जरूरतमंद मरीजों को डाक्टरों से जोड़ रही ‘टेली-उपचार’, कोविड के दौरान साबित हुआ बहुपयोगी
दिल्ली की चार स्कूली छात्राओं ने जरूरतमंदों को निश्शुल्क आनलाइन चिकित्सीय परामर्श दिलाने के उद्देश्य से करीब दो वर्ष पहले टेली-उपचार (Tele Upchaar) नाम से एक प्लेटफार्म शुरू किया था जो कोरोना महामारी के दौरान बहुपयोगी साबित हुआ।
नई दिल्ली,अंशु सिंह। जब मन में समाज के लिए कुछ करने की इच्छा हो, तो मुश्किलों के बीच रास्ते निकल ही आते हैं। दिल्ली की चार स्कूली छात्राएं इसकी मिसाल हैं। 12वीं की इन स्टूडेंट्स ने जरूरतमंदों को निश्शुल्क आनलाइन चिकित्सीय परामर्श दिलाने के उद्देश्य से करीब दो वर्ष पहले ‘टेली-उपचार’ नाम से एक प्लेटफार्म शुरू किया था, जो कोविड के दौरान बहुपयोगी साबित हुआ। इसके जरिये वे मरीजों को डाक्टर से कनेक्ट करने के अलावा उन तक दवाएं भी पहुंचाती हैं।
लावण्या अक्सर देखा करती थीं कि उनके घर में काम करने वाली सहायिकाओं को कैसे अपनी या परिवार के सदस्यों की चिकित्सा के लिए दर-दर भटकना पड़ता था। बावजूद इसके, उन्हें सही उपचार नहीं मिल पाता था। इसके बाद उन्होंने स्कूल की अपनी तीन अन्य दोस्तों से इस मुद्दे पर बात की कि आखिर ऐसे लोगों के लिए क्या किया जा सकता है? वर्ष 2019 की घटना है, सभी ने टेली-मेडिसिन क्षेत्र को लेकर काफी रिसर्च किया। विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया और आखिरकार अप्रैल महीने में उन्होंने ‘टेली-उपचार’ नाम से एक वेबसाइट लांच कर दी। ये भी चारों ने मिलकर डेवलप किया।
लावण्या बताती हैं, ‘रिसर्च के दौरान हम वृंदावन स्थित रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम अस्पताल एवं मुंबई के टाटा ट्रस्ट द्वारा संचालित टेली-मेडिसिन यूनिट्स पर गए। वहां से टेली-मेडिसिन के आपरेशन के बारे में जानकारी हासिल की। हम कुछ और जिलों में एवं आगरा भी गए। वहीं यह भी पता चला कि कैसे दूर-दराज के गांवों में लोग मीलों पैदल चलकर किसी हेल्थकेयर सेंटर तक पहुंच पाते हैं। लेकिन कई बार डाक्टरों एवं सुविधाओं के अभाव में उनका इलाज नहीं हो पाता है। ऐसे में हमने अपने जान-पहचान के डाक्टरों से संपर्क किया और उन्हें इस अभियान के बारे में बताया। सबने बहुत उत्साहवर्धन किया और हमसे जुड़ने को तैयार हो गए। इस तरह, अपने प्लेटफार्म के जरिये हम दिल्ली के अलावा आसपास के शहरों के मरीजों की मदद कर पाते हैं। वीडियो कांफ्रेंस, जूम काल या वाट्सएप काल से मरीज डाक्टरों से परामर्श लेते हैं।‘
इसी बीच, जब कोविड की दूसरी लहर आई और स्वास्थ्य सेवाओं पर अचानक से दबाव बढ़ गया, तब लावण्या एवं उनकी टीम ने पीड़ितों के लिए प्लाज्मा व आक्सीजन की व्यवस्था करने, दवाइयां पहुंचाने के साथ-साथ घर में क्वारंटाइन मरीजों को डाक्टरों से कनेक्ट कराया। उन्होंने वृद्धाश्रम एवं अनाथालयों में रहने वालों तक की मदद की। बताती हैं लावण्या, ‘विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा हम लोगों को मनोचिकित्सकों एवं योग गुरुओं से भी जोड़ते हैं। क्योंकि यह ऐसा वक्त है, जब हर कोई शारीरिक के साथ मानसिक परेशानियों से जूझ रहा है। उन्हें चिकित्सकों से मदद की जरूरत पड़ सकती है।‘ इतना ही नहीं, इनकी टीम वालंटियर्स एवं अन्य स्वयंसेवी संगठनों की मदद से देश के अन्य शहरों में जरूरतमंदों की सेवा कर रही है। ये समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य पर वेबिनार आदि भी आयोजित करती हैं। कम्युनिटी मीटिंग्स, मेडिकल कैंप एवं फंड रेजर कार्यक्रम भी करती हैं। टीम की सदस्य वृंदा भोला कहती हैं कि समाज के लिए कुछ कर पाने से बहुत खुशी मिलती है। अच्छी बात यह है कि इसमें हमारे पैरेंट्स, स्कूल, टीचर्स एवं दोस्तों का भी पूरा सहयोग मिलता है।