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भारत में विश्वास का प्रतीक है टाटा

रतन टाटा भारत में विश्वास का प्रतीक माना जाता है। जिस देश में कभी हर चीज विदेशों से खरीदनी पड़ती थी, वहीं जमशेद जी टाटा ने भारत को मजबूती देने में जो अतुलनीय योगदान दिया उसको भुलाया नहीं जा सकता है। इसके बाद जेआरडी टाटा और फिर रतन टाटा ने उसी चलन को आगे बढ़ाते हुए दुनियाभर में जो प्रतिष्ठा

By Edited By: Published: Fri, 28 Dec 2012 08:13 AM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2012 08:14 AM (IST)
भारत में विश्वास का प्रतीक है टाटा

नई दिल्ली। रतन टाटा भारत में विश्वास का प्रतीक माना जाता है। जिस देश में कभी हर चीज विदेशों से खरीदनी पड़ती थी, वहीं जमशेद जी टाटा ने भारत को मजबूती देने में जो अतुलनीय योगदान दिया उसको भुलाया नहीं जा सकता है। इसके बाद जेआरडी टाटा और फिर रतन टाटा ने उसी चलन को आगे बढ़ाते हुए दुनियाभर में जो प्रतिष्ठा हासिल की उसको भुलाया नहीं जा सकता है। भारत में चलने वाली एयर इंडिया कभी टाटा समूह की ही थी लेकिन भारत को आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से बेहिचक वह भारत सरकार को सौंप दी गई। 28 दिसंबर को रतन टाटा इस समूह के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत हो रहे हैं। उनकी जगह आज सायरस मिस्त्री टाटा समूह की कमान संभाल लेंगे। रतन टाटा के गौरवमयी जीवन एक नजर :-

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रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ। वह भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूह के अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और जेआरडी टाटा और रतन टाटा ने इसको आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाया।

1971 में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (नेल्को) का डाईरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया। उस वक्त यह कंपनी वित्तीय संकटों का सामना कर रही थी। उस वक्त रतन टाटा कंपनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय हाईटेकनीक प्रोडेक्ट में निवेश करने की सलाह दी थी। हालांकि उस वक्त जेआरडी नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, बावजूद इसके उन्होंने रतन टाटा के सुझाव को अमल में लाने का निर्णय किया।

1972 से 1975 तक, अंतत: नेल्को ने अपनी बाजार में हिस्सेदारी दो फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी तक बढ़ा ली और अपना घाटा भी पूरा कर लिया था। लेकिन 1975 में देश को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा, इसकी एक वजह देश में लगाई गई इमरजेंसी भी थी।

1977 में रतन को टाटा नियंत्रित कपड़ा मिल इंप्रेस मिल की कमान सौंपी गई, लेकिन 1986 में इस मिल को बंद कर दिया गया। रतन इस फैसले से बेहद निराश थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में अपने दुख को बयान करते हुए कहा था कि इस मिल को चालू रखने के लिए केवल 50 लाख रुपये की जरुरत थी।

वर्ष 1981 में, रतन टाटा इंडसट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाए गए। 1991 में उन्होंने जेआरडी से गु्रप चेयरमेन का कार्य भार संभाला। उन्होंने सबसे पहले कंपनी में युवा प्रबंधकों को काम का भार सौंपा। रतन टाटा के फैसलों की बदौलत ही टाटा ग्रुप आज भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उद्यम से अधिक बाजार पूँजी रखता है।

रतन के मार्गदर्शन में, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। 1998 में टाटा मोटर्स ने उनके संकल्पित टाटा इंडिका को बाजार में उतारा। 31 जनवरी 2007 को, रतन टाटा की अध्यक्षता में, टाटा संस ने कोरस समूह को सफलतापूर्वक अधिग्रहित किया, जो एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है। इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए। इस विलय के फलस्वरुप दुनिया को पांचवां सबसे बडा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला।

जिस लेंड रोवर और जेगुआर कार को विदेशी मानते थे आज वह भारत में फर्राटा भरती दिखाई देती है। रतन टाटा का सपना था कि 1,00,000 रु की लागत की कार बनायी जाए। नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी, 2008 को इस कार का उदघाटन कर के उन्होंने अपने सपने को पूर्ण किया।

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