Teachers Day 2021: शिक्षिका ने बनाया डाटा बैंक ताकि चलती रहे आनलाइन क्लास
जब कोरोना काल में पढ़ाई आनलाइन हो गई तो एक बड़ी समस्या मोबाइल की उपलब्धता और डाटा प्लान रिचार्ज कराने की थी। प्लान खत्म होने की स्थिति में पढ़ाई न रुके इसके लिए जमशेदपुर के कदमा स्थित विद्यालय की विज्ञान शिक्षिका शिप्रा मिश्रा का डाटा बैंक काम आया।
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। कोरोना महामारी में मानव जीवन और उद्योग-व्यापार पर ही प्रभाव नहीं पड़ा, स्कूलों में पढ़ाई भी रुक गई। मस्ती की पाठशाला आनलाइन क्लास में बदल गई। शिक्षक और विद्यार्थी घरों में कैद हो गए। ऐसे शिक्षा की अलख जगाए रखना कठिन काम था, लेकिन अपनी धुन के पक्के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने नवाचार किए, खतरा उठाया और बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी। डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्मतिथि (शिक्षक दिवस) पर हम आपको बता रहे हैं जमशेदपुर की शिक्षिका शिप्रा मिश्रा की अनूठी पहल के बारे में। शिप्रा ने आनलाइन पढ़ाई में डाटा रिचार्ज की दिक्कत को महसूस करते हुए सहयोगी शिक्षिकाओं संग मिलकर एक डाटा बैंक बना डाला। जिससे बच्चे आनलाइन पढ़ाई के लिए अपने मोबाइल का डाटा रिचार्ज करा सकें।
स्वेच्छा से किया योगदान
जब कोरोना काल में पढ़ाई आनलाइन हो गई तो एक बड़ी समस्या मोबाइल की उपलब्धता और डाटा प्लान रिचार्ज कराने की थी। इंटरनेट प्लान खत्म होने की स्थिति में पढ़ाई न रुके, इसके लिए जमशेदपुर के कदमा स्थित टाटा वर्कर्स यूनियन उच्च विद्यालय की विज्ञान शिक्षिका शिप्रा मिश्रा का डाटा बैंक काम आया। इस डाटा बैंक में रिचार्ज के लिए शिक्षिकाएं अपनी स्वेच्छा से राशि जमा करने लगीं। स्कूल में छह शिक्षिकाएं हैैं और एक हजार से लेकर पांच सौ तक का योगदान स्वेच्छा से करती रहीं। इस तरह डाटा बैंक में हर माह तीन से साढ़े तीन हजार रुपये तक जमा हो जाते और आवश्यकतानुसार बच्चों के मोबाइल का रिचार्ज करवाया जाता था। छात्रों का रिचार्ज खत्म होने पर गरीब छात्र शिक्षिका से संपर्क करते थे। अगर डाटा बैंक में राशि नहीं होती थी तो शिप्रा अपने पैसे से बच्चों का मोबाइल रिचार्ज कराती थीं।
पहले भी हुई है सराहना
शिप्रा मिश्रा को कई सराहनीय कार्यों के लिए राज्यस्तरीय शिक्षक पुरस्कार भी मिल चुका है। वह झारखंड शिक्षा परियोजना की ई-कंटेट सेल की सक्रिय सदस्य हैं। शिक्षिका राज्यस्तरीय साइंस कोर कमेटी की भी सदस्य हैं। पाठ्यक्रमों के निर्माण एवं संशोधन में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। उन्होंने कोरोना काल के दौरान कई कार्य किए। शिप्रा मिश्रा ने कोरोना काल में बाल संसद के माध्यम से पहली बार स्कूल की त्रैमासिक पत्रिका का बनवाई तथा इसका लोकार्पण करवाया। सिर्फ यही नहीं, स्कूल की बाल संसद के सदस्यों ने स्कूल की वेबसाइट का निर्माण भी किया।
पैडल सैनिटाइजर स्टैंड बनवाकर पढ़ाया आत्मनिर्भरता का पाठ
इसके अलावा शिप्रा मिश्रा ने स्कूल के बच्चों को पैडल सैनिटाइजर स्टैंड बनाने की प्रेरणा दी। यह कार्य भी बच्चों ने पूरी रुचि से किया। दो दर्जन पैडल सैनिटाइजर के निर्माण के बाद इसे छात्रों ने इनरव्हील क्लब को बेचा। इस तरह छात्रों को अपनी मेहनत का भी फल मिला। शिक्षिका की प्रेरणा से छात्रों की टीम ने शारीरिक दूरी बेल्ट का भी निर्माण किया। बाल संसद की प्रधानमंत्री हेमा घोष बताती है कि शिप्रा मैम से छात्रों का अलग लगाव है। वह हमेशा छात्रों के सुख दुख में साथ खड़ी रहती हैं। अभिभावकों से मिलने घर भी जाती हैं। छात्र खुलकर उनके सामने अपनी समस्या रखते हैं।
शिक्षिका को मिले प्रमुख पुरस्कार
-2019 में झारखंड का राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार
-2019 में नेशनल एकेडमी आफ साइंस, झारखंड चैप्टर विज्ञान शिक्षिका का पुरस्कार