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डेंगू के बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट सख्‍त, कहा- रोक नहीं सकती तो 50 लाख मुआवजा दे सरकार

तेलंगाना हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर सरकार डेंगू को नियंत्रित करने में विफल रहती है तो उसे इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 07:48 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 07:48 AM (IST)
डेंगू के बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट सख्‍त, कहा- रोक नहीं सकती तो 50 लाख मुआवजा दे सरकार
डेंगू के बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट सख्‍त, कहा- रोक नहीं सकती तो 50 लाख मुआवजा दे सरकार

हैदराबाद, आइएएनएस। तेलंगाना हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर सरकार डेंगू को नियंत्रित करने में विफल रहती है तो उसे इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान व जस्टिस ए. अभिषेक रेड्डी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुए। कोर्ट ने समन भेजकर मुख्य सचिव, नगर प्रशासन सचिव, ग्रेटर हैदराबाद महानगर पालिका आयुक्त व बुखार अस्पताल के अधीक्षक को तलब किया था।

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अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि महानगर पालिका के अधिकारियों ने मच्छर के पैदा होने के 427 क्षेत्रों की पहचान की है। इन पर नजर रखी जा रही है और मच्छरों को पैदा न होने देने के उपाय किए जा रहे हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ये उपाय सिर्फ कागजों पर किए जाते हैं। उसने अधिकारियों को हाई कोर्ट के सामने से गुजर रही मुसी नदी के हालात देखने को कहा।

कोर्ट ने कहा कि सूख चुकी नदी में मच्छर पैदा हो कर अदालत में आ रहे हैं। अगर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो लोग अदालत में आना छोड़ देंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आइएएस अधिकारी अखबार भी नहीं पढ़ रहे हैं। अगर वे अखबार पढ़ते तो लोगों की समस्या समझ पाते। अदालत ने सरकार से पूछा कि जनवरी में डेंगू पीडि़तों की संख्या 85 थी तो अक्टूबर में 3,800 कैसे हो गई।

खम्मम जिला अदालत के न्यायाधीश की डेंगू के कारण सोमवार को मौत हो गई थी। पीठ ने इस मामले पर भी संज्ञान लिया। कोर्ट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश दिया और कहा कि मच्छरों से बचाव के लिए युद्ध स्तर पर काम किए जाएं। 


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