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स्वीडन-भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 में महिला विज्ञानियों का हुआ सम्मान

स्वीडन-भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 के तहत भारत में स्वीडन दूतावास ने दोनों देशों की महिला वैज्ञानिकों और उद्यमियों को सम्मानित करने के लिए एक वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में पांच हजार लोगों ने हिस्सा लिया।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 11:46 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 11:46 AM (IST)
स्वीडन-भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 में महिला विज्ञानियों का हुआ सम्मान
स्वीडन-भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 में महिला विज्ञानी सम्मानित।

नई दिल्ली, पीटीआइ। स्वीडन-भारत नोबेल मेमोरियल सप्ताह 2020 के तहत भारत में स्वीडन दूतावास ने दोनों देशों की महिला वैज्ञानिकों और उद्यमियों को सम्मानित करने के लिए एक वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आयोजकों के अनुसार, ‘शी स्टेम! वीमेन लीडिंग द वे’  नामक कार्यक्रम में सोमवार को लगभग 5,000 लोगों ने हिस्सा लिया। देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रमुख पहल 'अटल इनोवेशन मिशन' के सहयोग से हुए कार्यक्रम में अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्थिरता लाने का प्रयास करने के लिए काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया।

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लिंग समानता के लिए स्वीडिश राजदूत और नारीवादी विदेश नीति के समन्वयक एन बर्नस ने कहा कि इस परिवर्तन को लाने का कारण रूढ़िवादिता, भेदभाव और लैंगिक असमानता से लड़ना है, जो आज भी दुनियाभर की कई लड़कियों के जीवन को प्रभावित करता है। स्वीडन की नारीवादी विदेश नीति एक परिवर्तनकारी एजेंडा चाहती है,  जो कुछ अहम बदलावों और संरचनाओं को प्रभावित करे और विभिन्न क्षेत्रों विशेष रूप से एसटीइएम में महिलाओं की पहुंच और पहचान बढ़ाए।

इसके बाद स्टॉकहोम रेजिलिएशन सेंटर की उप विज्ञान निदेशक, डॉ. बीट्रिस क्रोना द्वारा 'सस्टेनेबिलिटी साइंस टॉक' का आयोजन किया गया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और जलवायु परिवर्तन और लैंगिकता के बीच संबंध पर चर्चा की। बर्नेस ने पर्यावरण अध्ययन और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अधिक महिलाओं के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने एक डेटा का उल्लेख करते हुए यह भी दावा किया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में जलवायु परिवर्तन पर काम करने के लिए अधिक इच्छुक हैं।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं। उन्होंने कहा  शी स्टेम शिखर सम्मेलन का विचार काफी दिलचस्प है क्योंकि लैंगिक विविधता का पूरा क्षेत्र स्थिरता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी योगदान आदि के संदर्भ में बहुत अधिक महत्व रखता है। भविष्य में इस तरह की चर्चा और परिदृश्य में, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। लैंगिक विविधता को  केंद्र में लाना काफी महत्वपूर्ण है।


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