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अच्छे रहे 75, स्वर्णिम होंगे अगले 5 : जानिए-अगले पांच साल में '5 जी' के अलावा और क्या बड़ा बदलाव होगा टेलीकॉम में

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एस पी कोचर कहते हैं कि 75 साल में से बीते 25 साल टेलीकॉम सेक्टर के लिए अहम रहा है। इस दौरान टेलीकॉम सेक्टर ने काफी प्रगति की। टेलीकॉम इतना मजबूत है कि सब्सक्राइबर को मुफ्त कॉलिंग मिल रही है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 08:28 AM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 08:48 AM (IST)
अच्छे रहे 75, स्वर्णिम होंगे अगले 5 : जानिए-अगले पांच साल में '5 जी' के अलावा और क्या बड़ा बदलाव होगा टेलीकॉम में
जल्द ही देश में 5जी सेवा शुरू हो जाएगी जिसकी फिलहाल टेस्टिंग की जा रही है।

नई दिल्ली, मनीष कुमार। भारत की आजादी के बाद के 75 सालों में टेलीकॉम क्षेत्र में भारत ने जो मुकाम हासिल किया है उस पर 130 करोड़ देशवासियों को फक्र है। पहले टेलीग्राफ आया और फिर लैंड लाइन। और अब मोबाइल ने तो एक नई दुनिया, वर्चुअल दुनिया बसा दी है, जिसमें हम सब सुबह शाम खोए हुए हैं। यानी 'तार' अब देश, दुनिया और दिलों के तार जोड़ रहा है। वहीं कोरोना के इस दौर में घर वालों और दोस्तों से वीडियो कॉलिंग हो या ऑनलाइन एजुकेशन और वर्क फ्रॉम होम को बेहद आसान बनाना हो, इसमें देश के टेलीकॉम सेक्टर का बेहद बड़ा और बुनियादी योगदान है। तो आइए इस सेक्टर के दिग्गजों सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एसपी कोचर, सीएमएआई के प्रेसिडेंट एन के गोयल और टेलीकॉम वॉचडॉग के फाउंडर अनिल कुमार से जानते हैं कि कब और कैसे-कैसे बेहतर बना भारत का टेलीकॉम सेक्टर। और साथ में जानेंगे आने वाले पांच साल में यह सेक्टर कैसे बढ़ेगा। 

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सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एस पी कोचर कहते हैं कि 75 साल में से बीते 25 साल टेलीकॉम सेक्टर के लिए काफी अहम रहा है। इस दौरान टेलीकॉम सेक्टर ने काफी प्रगति की। टेलीकॉम का स्तंभ इतना मजबूत है कि हर सब्सक्राइबर को मुफ्त कॉलिंग मिल रहा। डाटा दुनिया में सबसे सस्ता है और रह व्यक्ति के हाथ में मोबाइल फोन है जिससे वो अपना व्यवसाय चलाता है। डिजिटल क्रांति जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है उसे टेलीकॉम क्षेत्र ही पूरा कर रहा है।

सीएमएआई के एन के गोयल कहते हैं कि जहां तक टेलीकॉम सेक्टर का सवाल है 75 साल में बहुत तरक्की की है। पहले फोन लेने के लिये सालों इंतजार करना पड़ता है। पहले कॉल नहीं लगती थी अब जल्दी लगती है। इंटरनेट से कई सुविधा बढ़ी है। मेक इन इंडिया से अब मैन्युफैक्चरिंग भी बढ़ी है। पहले आयात करना पड़ता था। अब मोबाइल निर्माण में देश बहुत आगे निकल गया है।

टेलीकॉम वॉचडॉग फाउंडर अनिल कुमार के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर के सामने कई चुनौती हैं। ब्रॉडबैंड स्पीड को सुधारना होगा। टावर लगाने की परमिशन गड्ढा खोदने की परमिशन जल्द देना होगा। स्पेक्ट्रम की कीमत बहुत ज्यादा है। सरकार के पास बहुत सारा फालतू स्पेक्ट्रम पड़ा है। उसका रिजर्व प्राइस कम कर सरकार को ऑपरेटर्स को देना चाहिए। जिससे कम खर्च पर वे सर्विस लॉन्च कर सके। बीएसएनएल – एमटीएनएल का विनिवेश करना चाहिये।

