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Tax Simplification की डगर पर देश के करदाता ईमानदारी से Tax चुकाने की ओर होंगे प्रोत्साहित

Tax Simplification सरकार कर व्यवस्था के सरलीकरण की दिशा में कदम बढ़ा रही है ताकि लोगों का कर प्रशासन के प्रति विश्वास पुख्ता हो। इससे कर संग्रह बढ़ाने में मदद मिलेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 03:40 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 03:40 PM (IST)
Tax Simplification की डगर पर देश के करदाता ईमानदारी से Tax चुकाने की ओर होंगे प्रोत्साहित
Tax Simplification की डगर पर देश के करदाता ईमानदारी से Tax चुकाने की ओर होंगे प्रोत्साहित

[डॉ. जयंतीलाल भंडारी]। Tax Simplification : हाल में एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश प्रत्यक्ष कर सुधार (डायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म) की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में कर प्रणाली को पिछले 4-5 वर्षों से लगातार सरल बनाया जा रहा है। करदाताओं के अधिकारों को स्पष्टता से परिभाषित करने वाला करदाता चार्टर भी शीघ्र ही लागू करने की योजना है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में से सिर्फ 1.5 करोड़ लोग ही आयकर देते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में हम यह देखें कि हालिया दौर में प्रत्यक्ष कर सुधार का सिलसिला तेज हुआ है।

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विगत 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आम बजट में प्रत्यक्ष कर सुधार की दिशा में तीन अहम बातें उल्लेखनीय रहीं। एक, प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना। दो, अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए उपभोग खर्च बढ़ाने वाली आयकर की नई व्यवस्था। तीन, करदाताओं के अधिकारों के लिए करदाता चार्टर को लागू करना।

गौरतलब है कि देश में कर सुधार के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत वित्तमंत्री ने बजट में विभिन्न न्यायाधिकरणों में अटके 4,83,000 प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान के लिए योजना की घोषणा की। इसी तारतम्य में उन्होंने प्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान की विवाद से विश्वास योजना को लागू करने हेतु 5 फरवरी को लोकसभा में एक विधेयक भी पेश किया।

फिर अब उसे आकर्षक और व्यापक दायरे वाली योजना बनाने के लिए 12 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। उल्लेखनीय है कि प्रत्यक्ष कर विवादों के मामलों में 30 नवंबर, 2019 तक 9.32 लाख करोड़ रुपये का कर फंसा हुआ है। ऐसे में प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना से आर्थिक सुस्ती से निपटने की डगर पर आगे बढ़ रही देश की अर्थव्यवस्था को जहां एक बड़ी धनराशि उपलब्ध होगी और मुकदमों पर सरकार का खर्च घटेगा, वहीं चूककर्ता करदाताओं को भी बिना किसी भेदभाव के फॉर्मूला आधारित समाधान मिलेगा और उनके कर भुगतान संबंधी तनाव में कमी आएगी।

इस कर समाधान योजना के तहत करदाता अपनी पिछली अतिरिक्त आय का खुलासा कर सकेंगे। नई प्रत्यक्ष कर समाधान योजना के तहत कमिश्नर अपील, आयकर अपील न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय में लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों के साथसाथ मध्यस्थता एवं ऋण वसूली पंचाटों में लंबित मुकदमों तथा कर संशोधन और जब्ती के छोटे मामले भी शामिल किए गए हैं। इनके निपटान में ब्याज, जुर्माने और अभियोजन की छूट की पेशकश की गई है। यह योजना 30 जून, 2020 तक जारी रहेगी।

आगामी 01 अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ देश के इतिहास में पहली बार करदाता चार्टर भी लागू हो जाएगा। ज्ञात हो कि वर्ष 2020- 21 के बजट में आयकर अधिनियम में एक नई धारा 119ए जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। यह धारा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को एक करदाता चार्टर अपनाने एवं घोषित करने के लिए अधिकृत करती है। आयकर अधिनियम में नई धारा जोड़े जाने के बाद सीबीडीटी के पास आयकर अधिकारियों को दिशानिर्देश और आदेश जारी करने की शक्ति मिल जाएगी।

उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में 40 से अधिक देशों में ऐसे करदाता चार्टर बने हुए हैं। भारत को अमूमन घरेलू एवं विदेशी करदाता एक आक्रामक कर नियमन वाले देश के रूप में देखते रहे हैं। ऐसे में इस करदाता चार्टर से कर प्रशासन के प्रति करदाताओं का भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी। यहां पर यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नए करदाता चार्टर को तैयार करते समय कानून-निर्माताओं को करदाताओं के प्रति एक तरह की जवाबदेही दिखानी होगी। करदाता चार्टर में कर विवरण सूचना की निजता, कारोबार संबंधी आंकड़ों की गोपनीयता और औपचारिक समाधान प्रक्रिया से इतर एक शिकायत निपटान प्रणाली को भी शामिल किया जाना उचित होगा।

एक करदाता चार्टर भले ही करदाता को अधिकार दे देगा, लेकिन उसके प्रभावी अमल के लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव तथा कर अधिकारियों के भीतर जवाबदेही की भावना लाने की भी जरूरत है।

नि:संदेह वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल अपने पहले बजट में अप्रत्यक्ष कर विवादों के समाधान हेतु जिस सबका विश्वास योजना को लागू किया था, उसकी बदौलत अप्रत्यक्ष करों से संबंधित करीब 1,89,000 विवादित मामलों का निपटान किया गया है और इससे करीब 35 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिला है। अब यह नई विवाद से विश्वास योजना भी सबका विश्वास योजना की तरह सफलता की पूरी संभावनाएं रखती है। अभी समय है कि चूककर्ता आयकरदाता इसका लाभ उठा सकते हैं। इस क्रम में इस योजना से जो बड़ी धनराशि जमा होगी, उससे अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने में मदद मिल सकती है। हम आशा करें कि कर सरलीकरण की डगर पर आगे बढ़ रहे हमारे देश में तमाम करदाता भी ईमानदारी से कर चुकाने की ओर प्रोत्साहित होंगे।

[अर्थशास्त्री]


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