खूनी खेल से पहले कासिम ने पत्नीटॉप में बिताई थी रात
ऊधमपुर के पास नरसू-समरोली में खूनी खेल खेलने से पूर्व लश्कर आतंकी नावेद और उसके साथी मोमिन ने रात पर्यटनस्थल पत्नीटॉप में गुजारी। हमले को अंजाम देने के लिए निकलने से पहले उन्होंने नमाज भी अदा की। यह खुलासा खुद नावेद उर्फ कासिम उर्फ उस्मान ने पूछताछ में किया है। नावेद
श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। ऊधमपुर के पास नरसू-समरोली में खूनी खेल खेलने से पूर्व लश्कर आतंकी नावेद और उसके साथी मोमिन ने रात पर्यटनस्थल पत्नीटॉप में गुजारी। हमले को अंजाम देने के लिए निकलने से पहले उन्होंने नमाज भी अदा की। यह खुलासा खुद नावेद उर्फ कासिम उर्फ उस्मान ने पूछताछ में किया है।
नावेद ने अपनी पूछताछ में सेना द्वारा इस साल उत्तरी कश्मीर में घुसपैठ के शून्य के स्तर पर पहुंचने के दावे की पोल खोलने साथ यह भी साबित कर दिया कि लश्कर का मोस्ट वांटेंड आतंकी अबु कासिम अभी भी कश्मीर में चुपचाप अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।
सूत्रों ने बताया कि ऊधमपुर हमले की साजिश कश्मीर में रची है। इसका सूत्रधार जम्मू कश्मीर में लश्कर का मोस्ट वांटेड अबु कासिम ही है।
पूछताछ में नावेद ने खुलासा किया कि उसे व नोमान उर्फ मोमिन को गत मंगलवार को अबु कासिम ने ही कुलगाम से एक ट्रक में बैठाया था। इस ट्रक में फल लदे हुए थे। रात को वह पत्नीटॉप में रुके और सुबह ही समरोली के पास पहुंचे। हमले वाली जगह से करीब 500 मीटर पहले ही ट्रक से उतर गए थे।
नावेद ने बताया कि हाजीपीर के इलाके में आने से करीब डेढ़ माह पहले कुपवाड़ा में लीपा घाटी के रास्ते उसने अपने चार साथियों साथ घुसपैठ का प्रयास किया था। एलओसी भी पार कर ली, लेकिन गाईड नहीं पहुंचा और वह वापस लांचिंग पैड पर चले गए। इसके बाद 15 जुलाई के बाद वह उड़ी के रास्ते घुसपैठ करने में कामयाब रहा। इस बार कासिम भाई ने अपना आदमी और गाईड रिसीव करने के लिए भेजा था।
उसने बताया कि हम चार लोगों ने सरहद पार की और उसके बाद हम बोनियार के ऊपर एक जंगल में रहे। उसके बाद हम बाबा रेशी और टंगमर्ग आए। इसके बाद मेरे दो साथियों को दूसरी जगह भेजा और मुझे व नोमान को बडगाम व पुलवामा से होते हुए कुलगाम में पहुंचाया गया। इस दौरान वह पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में एक गुफा में चार अन्य आतंकियों के साथ रहा। उसने कहा कि हम कासिम भाई के पास भी तीन दिन रहे।
पढ़े लिखे परिवार से है नावेद
नावेद बेशक अजमल कसाब की तरह पागल होने या नाबालिग होने का ढोंग कर रहा है। लेकिन उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि कसाब से पूरी तरह अलग है। वह फैसलाबाद के साथ सटे मुस्तफाबाद के एक खाते-पीते घर का छोटा बेटा है। वह तीन भाई हैं। उसकी एक बहन भी है। नावेद का बढ़ा भाई कॉलेज लेक्चरर है जबकि दूसरा भाई रेडीमेड कपड़ों का कारोबार करता है।