टेलीकॉम में अगले पांच साल में होने वाले 4 बड़े बदलाव

1. 5जी से इंटरनेट स्पीड होगी 10 गुनी तेज

जल्द ही देश में 5जी सेवा शुरू हो जाएगी जिसकी फिलहाल टेस्टिंग की जा रही है। जिसके पूरे देश में लागू होने के बाद मोबाइल टेलीफोनी की दुनिया बदल जाएगी। 4जी इंटरनेट की स्पीड जब इतनी शानदार है तो जरा सोचिए 5जी के बाद इंटरनेट की स्पीड क्या होगी। एक अनुमान के मुताबिक 5जी की स्पीड 4जी से 10 गुना ज्यादा है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल (रिटॉयर्ड) एस पी कोचर के मुताबिक, जब 4जी से 5जी की तरफ जाने के लिये हम अग्रसर है ये अहम समय हैं, अभी तक हम टेलीकॉम को कम्युनिकेशन का जरिया मानते थे लेकिन ये इससे आगे चला जाएगा। इससे व्यवसाय खुद चलेंगे, ऑटोमेशन बढ़ जाएगा। अभी तक जो चीजें बड़े शहरों तक सीमित है गांवों तक पहुंचेगी जिसमें ई-मेडिसीन है, शिक्षा का क्षेत्र, कृषि क्षेत्र को फायदा होगा। 

2. सेटेलाइट इंटरनेट सेवा

वहीं अब बात सेटेलाइट इंटरनेट सेवा की हो रही है और वो दिन दूर नहीं जब देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा भी शुरू हो जाए जिसकी तरफ धीरे ही सही लेकिन टेलीकॉम कंपनियों ने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं।

3. बढ़ेगा डिजिटाइजेशन और टेलीकॉम

5जी सेवा के लॉन्च होने से डिजिटल क्रांति को नया आयाम मिलेगा। वहीं इंटरनेट ऑफ थिंग्स और औद्योगिक आईओटी और रोबोटिक्स की तकनीक भी आगे बढ़ेगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। ई गवर्नेंस का विस्तार होगा।

4. राहत पैकेज संभव

राष्ट्र निर्माण, डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने के साथ ही टेलीकॉम सेक्टर भारी उथलपुथल के दौर से गुजर रहा है। फिलहाल निजी क्षेत्र में 3 टेलीकॉम ऑपरेटर हैं। जिसमें एक वोडाफोन आइडिया वित्तीय सकंट के दौर से गुजर रहा। सरकार की कोशिश है कि देश में हर हाल में तीन निजी मोबाइल ऑपरेटर रहे जिससे टैरिफ महंगा ना हो, क्योंकि ये आशंका जाहिर की जी रही है कि अगर कोई मोबाइल ऑपरेटर वित्तीय संकट के चलते अपनी सेवा देना बंद कर देता है तो देश में दो ही ऑपरेटर बचेंगे जिसके बाद कॉल दरों के साथ डाटा चार्ज महंगा हो सकता है इससे पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया के अभियान को भी झटका लग सकता है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सरकार टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है।

भारत में टेलीकॉम इतिहास-7 दशकों में क्या हुआ

1.1850 में टेलीग्राफ की शुरुआत

ये जानकार आप हैरान हो जायेंगे कि दूरसंचार के क्षेत्र में भारत ने आजादी से कई वर्षों पूर्व 1850 में ही कदम रख दिया था जब टेलीग्राफ की शुरुआत हुई। पहला टेलीग्राफ इलेक्ट्रिक लाइन की शुरुआत कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच 1850 में हुई। 1882 में तबके बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में टेलीफोन एक्सचेंज शुरू किया गया तब शुरुआत में केवल 93 टेलीफोन ग्राहक थे। ब्रिटिश राज के खात्मे से पहले ही देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरों को टेलीफोन लाइन के साथ जोड़ दिया गया था।

2. जब टेलीफोन स्टेट्स सिंबल बना

जब भारत आजाद हुआ तब 1948 में देश में कुल टेलीफोन की संख्या केवल 80,000 के करीब थी। आजादी के बाद भी कई वर्षों तक टेलीफोन ग्राहकों के विस्तार की रफ्तार बेहद सुस्त और धीमी रही। उस जमाने में टेलीफोन को देश में स्टेट्स सिंबल को तौर पर देखा जाता था।

