वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने में सरकार के छूटेंगे पसीने
वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने की सरकार की मंशा को पूरा करने में अब महज चार साल और बचे हैं। इसके लिए मौजूदा कृषि विकास दर की रफ्तार को बहुत तेज करना होगा जो ब
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खेती और खेतिहर को संकट से उबार कर खुशहाल बनाने की गंभीर चुनौतियों से पार पाने में नई सरकार को पसीने छूट सकते हैं। कृषि की मुश्किलों को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार के लिए राज्यों को साथ लेकर चलना आसान नहीं होगा। कृषि क्षेत्र में सुधारों को लागू करने का दायित्व ज्यादातर राज्यों में लंबे समय से लंबित पड़ा हुआ है। कृषि क्षेत्र का बुनियादी ढांचा चरमरा चुका है, जिसे मजबूत बनाने में भी भारी निवेश की जरूरत होगी।
नये कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास ग्रामीण विकास मंत्रालय भी है, जिसका उपयोग कृषि क्षेत्र के ढांचे सुदृढ़ करने में सहूलियत होगी। वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने की सरकार की मंशा को पूरा करने में अब महज चार साल और बचे हैं। इसके लिए मौजूदा कृषि विकास दर की रफ्तार को बहुत तेज करना होगा, जो बहुत धीमी है। सरकार की पीएम किसान निधि योजना से लघु व सीमांत किसानों को जरूर फायदा होने की उम्मीद है।
केंद्र की राजग सरकार ने अपनी पहली पारी में कृषि क्षेत्र के बिगड़े स्वरुप को ठीक करने की बहुत हद तक कोशिश की है। मिट्टी की सेहत में सुधार, फर्टिलाइजर, गुणवत्तायुक्त बीज और कीटनाशकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर ली गई है। सिंचाई जैसी अहम जरूरत को पूरा करने में सरकार ने कई योजनाएं शुरु की हैं, जिनमें लंबित पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को चालू कराया गया। इसके अलावा सिंचाई में आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए माइक्रो सिंचाई का प्रसार किया गया है।
कृषि मंत्री तोमर ने कामकाज संभालने के साथ ही भरोसा जताया कि कृषि क्षेत्र के विकास में राज्यों के साथ कंधा मिलाकर चलना होगा। दरअसल, लगभग एक दर्जन ऐसे कानून हैं, जो कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के बजाय उसकी राह का रोड़ा बने हुए हैं। केंद्र सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए इन कानूनों को संशोधित कर मॉडल कानून बनाकर राज्यों को लागू करने के लिए भेजा है। लेकिन इसमें कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है।
कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने की जगह उपज की गुणवत्ता के साथ उसकी उचित कीमत दिलाने की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ खुले बाजार में कीमतों में सुधार होने की आवश्यकता है। कृषि उत्पादों के निर्यात की दिशा में कारगर पहल करना होगा, जिसमें बागवानी, डेयरी, पोल्ट्री और मत्स्य उत्पादों के निर्यात पर जोर देना होगा।
कृषि से जुड़े अन्य उद्यम पर विशेष जोर देने की जरूर होगी। इसी उद्देश्य से मत्स्य और पशुधन व डेयरी को अलग मंत्रालय बना दिया गया है। इसके लिए अलग कैबिनेट व राज्य मंत्री भी नियुक्त कर दिये गये हैं। लेकिन कृषि को संकट से उबारने के लिए कृषि और उससे जुड़े सभी क्षेत्रों के बीच समन्वय की सख्त जरूरत होगी।
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