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तमिलनाडु सरकार ने दिया स्टरलाइट प्लांट को बंद करने का आदेश

तमिलनाडु में पिछले एक सप्ताह से विवाद का कारण रहे वेदांता ग्रुप के स्टरलाइट प्लांट को राज्य सरकार ने बंद करने के आदेश दे दिए हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 05:49 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 08:42 PM (IST)
तमिलनाडु सरकार ने दिया स्टरलाइट प्लांट को बंद करने का आदेश
तमिलनाडु सरकार ने दिया स्टरलाइट प्लांट को बंद करने का आदेश

चेन्नई, प्रेट्र: तमिलनाडु सरकार ने स्टरलाइट प्लांट को बंद करने का आदेश दिया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा गया है कि वेदांता ग्रुप के कॉपर प्लांट को हमेशा के लिए सील कर दे। यह कार्रवाई 1974 के वाटर एक्ट के तहत की गई है। सरकार का कहना है कि अनुच्छेद 48-ए के तहत उसे ऐसा करने का अधिकार है।सीएम के पलानीस्वामी का कहना है कि राज्य के लोगों की भावना का सम्मान करते हुए फैसला लिया गया। खास बात है कि यह फैसला विधानसभा सत्र से एक दिन पहले लिया गया है।

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विपक्ष इस मामले पर सत्र के दौरान हंगामा जरूर करेगा। सरकार के आदेश पर प्रशासन ने प्लांट के गेट पर सील लगा दी। यह प्लांट भारत का दूसरा सबसे बड़ा कॉपर बनाने वाला प्लांट है। इसकी क्षमता सालाना 400000 टन उत्पादन है।गौरतलब है कि तूतीकोरिन में बीती 22 व 23 मई को हुई हिंसा के दौरान पुलिस की गोली से 13 लोग मारे गए थे। पुलिस ने लगभग सौ लोगों को गिरफ्तार करने के साथ विपक्ष के दिग्गज नेताओं स्टालिन, कमल हासन व वाइको को भी नामजद किया था।

हिंसा के बाद सीएम के. पलानीस्वामी ने बीते गुरुवार को चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि प्लांट के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चल रहा था, लेकिन विपक्ष ने इसे ¨हसक रूप दे दिया। सीएम ने कहा कि प्लांट को बंद करने की कार्रवाई जयललिता के कार्यकाल से चल रही है। मामला अदालत में लंबित है। तब उनका कहना था कि उनकी सरकार स्टरलाइट कंपनी को बंद करने के कानूनी रास्ता तलाश रही है। उधर, विपक्ष का आरोप है कि स्टरलाइट कंपनी इसी वजह से चल रही है, क्योंकि इसे केंद्र व राज्य दोनों सरकारों का समर्थन मिल रहा है। उनकी मांग है कि कि पुलिस फायरिंग का आदेश किसने दिया था, इसकी न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए।

पीडि़तों से मिलने गए पन्नीरसेल्वम

उप मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने अस्पताल जाकर घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात की। उनका कहना है कि प्लांट को बंद करने की प्रक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कार्यकाल (2013) से चल रही थी। राज्य सरकार की कार्रवाई पर एनजीटी ने कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया था। सरकार ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि मौजूदा फैसले में कोई कानूनी पेचीदगी आती है तो उसका सामना करेंगे। उधर, अन्नाद्रमुक ने पत्रकारों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले आइटी विंग के पदाधिकारी हरि प्रभाकरन को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

त्वरित सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार

सुप्रीम कोर्ट ने तूतीकोरिन मामले की त्वरित सुनवाई से इन्कार कर दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव व एमएम शांतनागोदार की बेंच ने याचिकाकर्ता पी शिव कुमार से कहा कि वह जुलाई में फिर से अपील करें। गर्मियों के अवकाश के बाद कोर्ट सुनवाई करेगी। शिव कुमार ने यह याचिका प्लांट से निकलने वाले प्रदूषकों को लेकर दायर की थी। इससे पहले अधिवक्ता जी एस मनी ने भी इस मामले में याचिका दाखिल की है। उनकी मांग मामले की सीबीआइ जांच के साथ मृतकों को दिए जाने वाला मुआवजा बढ़ाने पर है।


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