टेलीकॉम वॉचडॉग के फाउंडर और टेलिकॉम लाइव के संपादक अनिल कुमार बताते हैं जब देश आजाद हुआ तक 35 करोड़ की आबादी के लिये केवल 84,000 फिक्स्ड टेलीफोन लाइन की सुविधा थी। सरकार ने आईटीआई बनाया, टेलीफोन बनाने इक्विपमेंट बनाने को कहा। सरकार ने एमटीएनएल बनाया तो दिल्ली में फिक्स्ड टेलीफोन लाइन के लिये 19,000 और मुंबई में 15,000 की वेटिंग चल रही थी।

(फोटो स्रोत-टेलीकॉम विभाग फेसबुक पेज)

3. 1970 और 1980 का दशक

1971 में देश में कुल टेलीफोन की संख्या बढ़कर 9,80,000 ( नौ लाख अस्सी हजार), 1981 में 20,15000 (बीस लाख पंद्रह हजार) थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल (1984 से 89 तक) में दूरसंचार के क्षेत्र में बड़ा काम हुआ। देश में इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किया जाने का कार्य शुरु हुआ जिससे ज्यादा लोगों को टेलीफोन कनेक्शन दिये जा सके। 1985 में अलग से दूरसंचार विभाग बनाया गया। बाद में एमटीएनएल को दिल्ली मुंबई और वीएसएनएल को लंबी दूरी इंटरनेशनल दूरसंचार सेवाओं को चलाने के लिए दूरसंचार विभाग से अलग किया गया।

4. उदारीकरण संग टेलीकॉम ने पकड़ी रफ्तार और फिर आया मोबाइल

1991 में जब देश में आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरु हुआ तब देश में कुल टेलीफोन की संख्या 50,07000 ( पचास लाख सात हजार) थी। उदारीकरण का दौर शुरू हुआ तो टेलीकॉम सेवा के क्षेत्र में निजी कंपनियों को निवेश के लिये आमंत्रित किया गया। लेकिन भारत के दूरसंचार के क्षेत्र में सबसे बड़ा क्रांति तब आया जब 1995 में देश में पहली बार सेल्युलर ( मोबाइल ) फोन सेवा की शुरुआत हुई। 31 जुलाई 1995 को कोलकाता में मोदी टेल्स्ट्रा के जीएसएम नेटवर्क से पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने तबके के दूरसंचार मंत्री सुखराम को दिल्ली कॉल कर देश में पहली बार मोबाइल फोन की शुरुआत की। इसी साल टेलीकॉम क्षेत्र के रेग्युलेटर टेलीकॉम रेग्युलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया( ट्राई) का भी गठन किया गया जो मोबाइल टैरिफ के साथ ही ग्राहकों के हितों की रक्षा करता है और टेलीकॉम क्षेत्र को लेकर सरकार को अपने सुझाव देता है। मोबाइल सेवा देने के लिये देश को अलग अलग राज्यों को मिलाकर कुल 22 सर्किल में बांटा गया।

अनिल कुमार बताते हैं, 1992 से पहले टेलीकॉम सेवा केवल सरकारी कंपनियां देती थी। पी वी नरसिम्हा राव जब प्रधानमंत्री थे तब निजीकरण के साथ मोबाइल सेवा की शुरुआत हुई। प्राइवेट ऑपरेटर्स ने 4 शहर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई से मोबाइल टेलीफोनी सेवा की शुरुआत की। 1995 से निजी टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने सेवा देनी शुरू की। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी उसके बाद तेजी के टेलीकॉम क्षेत्र में काम शुरू हुआ। अटल सरकार के दौरान 2000 में बीएसएनएल का कॉरपोरेटाईजेशन किया गया। हालांकि 2010 तक बीएसएनएल – एमटीएनएल की हवा गुल हो गई थी।

(फोटो स्रोत-टेलीकॉम विभाग फेसबुक पेज)

