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पाकिस्तान से अंतिम समय में आता है 'टारगेट प्लान'

देश में मौजूद इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] के आतंकवादी तो महज प्यादे हैं। उनकी कमान तो पाकिस्तान में बैठे आइएम संस्थापक भटकल बंधुओं के हाथ में है। पुलिस से बचकर भाग रहा तहसीन अख्तर उर्फ मोनू हो या गिरफ्तार हो चुके यासीन भटकल और जिया उर रहमान उर्फ वकास। आइएम का कोई सदस्य खुद की मर्जी से बम विस्फोट के स्थान या समय का फैसला नहीं ले सकता। पाकिस्तान से रियाज भटकल अंतिम समय में उन्हें 'टारगेट प्लान' के विषय में बताता है।

By Edited By: Published: Tue, 25 Mar 2014 06:08 AM (IST)Updated: Tue, 25 Mar 2014 08:13 AM (IST)
पाकिस्तान से अंतिम समय में आता है 'टारगेट प्लान'

नई दिल्ली [जासं]। देश में मौजूद इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] के आतंकवादी तो महज प्यादे हैं। उनकी कमान तो पाकिस्तान में बैठे आइएम संस्थापक भटकल बंधुओं के हाथ में है। पुलिस से बचकर भाग रहा तहसीन अख्तर उर्फ मोनू हो या गिरफ्तार हो चुके यासीन भटकल और जिया उर रहमान उर्फ वकास। आइएम का कोई सदस्य खुद की मर्जी से बम विस्फोट के स्थान या समय का फैसला नहीं ले सकता। पाकिस्तान से रियाज भटकल अंतिम समय में उन्हें 'टारगेट प्लान' के विषय में बताता है। उसके हुक्म के बाद ही आइएम सदस्यों द्वारा बम बनाने से लेकर उसे रखने संबंधी रणनीति तय होती है।

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विशेष पुलिस आयुक्त [स्पेशल सेल] ने बताया कि बेहद शातिर दिमाग रियाज के मंसूबों की जानकारी उसके सहयोगियों को भी नहीं होती। वकास से पूछताछ में सामने आया है कि कराची के एक होटल में हुई पहली मुलाकात के दौरान रियाज भटकल ने अपना असली नाम नहीं बताया था। वह जावेद बनकर उससे मिला था। इतना ही नहीं पाकिस्तानी एयरलाइंस से काठमांडू भेजते समय रियाज ने उसे यह नहीं बताया था कि उसे किससे मिलना है। वकास को बताया गया था कि उसे वहां पर पहुंचने के बाद फोन करना है। वकास के फोन करने पर रियाज ने उसे एक नंबर देकर उस पर बात करने को कहा था। वह फोन नंबर आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू का था जो काठमांडू एयरपोर्ट पर मौजूद था।

एक दूसरे से अनजान थे आतंकी :

स्पेशल सेल अधिकारियों के अनुसार सितंबर 2010 में वकास के साथ ही असदउल्लाह उर्फ हड्डी भी उसी विमान से पाकिस्तान से आया था। लेकिन दोनों को एक दूसरे के बारे में जानकारी नहीं थी। नेपाल में एयरपोर्ट पर उतरने के बाद जब वकास से तहसीन अख्तर मिला तो उसने ही हड्डी से उसकी पहचान कराई। जहां से तीनों बिहार के दरभंगा में मौजूद यासीन भटकल के पास आ गए।

मुंबई विस्फोट भी रियाज के निर्देश पर :

रियाज ने यासीन को मार्च 2011 में मुंबई में ठिकाना तलाशने के निर्देश तो दे दिए लेकिन आगे की रणनीति का खुलासा नहीं किया था। जून में अचानक रियाज ने यासीन को फोन कर सिलसिलेवार धमाके करने के निर्देश दिए। जिसके बाद उन्होंने ओपेरा हाउस और झावेरी बाजार में विस्फोट किया था।

पाक में मिली थी तबाही की ट्रेनिंग :

आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद पाकिस्तान के कबीलाई इलाके वजीरिस्तान में युवकों को भारत में तबाही की ट्रेनिंग दे रहा है। चारों तरफ से ऊंची दीवारों से घिरे मरकज ए अक्सा नामक स्थान पर होने वाली यह ट्रेनिंग किसी सैन्य अकादमी की ट्रेनिंग से कम नहीं। जहां सुबह साढ़े पांच बजे जागने के बाद शाम पांच बजे के बाद ही छुट्टी मिलती है। स्पेशल सेल की पूछताछ में वकास ने प्रशिक्षण देने वाले कुछ कमांडरों के नामों का भी खुलासा किया है। विशेष पुलिस आयुक्त [स्पेशल सेल] एसएन श्रीवास्तव के अनुसार पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा के नौसेरा शिविर में 21 दिन की शुरुआती ट्रेनिंग [दौरा-ए-आम] पूरी करने के बाद वकास ने आगे की ट्रेनिंग मरकज-ए-अक्सा में ली थी। यहां ट्रेनिंग के नियम बड़े सख्त होते हैं। सुबह साढ़े पांच बजे उठाकर शारीरिक व्यायाम कराया जाता है फिर आठ बजे नाश्ता देकर इस्लामी शिक्षा की क्लास में जाना पड़ता था। सुबह दस बजे जेहाद की क्लास लगती थी। दोपहर 12 से 2 बजे तक ब्रेक होता था। फिर तीन घंटे फायरिंग का अभ्यास कराया जाता। इस दौरान पिस्टल व ग्रेनेड से लेकर एके-47 तक चलाना सिखाया जाता है। जो भी युवक घबराहट या डर दिखाता है, उसे तत्काल बाहर कर दिया जाता है। यहां 25 दिन की आतंकी ट्रेनिंग के दौरान कई तरह के कैप्सूल [समग्र] कोर्स कराए जाते हैं। जिसमें बम बनाने की तकनीक, फायरिंग आदि सिखाई जाती है।

पढ़ें : बेहद खतरनाक थे पकड़े गए आईएम आतंकियों के मंसूबे

ट्रेनिंग के अंत में दस दिन का इलेक्ट्रॉनिक एंड सर्किट मेकिंग कोर्स कराया जाता है। जिसमें उन्हें बैटरी, मल्टीमीटर, टाइमर, डेटोनेटर, सर्किट, मदरबोर्ड, घड़ी, ट्रांजिस्टर आदि के इस्तेमाल के बारे में बताया जाता है। वकास ने बताया कि नौसेरा कैंप का कमांडर अबू मंजूर व प्रशिक्षक अबू बकर, अब्दुल्ला, आसान, अजहर और नईम है। इसके अलावा मरकज ए अक्सा कैंप का कमांडर नासिर भाई जबकि प्रशिक्षक तलहा भाई और अहमद है।


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