स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। आम भारतीय को ये बात अकसर सुननी पड़ती है कि हमारे देश में चुनिंदा लोग ही टैक्स चुकाते हैं। दरअसल, यहां बात सिर्फ आयकर की होती है, जिसका आसानी से सामान्यीकरण कर दिया जाता है। जबकि सच्चाई ये है कि सरकार को आयकर की तुलना में तीन गुना से भी अधिक कमाई अप्रत्यक्ष करों से होती है, जो कि सीधा आम जन की जेब से आती है। बीते वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़ों से इसे समझते हैं।

वित्त वर्ष 2021-22 में इनकम टैक्स के रूप में 6 लाख 73 हजार 410 करोड़ रुपए जमा हुए, जबकि जीएसटी के जरिए 14 लाख 83 हजार 292 करोड़, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज से 3 लाख 90 हजार 807 करोड़ और कस्टम के जरिए 1 लाख 99 हजार 114 करोड़। यानी इनकम टैक्स के 6.73 लाख करोड़ की तुलना में अप्रत्यक्ष करों से 20.73 लाख करोड़ रुपए जमा हुए।

एक आम आदमी, जो कि 15 हजार रुपए महीना कमाने वाले से लेकर लाखों रुपए महीना कमाने वाला हो सकता है, जो वेतनभाेगी, कारोबारी या सेवानिवृत्त वृद्ध हो सकता है, वह सरकार को सामान्य परिस्थितियों में किन-किन मदों में कितना टैक्स भरता है? यह जानने के लिए जागरण प्राइम ने देश के अलग-अलग शहरों से छह वास्तविक लोगों (उनकी निजता की सुरक्षा के लिए नाम परिवर्तित कर दिए गए हैं) के खर्चों का ब्योरा लिया।

देश की शीर्ष फिनटेक में शुमार कंपनी बैंकबाजार डॉट कॉम के विशेषज्ञों के माध्यम से उन खर्चों में से विभिन्न प्रकार के टैक्स (आयकर, जीएसटी, एक्साइज, वैट) कंपोनेंट का अध्ययन किया। तकनीकी वजहों की वजह से हमने एसटीटी, हाउस टैक्स आदि को इस अध्ययन ये बाहर रखा। हमने इसमें किसी भी प्रकार के बड़े खर्चों जैसे कि मकान या कार खरीदने को अनदेखा किया।

नतीजे चौंकाने वाले रहे। हमने पाया कि 2.40 लाख रुपए महीना कमाने वाला शख्स अपनी आय का करीब एक चौथाई हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार (केंद्र और राज्य सरकार) के हवाले कर रहा है। 80 हजार रुपए पेंशन पाने वाले बुजुर्गवार साल में अपनी एक माह की कमाई टैक्स के रूप में चुका रहे हैं। 15 हजार रुपए आमदनी वाला युवा भी सालाना करीब 8 हजार रुपए टैक्स भर रहा है।

कैसे बचा सकते हैं टैक्स

हमने विशेषज्ञों से यह भी जानने की कोशिश की कि ये छह लोग अपने टैक्स के बोझ को कैसे कम कर सकते हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट सुधीर हालाखंडी कहते हैं, अगर कोई किराए के मकान में रह रहा है और आयकर भर रहा है तो होम लोन लेकर अपना मकान खरीदना फायदे का सौदा हो सकता है। होम लोन के सालाना दो लाख तक के ब्याज पर आयकर में कटौती मिलती है। जबकि मूलधन पर भी 80सी की लिमिट में कटौती का लाभ लिया जा सकता है।

इसी तरह, अगर कोई कार खरीदने की योजना बना रहा है तो इलेक्ट्रिक व्हीकल ले सकता है। इलेक्ट्रिक व्हीकल के लोन पर भी आयकर में छूट ली जा सकती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी कहते हैं, जीएसटी से बचना बहुत मुश्किल है, लेकिन थोड़ी सी जागरूकता दिखा कर जीएसटी का बोझ कम किया जा सकता है।

इसका उदाहरण देते हुए जोशी कहते हैं, आटा, दाल जैसे खाद्य पदार्थों के 25 किलो से ऊपर के गैर-ब्रांडेड पैकेट को जीएसटी से छूट प्राप्त है। ऐसे में इसकी खरीदारी के जरिए जीएसटी से बचा जा सकता है। इसी तरह, फाइव स्टार फैसिलिटी में खाना खाने की जगह किसी अन्य रेस्टोरेंट में खाने से बिल तो कम आता ही है, साथ ही जीएसटी भी 18% की जगह सिर्फ 5% रह जाता है।

आम धारणा के विपरीत सेवानिवृत्त लोगों को भी विभिन्न मदों में टैक्स भरना पड़ता है। अस्थाना नई टैक्स व्यवस्था के चलते करीब 20 हजार रुपए अतिरिक्त टैक्स बचा सके, फिर भी उन्हें सालभर में करीब 70 हजार रुपए टैक्स भरना पड़ा, जो उनकी एक माह के पेंशन के लगभग बराबर है।

मकरंद आयकर में तकरीबन सभी तरह की कटौतियों का लाभ ले रहे हैं। हालांकि, अगर वो नई कार लेने के इच्छुक हैं तो वह लोन के जरिए ईवी खरीद कर उस पर आयकर में और कटौती ले सकते हैं। फाइव स्टार होटल्स में ईटिंग की आदत छोड़ कर भी वो जीएसटी में बचत कर सकते हैं।

वंदना फिलहाल अपनी कमाई का तीसरा हिस्सा किसी ना किसी टैक्स के रूप में सरकार को दे रही हैं। हालांकि होम लोन लेकर या फिर ईवी के लिए लोन लेकर वे टैक्स का बोझ कुछ कम कर सकती हैं।

सुरेंद्र कुमार ज्यादातर टैक्स डीजल खरीदने पर भरते हैं। डीजल की जगह सीएनजी वाहन या ईवी पर शिफ्ट होकर न सिर्फ वे टैक्स बचा सकते हैं, बल्कि अपनी बिजनेस की इनपुट कॉस्ट भी कम कर सकते हैं।

आतमजीत और वैभव के पास टैक्स बचाने की गुंजाइश न के बराबर है। हालांकि, अगर वे चाहें तो आटा, दाल जैसे खाद्य पदार्थों के 25 किलो से ऊपर के गैर-ब्रांडेड पैकेट को खरीद कर जीएसटी बचा सकते हैं।