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बंजर जमीन पर हरियाली ला रही ताइवान की रेड लेडी और भारत का भगवा

खेती को लोग घाटे का धंधा मानते हैं, लेकिन नई तकनीक, कम पानी और जैविक खाद के उपयोग से हो रही खेती से धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड का लखियाबाद गांव फलफूल रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 03 Jun 2018 04:20 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 10:04 AM (IST)
बंजर जमीन पर हरियाली ला रही ताइवान की रेड लेडी और भारत का भगवा
बंजर जमीन पर हरियाली ला रही ताइवान की रेड लेडी और भारत का भगवा

धनबाद [बलवंत कुमार]। खेती को लोग घाटे का धंधा मानते हैं, लेकिन नई तकनीक, कम पानी और जैविक खाद के उपयोग से हो रही खेती से धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड का लखियाबाद गांव फलफूल रहा है। यहां 34 एकड़ में हाईटेक खेती हो रही है। ताइवान की रेड लेडी प्रजाति का पपीता और भारत की भगवा प्रजाति के अनार के साथ तरबूज, खरबूजा, कद्दू और सब्जियों के पौधे लहलहा रहे हैं। बड़ी बात ये है कि जिस जमीन पर खेती शुरू हुई है वह बंजर है उस पर पहले कोई फसल नहीं हुई। 

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बंजर जमीन पर वैज्ञानिक खेती 

छह माह पहले पेटसी संस्था के सदस्यों ने किसानों को बंजर जमीन पर वैज्ञानिक खेती के लिए समझाया। गांव के सुबोध गोस्वामी, इंदर गोस्वामी, केशव, माणिक, प्राण, रवि, विवेक आदि किसान तैयार हुए। खेतों की जुताई, बुआई, पानी की उपलब्धता के लिए निवेशकों को तलाशने पर सहमति बनी। किसानों की मदद को संगीता कुमारी, रश्मि सिन्हा, पुष्पा सिन्हा, सुनील कुमार सिंह ने निवेश की हामी भरी। फसल की बिक्री पर निवेशकों का हिस्सा तय होने के साथ काम प्रारंभ हुआ।

वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन पर शुरू हुई खेती

कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर के वैज्ञानिकों ने बंजर जमीन पर मिश्रित खेती की सलाह दी। झारखंड बागवानी विभाग के अधिकारियों ने पौधों की प्रजातियों के बारे में सुझाव दिए। कम पानी में खेती के लिए सौर ऊर्जा से चलनेवाला ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगाया गया। दो माह पहले बंजर जमीन में रेड लेडी पपीता, भगवा अनार, तरबूज, खरबूजा समेत सब्जियां बो दी गईं हैं। इसमें सिर्फ जैविक खाद का प्रयोग हो रहा है। पेटसी संस्था अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने बताया कि हाल में आयोजित मोमेंटम झारखंड में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मिश्रित खेती की प्रस्तुति दी गई थी। इससे यहां ऐसी खेती का आइडिया मिला।

कीटों से फसल के बचाव को लगाया नीला झंडा

फसल को कीटों से बचाने के लिए विशेष प्रणाली का प्रयोग हो रहा है। खेतों के बीच तकनीक से बना नीला प्लास्टिक फ्लैग लगाया गया है। जो कीटों को आकर्षित करता है। जब कोई कीड़ा इस पर बैठता है तो वह चिपक जाता है। संस्था के सुनील कुमार सिंह बताते हैं कि तीन साल तक पपीता और 25 साल तक अनार यहां से मिलेगा। मेड़ों पर पर मौसमी सब्जियों की खेती हो रही है। आठ माह में पेड़ पर पपीते के फल आने लगेंगे। एक पेड़ से 50 किलो तक पपीता मिलेगा। अनार का पेड़ तीन साल बाद फलेगा। एक पेड़ से 15 से 20 किलो फल मिलेंगे। छह साल के बाद सौ किलो तक की उम्मीद है।

लखियाबाद में बंजर जमीन पर लगे पौधे

पपीता - 7500 पौधे

अनार - 4000 पौधे

तरबूज/खरबूजा- 1.5 एकड़

नारियल- 250 पौधे


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