि, उन्होंने इस कर्ज की जरूरत का जिक्र नहीं किया।
वाकामूला चंद्रशेखर की दूसरी कंपनी तारिणी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में प्रतिभा सिंह, अपराजिता सिंह और विक्रमादित्य सिंह समेत वीरभद्र के शेयर हैं। भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए वीरभद्र ने कहा है कि उन्होंने कंपनी व सेबी एक्ट गाइडलाइंस का पालन करते हुए कीमत देकर शेयर खरीदे हैं। परिजनों पर कहा कि वे बालिग हैं और उनसे उनका मतलब नहीं।
इस मामले में भ्रष्टाचार साबित न भी हो तो हितों के टकराव का मामला सामने आएगा। इसी पर सिंघवी को रिपोर्ट देनी है। सीबीआइ ने उनके इस्पात मंत्री रहते मिली डायरी की जांच को आगे बढ़ाकर समस्याएं बढ़ा दी हैं। गौरतलब है कि जेटली ने वीरभद्र पर एक बिजली कंपनी को घूस लेकर फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था।
वीरभद्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर