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ठक-ठक गिरोह का टर्नओवर आपके होश उड़ा देगा, चीन से लेकर बैंकॉक और दुबई तक तार

मेरठ पुलिस ने एक ठक-ठक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के तार बैंकॉक चीन और दुबई तक जुड़े हैं। हर साल कितने करोड़ के मोबाइल चोरी होते हैं ये जानकर आपके होश उड़ जाएंगे।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 03:15 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 08:33 AM (IST)
ठक-ठक गिरोह का टर्नओवर आपके होश उड़ा देगा, चीन से लेकर बैंकॉक और दुबई तक तार
ठक-ठक गिरोह का टर्नओवर आपके होश उड़ा देगा, चीन से लेकर बैंकॉक और दुबई तक तार

मेरठ/नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। ठक-ठक जब भी होती है तो इसे किसी की आहट माना जाता है। आप घर पर हों और दरवाजे पर ठक-ठक हो, गाड़ी में हों और शीशे पर ठक-ठक हो तो आम तौर पर यह ठक-ठक दस्तक का ही पर्याय हैं। घर पर हों तो आप दरवाजा खोलकर आने वाले का स्वागत करते हैं, लेकिन गाड़ी के शीशे पर ठक-ठक हो तो सावधान हो जाएं। क्योंकि यह ठक-ठक आपको भारी पड़ सकती है। जी हां, ठक-ठक गिरोह आप पर नजर रखे हुए है और आपकी एक छोटी सी भूल पछतावे का कारण बन सकती है। देशभर में कई ऐसे भुक्तभोगी मिल जाएंगे, जिन्होंने इस ठक-ठक को दस्तक समझकर गाड़ी का शीशा नीचे किया और फिर अपना लैपटॉप, मोबाइल जैसे कीमती सामान गंवा बैठे। ठक-ठक गिरोह का टर्नओवर और उनके विदेशी लिंक तो आपके होश उड़ाने के लिए काफी हैं। पहले बात करते हैं यह गैंग काम कैसे करता है...?

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Modus Operandi

ठक-ठक गिरोह का मोडस ओपरेंडी यानि काम करने का तौर तरीका क्या है? इस गैंग के सदस्य दो या इससे ज्यादा के ग्रुप में ही अपने शिकार पर हमला बोलते हैं। मान लीजिए आप किसी भीड़-भाड़ वाली सड़क से गुजर रहे हैं या रेड लाइट के पास आकर रुके हैं। ऐसे में इनका एक सदस्य कार के बांयी (लेफ्ट) तरफ शीशे पर ठक-ठक करके ऐसी एक्टिंग करता है, जैसे आपकी कार के नीचे उसका पैर आ गया है। आप कार की खिड़की का शीशा नीचे करके उससे बात करने लगते हैं या कभी-कभी डांटने लगते हैं। इसी बीच इसी गिरोह का एक सदस्य कार के दायीं तरफ (ड्राइवर साइड) के शीशे पर ठक-ठक करता है। आप बांयी तरफ के शख्स से बात करते-करते अचानक दायीं तरफ वाले व्यक्ति को सुनने लगते हैं वह आपको गाड़ी आगे बढ़ाने को कहता है। इस बीच वह कुछ हरकतें करके आपको अपनी बातों में उलझा लेता है। इसी दौरान बायीं तरफ एक्टिंग कर रहा शख्स गाड़ी के डैशबोर्ड या सीट पर रखा आपका लैपटॉप या मोबाइल उड़ा देता है। जब तक आप कुछ समझ पाते हैं तब तक दोनों आंखों से ओझल हो चुके होते हैं।

फोन चोरी कर करोड़ों के वारे-न्यारे

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की साल 2016 की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 50 हजार से ज्यादा मोबाइल चोरी और लूट की घटनाएं सामने आती हैं। NCRB की साल 2016 की रिपोर्ट में बताया गया कि कुल 54615 मोबाइल फोन की चोरी या लूट हुई। इसी रिपोर्ट के अनुसार कुल 10617 लैपटॉप और 7617 अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की चोरी या लूट हुई। रिपोर्ट के अनुसार कुल 54 हजार से भी ज्यादा चोरी या लूटे गए मोबाइल फोन में से सिर्फ 15671 को ही पुलिस ढूंढ पायी। यह रिपोर्ट साल 2016 की है और चोरी और लूट की घटनाएं लगातार बढ़ ही रही हैं। मोबाइल फोन में भी अब स्मार्टफोन की संख्या ज्यादा है। ऐसे में अगर एक मोबाइल की औसत कीमत 5 हजार भी मानी जाए तो इस तरह से 2016 में ही 27 करोड़ 30 लाख रुपये से ज्यादा कीमत के फोन चोरी हो गए या लूट लिए गए।

मेरठ पुलिस ने किया गैंग का भंडाफोड़

उत्तर प्रदेश की मेरठ पुलिस ने ऐसे ही एक ठक-ठक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस गिरोह के सरगना शरद गोस्वामी को उसके छह साथियों के साथ कंकरखेड़ा क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। इस गिरोह की दो महिला सदस्य, चांदनी और सोनिया अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। उनकी तलाश जारी है। गिरफ्तार शातिर बदमाशों के पास से पुलिस ने लाखों रुपये मूल्य के 280 मोबाइल फोन, 6 लैपटॉप और लाइसेंसी हथियार भी बरामद किए हैं। बुधवार सुबह ADG प्रशांत कुमार और SSP अजय साहनी ने रिजर्व पुलिस लाइन में प्रेस कांफ्रेंस की। ADG ने बताया कि गैंग का सरगना शरद गोस्वामी ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के माधवपुरम सेक्टर तीन में रहता है। उन्होंने बताया कि इस गैंग में करीब 100 बदमाश हैं और इनका नेटवर्क दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ है। इस मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी गई है।

विदेशों तक फैले ठक-ठक गिरोह के तार

मेरठ पुलिस ने जिस ठक-ठक गैंग का भंडाफोड़ किया है, उसके तार विदेशों तक फैले हुए हैं। देश के विभिन्न राज्यों से मोबाइल चुराकर और लूटकर यह गैंग नेपाल, चीन, बैंकॉक और दुबई तक सप्लाई करता है। लूटे गए मोबाइल फोन का लॉक तोड़कर और IMEI बदलकर उसे फिर से इस्तेमाल लायक बनाना सबसे बड़ी चुनौती होती है और इसके लिए यह गैंग ई-मेल पर ओटीपी और पासवर्ड मंगवाकर काम को पूरा करता था। यही नहीं एप्पल सहित कई मोबाइल कंपनियां अपनी डिवाइस को सिक्योर करके रखती हैं, ताकि चोरी होने पर उनका इस्तेमाल न किया जा सके। इस गैंग के पास इसका भी इलाज है और यह ऐसे मोबाइल फोन को चीन भेजकर खुलवा लेता था।

पुलिस भी ठक-ठक गिरोह के साथ

चोरी या लूट की किसी भी घटना के बाद हम सभी शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस के पास जाते हैं। इस गिरोह ने पुलिस को भी साध रखा था। सहारनपुर में तैनात दारोग जयवीर और सिपाही विपिन भाटी व कामिल इस गिरोह के लिए काम करते थे। इन तीनों को भी निलंबित कर दिया गया है। यह तो वे सरकारी मुलाजिम हैं जिनके ठक-ठक गिरोह से संबंधों का खुलासा हो गया है, हो सकता है ऐसे ही कुछ अन्य पुलिसकर्मी भी हों जो इस गिरोह के लिए काम करते हों।

पांच साल में बना करोड़पति

गिरोह का सरगना शरद गोस्वामी पांच साल पहते तक मेरठ के ही खत्ता रोड निवासी बिलाल के पास दिहाड़ी पर काम करता था। बाद में बिलाल की हत्या हो गई और अब शरद इस गिरोह का सरगना बन गया। रोचक बात तो यह है कि इतना बड़ा शातिर अपराधी होने के बावजूद उसके पास पासपोर्ट और हथियारों के लाइसेंस तक बने हुए हैं। पैन और आधार कार्ड बनना तो मामूली बात है और यह भी उसके पास हैं। पुलिस ने शरद और उसके परिवार के चार बैंक खातों को सीज किया है। इन खातों से 3.34 करोड़ का लेनदेन हुआ है। शरद गोस्वामी अब तक नेपाल, चीन और दुबई की यात्राएं कर चुका है। यही नहीं इस काली कमाई से उसने काफी मात्रा में सोना खरीदा हुआ है और शेयर बाजार में भी उसने मोटी रकम लगाई हुई है। पुलिस उसके और गैंग के अन्य बैंक खातों की भी तलाश कर रही है। पुलिस ने बताया कि शरद का बैंकॉक के एक बैंक में भी NRI खाता है, जिसमें वह काली रकम जमा कराता था।

मुंबई से नदीम करता था विदेशों में सप्लाई

हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि इस ठक-ठक गिरोह के तार कहां-कहां तक जुड़े हुए हैं। इस गैंग का एक सदस्य नदीम मुंबई से काम करता है। वह चोरी के मोबाइल फोन दूसरे देशों में सप्लाई करता है। WhatApp के जरिए मोबाइल फोन की फोटो भेजकर नदीम सौदा तय करता था और उसके बाद मोबाइल नेपाल के जरिए विभिन्न देशों में सप्लाई किए जाते हैं।


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