5. 21वीं सदी की शुरुआत-जब मोबाइल कॉल रेट महंगा था

मोबाइल फोन सेवा की जब शुरुआत हुई तब कॉल दरें काफी महंगी थी। आउटगोइंग के साथ इनकमिंग कॉल के लिये भी तब पैसा चुकाने पड़ते थे। मोबाइल हैंडसेट भी तब बेहद महंगा था। इसलिये शुरुआत में इसका विस्तार बहुत धीमी गति से हुआ। जिनके पास पैसे थे वहीं मोबाइल फोन रख सकते थे। लेकिन समय के साथ ज्यादा कंपनियों को मोबाइल सेवा देने के लिये लाइसेंस मिला तो प्रतिस्पर्धा के चलते कॉल दरें कम होती चली गई। सरकार और रेग्युलेटर ने इनकमिंग कॉल को फ्री कर दिया। आउटगोइंग कॉल बेहद सस्ता हो गया तो बाद में रोमिंग चार्जेज को भी खत्म कर दिया गया। 2004 में मोबाइल फोन ग्राहकों की संख्या फिक्स्ड लाइन टेलीफोन ग्राहकों की संख्या को पार कर गया। 2008 में देश में 3जी मोबाइल सेवा की शुरुआत हुई। 2010 के दशक में 4 जी मोबाइल सेवा लॉन्च हुआ। 2001 में जहां पूरे देश में केवल 50 लाख मोबाइल फोन ग्राहक थे उनकी संख्या बढ़कर अब 1.17 अरब ( एक अरब 17 करोड़) पर जा पहुंची। यानि औसतन देश के हर नागरिक के हाथों में मोबाइल फोन मौजूद है। जिस देश में टेलीफोन कनेक्शन लेने के लिये लोगों को पैरवी करवाना पड़ता था सांसद से लिखवाना पड़ता था, आज उस देश में हर भारत के नागरिक के हाथों में मोबाइल फोन मौजूद है।

मोबाइल ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिये नंबर पोर्टेबिलिटी की भी सुविधा दी गई, मतलब यदि कोई कस्टमर अपने मोबाइल ऑपरेटर की सेवा से नाखुश हैं तो वो अपना नंबर किसी और टेलीकॉम ऑपरेटर के पास पोर्ट कर सकता है। इसमें राहत की बात ये है कि उसका नंबर नहीं बदलेगा। इसका असर ये हुआ कि टेलीकॉम ऑपरेटर बेहतर सेवा देने के लिये बाध्य हुई, इससे कॉल ड्रापिंग की समस्या पर नकेल कसने में मदद मिली।

6. घोटालों का दौर

भारत टेलीकॉम सेक्टर हमेशा से विवादों में भी रहा है। इस सेक्टर में 2007 से घोटाले के आरोप लगते रहे हैं। फिर 2जी घोटाला सामने आया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 122 टेलीकॉम लाइसेंस को रद्द कर दिया था।

7. जियो ने सब कुछ बदल दिया

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस जियो 2016 में टेलीकॉम क्षेत्र में उतरी तो देश में मोबाइल कॉलिंग और डाटा की दरों में भारी कमी आ गई। जियो की आंधी का जो कंपनी मुकाबला नहीं कर सकी उन्हें अपना कारोबार समेटना पड़ा। मौजूदा समय में निजी क्षेत्र में तीन भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो मोबाइल सेवा दे रही हैं। सरकारी क्षेत्र की कपनियां बीएसएनएल-एमटीएनएल कांटे के प्रतिस्पर्धा के चलते वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे। मोबाइल फोन सेवा लॉन्च होने के बाद महज पांच सालों में रिलायंस जियो करीब 44 करोड़ मोबाइल ग्राहकों के साथ देश का सबसे बड़ा टेलीकॉम ऑपरेटर बन चुका है।

अनिल कुमार बताते हैं कि हर 10 साल में टेक्नोलॉजी का विकास होता है, पहले भारत में 2जी 1995 में आया, फिर 2005 में 3 जी आया, और 4जी 2015 में आया। 5 जी पूरी तरह 2025 तक आएगा। अभी 2-3 साल और लगेंगे। वह कहते हैं, 4जी आया तो भारत में डिजिटल क्रांति शुरू हो गया। 2016 में जियो आया तो कॉलिंग मुफ्त हो गया। डाटा 95 फीसदी सस्ता हो गया। दूर-दराज तक ब्रॉडबैंड पहुंच गया। लोग वीडियो कॉल करने लगे, ऑनलाइन शॉपिंग करने लगे। ई-मंडी मिली, बैंक हर जगह खुले। सरकार की सब्सिडी सीधे खाते में आने लगी। हर काम ऑनलाइन हो गया।

(इनपुट-अनुराग मिश्र, विवेक तिवारी और विनीत शरण) 


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