Move to Jagran APP

इस मंदिर में चढ़ाई जाती हैं चप्पल-सैंडल, जानिए कौन सी मन्‍नत होती है पूरी

गुलबर्गा हैदराबाद से 220 किमी दूर है। यह लकम्मा देवी का मंदिर है, जहां स्थित एक नीम के पेड़ पर भक्त चप्पल या सैंडल चढ़ाते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:20 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:32 PM (IST)
इस मंदिर में चढ़ाई जाती हैं चप्पल-सैंडल, जानिए कौन सी मन्‍नत होती है पूरी
इस मंदिर में चढ़ाई जाती हैं चप्पल-सैंडल, जानिए कौन सी मन्‍नत होती है पूरी

गुलबर्गा, जेएनएन भारत में कई चमत्कारी और अनूठी परंपराओं वाले मंदिर है। कर्नाटक में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भक्त चप्पल और सैंडल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि मां रात में इन्हीं धारण करती हैं। जानिए इसी लकम्मा देवी मंदिर के बारे में -

loksabha election banner

यह मंदिर कर्नाटक के गुलबर्गा में है। गुलबर्गा हैदराबाद से 220 किमी दूर है। यह लकम्मा देवी का मंदिर है, जहां स्थित एक नीम के पेड़ पर भक्त चप्पल या सैंडल चढ़ाते हैं। भक्तों में मान्यता है कि देवी यहां टांगी गई चप्पल को रात मे पहनती हैं और इससे चप्पल चढ़ाने वाले के दुख दर्द दूर हो जाते हैं। खासतौर पर पैरों और घुटनों का दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है। बड़ी संख्या में पैर के दर्द से परेशान भक्त यहां पहुंचते हैं।

लकम्मा देवी मंदिर को लेकर यहां के गांवों में एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। लोगों की मान्यता है कि देवी मां एक बार पहाड़ी पर टहल रही थीं। इस दौरान दुत्तारा गांव के देवता की नजर उन पर पड़ गई। देवता ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। देवी बचने के लिए अपने सिर को जमीन में धंसा लिया। यह मंदिर वहीं बना है और आज भी यहां देवी की पीठ की पूजा होती है।

एक समय यहां बैलों की बलि दी जाती थी, जिस पर अब सरकार ने पाबंदी लगा दी है। लोगों का कहना है कि बैलों की बलि पर पाबंदी के बाद देवी को चप्पल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई थी जो आज भी जारी है।

मुस्लिम अपनी स्वेच्छा से इस मंदिर के पुजारी बनते हैं। इसके पीछे कोई तर्क या कहानी नहीं है। वे सालों से इस परंपरा को निभा रहे हैं। इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू ही नही बल्कि मुसलमान भी पूजा करने आते हैं।

दिवाली के बाद आने वाली पंचमी पर यहां बड़ा मेला लगता है। दूर-दूर से भक्त आते हैं और नीम के पेड़ पर चप्पल टांग कर जाते हैं। इस आयोजन को फुटवियर फेस्टीवल के नाम से भी जाना जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.