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दस साल की नौकरी पर बीमा कर्मियों को पेंशन का हक

विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (एसवीआरएस) 2004 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले बीमा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दस साल की नौकरी पूरी कर एसवीआरएस में सेवानिवृत्ति लेने वाले बीमा कर्मियों को पेंशन पाने का हक है। कोर्ट ने तीन बीमा कंपनियों की याचिकाएं खारिज करते हुए यह

By Edited By: Published: Tue, 14 Jan 2014 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2014 08:19 AM (IST)
दस साल की नौकरी पर बीमा कर्मियों को पेंशन का हक

माला दीक्षित, नई दिल्ली। विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना 2004 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले बीमा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दस साल की नौकरी पूरी कर एसवीआरएस में सेवानिवृत्ति लेने वाले बीमा कर्मियों को पेंशन पाने का हक है। कोर्ट ने तीन बीमा कंपनियों की याचिकाएं खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है।

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न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि इस विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत सेवानिवृत्ति पाने वाले बीमा कर्मचारियों पर जनरल इंश्योरेंस (एम्प्लाई) पेंशन स्कीम 1995 के पैरा 14 में दिया गया नियम लागू होगा। यह नियम कहता है कि जिस कर्मचारी ने सेवानिवृत्ति की तारीख पर निगम या कंपनी में कम से कम दस साल की सेवा पूरी की है, वह पेंशन पाने के योग्य है। पीठ ने कहा कि यह नियम विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना 2004 के मामले में भी लागू होगा।

बीमा कंपनियों की दलील थी कि एसवीआरएस 2004 के तहत सेवानिवृत्ति लेने वालों पर स्कीम 1995 में दिए गए पैरा 30 का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नियम लागू होगा, जो 20 साल की नौकरी पूरी करने पर पेंशन पाने की योग्यता की बात कहता है। उनकी दलील थी कि पैरा 14 सिर्फ सेवानिवृत्ति की बात करता है, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की नहीं।

पीठ ने बीमा कंपनी की दलील खारिज करते हुए कहा है कि पैरा 14 में दिए गए सेवानिवृति शब्द को सीमित अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए। इसका कारण है कि यह प्रावधान पेंशन का लाभ देने के बारे में है। पेंशन एक लाभदायी प्रावधान है। इसकी व्याख्या लाभ देने के लिए लचीले ढंग से की जानी चाहिए, न कि इन्कार के लिए। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना जरूरत से ज्यादा कर्मचारियों की संख्या घटाने के लिए लाई गई थी। अगर उसमें कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति का विकल्प अपनाने के लिए अनुग्रह राशि व पेंशन का प्रलोभन नहीं दिया जाएगा तो कर्मचारी उसे स्वीकार नहीं करेंगे।

केंद्र सरकार ने 2004 में बीमा कर्मचारियों के लिए एसवीआरएस निकाली थी। किरपाल सिंह, शमशेर सिंह पुरी व देवेंदर सिंह ने योजना के तहत साधारण बीमा कंपनियों नेशनल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया एश्योरेंस व यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से सेवानिवृत्ति ले ली। मगर बीमा कंपनियों ने उन्हें पेंशन देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्होंने 20 साल की नौकरी पूरी नहीं की। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति में पेंशन पाने के लिए यह जरूरी है। तीनों याचिकाकर्ता हाई कोर्ट गए। हाई कोर्ट ने तीनों बीमा कंपनियों को पेंशन देने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ कंपनी सुप्रीम कोर्ट आई थी।

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