चंद्रबाबू ने दिए राजग के साथ आने के संकेत
जदयू के राजग से नाता तोड़ने होने के बाद मिशन 2014 की लड़ाई में तेदेपा के रूप में भाजपा का एक पुराना साथी पार्टी के साथ खड़ा दिख सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी काल में अपने समर्थन का हवाला देते हुए पार्टी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'देश संकट में है। हम सकारात्मक भूमिका निभाएंगे।' संकेत स्पष्ट है कि इस ब
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जदयू के राजग से नाता तोड़ने होने के बाद मिशन 2014 की लड़ाई में तेदेपा के रूप में भाजपा का एक पुराना साथी पार्टी के साथ खड़ा दिख सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी काल में अपने समर्थन का हवाला देते हुए पार्टी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कहा, 'देश संकट में है। हम सकारात्मक भूमिका निभाएंगे।' संकेत स्पष्ट है कि इस बार वह केंद्र में बड़े गठबंधन का हिस्सा होना चाहते हैं।
दस दिन पहले ही भाजपा एवं राजग के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित हुए नरेंद्र मोदी के लिए यह पहली जीत हो सकती है। कुछ माह पहले मोदी के नाम पर न सिर्फ जदयू ने राजग से नाता तोड़ लिया था बल्कि पार्टी के अंदर कुछ नेताओं की ओर से साथियों को लेकर आशंका जताई जा रही थी। तेदेपा के रूप में ऐसे दल की ओर से सकारात्मक रुख दिखा है जो नौ साल पहले नाता तोड़ चुका है। नायडू ने दो दिन पहले ही भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। औपचारिक रूप से तो यह मुलाकात तेलंगाना और सीमांध्र में पनपे तनाव को लेकर थी, लेकिन कहीं न कहीं राजग को लेकर भी चर्चा हुई। दरअसल, वर्तमान राजनीतिक हालात में नायडू भी अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। जबकि आंध्र प्रदेश में कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति का मजबूत गठजोड़ हो सकता है।
नायडू ने रविवार को पत्रकारों के सवालों पर कहा कि उनकी पार्टी विकास की राजनीति करती है। राज्य में शासन के दौरान जहां प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर खड़ा किया वहीं केंद्र में नेशनल फ्रंट, यूनाइटेड फ्रंट और राजग को समर्थन दे चुकी है। अटल का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि उस समय सड़क से लेकर टेलीकाम तक भारत का विकास हुआ। तेदेपा ने पूरा साथ दिया। नायडू के अनुसार 'फिलहाल हमने केंद्रीय नेताओं से केवल राज्य के मौजूदा हाल पर चर्चा की है। देश संकट से गुजर रहा है। ऐसे में हम केंद्रीय राजनीति में भी सकारात्मक भूमिका निभाएंगे।'
गौरतलब है कि पिछले माह हैदराबाद की रैली में नरेंद्र मोदी ने भी तेदेपा को पार्टी के गैर कांग्रेसी रुख की याद दिलाते हुए उसके खिलाफ संयुक्त लड़ाई का आह्वान किया था। राजग के लिए तेदेपा का रुख नरम हो चुका है। उसका रुख इसलिए भी अहम है क्योंकि वह भी जदयू की तर्ज पर अल्पसंख्यक मतों को लेकर चिंतित था। 2004 में उसने इसी खातिर राजग के साथ जाने से मना किया था। अब उसे राजग से परहेज नहीं है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर