सत्ता नहीं बदलाव की लड़ाई
टीम अन्ना की राजनीतिक पहल को सरकार व समाज के बुद्धिजीवी निंदा की नजर देख रहे है। ऐसे में टीम अन्ना ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए कहा कि वह बदलाव के लिए राजनीति करना चाहती है, नाकि सत्ता के लिए। टीम अन्ना ने साफ कह दिया है कि राजनीति में उतरने के बाद भी भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम की मुहिम जारी रहेगी। राजनीति में सीधे तौर प
नई दिल्ली। टीम अन्ना की राजनीतिक पहल को सरकार व समाज के बुद्धिजीवी निंदा की नजर देख रहे है। ऐसे में टीम अन्ना ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए कहा कि वह बदलाव के लिए राजनीति करना चाहती है, नाकि सत्ता के लिए। टीम अन्ना ने साफ कह दिया है कि राजनीति में उतरने के बाद भी भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम की मुहिम जारी रहेगी।
राजनीति में सीधे तौर पर उतरकर अन्ना ने राजनैतिक पार्टियों को उनकी ही शैली में चुनौती देने का फैसला किया है। इंडिया अगेंसट करप्शन की वेबसाइट में अन्ना ने यह सब बातें कहीं है। जनता की आवाज कहलाने वाले अन्ना ने बहरी सरकार को जगाने के लिए यह कदम उठाने पर जोर दिया है। जनता के बीच रहकर ही टीम अन्ना एक विकेंद्रित, लोकतांत्रिक पार्टी बना सकती है, जिस पार्टी में चुने गए लोग भ्रष्टाचार से मुक्त होंगे।
अब टीम अन्ना ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी लड़ाई सिस्टम के खिलाफ थी और रहेगी। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जब जनता की आवाज को एक मुकाम मिले। इसलिए राजनीतिक इसका सबसे बेहतर विकल्प है।
इस बीच, अन्ना की इस घोषणा से बुद्धिजीवियों में हलचल मच गई है। मेधा पाटकर ने इस विषय में कहा कि भ्रष्टाचार के लिए जनता के हित में लड़ना एक अलग बात है, लेकिन चुनावी राजनीति में सीधे तौर पर उतरने के लिए टीम को 100 बार सोचना चाहिए था। क्योंकि कोई आंदोलन जब राजनीतिक रंग पकड़ लेता है तो वह निष्पक्ष नहीं रह जाता है।
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