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अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ा तो जानिए भारत का किस तरह प्रभावित होगा निर्यात

ईरान को किये जाने वाले निर्यात में अनाज चाय कॉफी बासमती चावल मसाले और आर्गेनिक केमिकल जैसे उत्पाद शामिल हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 06:24 PM (IST)
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ा तो जानिए भारत का किस तरह प्रभावित होगा निर्यात
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ा तो जानिए भारत का किस तरह प्रभावित होगा निर्यात

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ा तो पहले से ही धीमी चाल चल रहा निर्यात और प्रभावित हो सकता है। निर्यात संगठनों की शीर्ष संस्था फियो का मानना है कि इन दोनों देशों का तनाव फारस की खाड़ी के देशों को होने वाले निर्यात पर असर डालेगा।

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भारत इस क्षेत्र के देशों के साथ द्विपक्षीय कारोबारी रिश्ते काफी अच्छे हैं। साल 2018-29 में भारत से फारस की खाड़ी के देशों को 3.51 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। साथ ही भारत का आयात इस अवधि में 13.52 अरब डॉलर का था। द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन की वजह ईरान से बड़ी मात्रा में होने वाला तेल आयात है।

गड़बड़ा सकती है निर्यात ऑर्डर और शिपमेंट की स्थिति

फियो के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय के मुताबिक अभी तक निर्यातकों की तरफ से ऑर्डर पर पड़ने वाले असर की सूचना नहीं है। लेकिन अभी यह शुरुआत है और अगर यही स्थिति आगे भी बनी रही या तनाव में और वृद्धि हुई तो इन देशों से मिलने वाले निर्यात ऑर्डर और शिपमेंट की स्थिति गड़बड़ा सकती है। ईरान पर लगे कारोबारी प्रतिबंधों के चलते वहां के बंदरगाहों पर केवल भारतीय कंसाइनमेंट ही लिये जा रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह इराक के हवाई अड्डे से बाहर निकलते ईरान के सेना प्रमुख कासिम सोलीमनी को अमेरिकी सेना ने ड्रोन हमले में मार गिराया था। उसके बाद से दोनों देशों में तनाव काफी बढ़ गया है। भारत के कारोबारी रिश्तों में ईरान की अहम भूमिका रही है। ईरान से भारत मुख्यत: तेल और फर्टिलाइजर एंड केमिकल का आयात करता है।

भारत और ईरान के बीच पीटीए पर चल रही बात

जबकि ईरान को किये जाने वाले निर्यात में अनाज, चाय, कॉफी, बासमती चावल, मसाले और आर्गेनिक केमिकल जैसे उत्पाद शामिल हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार बढ़ाने के लिए प्रिफ्रेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (पीटीए) पर बातचीत चल रही है। इसके तहत मुक्त व्यापार समझौते की तरह दोनों पक्ष उत्पादों पर ड्यूटी पूरी तरह से समाप्त नहीं करेंगे। बल्कि कुछ चुनिंदा उत्पाद या वस्तुओं का चयन किया जाएगा जिन पर ड्यूटी में राहत दी जाएगी।

फियो का मानना है कि ईरान को निर्यात में वृद्धि की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। खासतौर पर एग्रीकल्चर, केमिकल, मशीनरी, फार्मास्युटिकल, पेपर एंड पेपर प्रोडक्ट्स, मैनमेड फाइबर और फिलामेंट यार्न के निर्यात को बढ़ाया जा सकता है।


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