स्वराज-टिलरसन के बीच तीन चुभते मुद्दों पर हुई बात
पहला मुद्दा रहा उत्तर कोरिया के साथ भारत के संबंधों का। टिलरसन की तरफ से मांग रखी गई कि भारत न सिर्फ उत्तर कोरिया के साथ कारोबारी रिश्ते को खत्म करे बल्कि वहां अपने दूतावास को भी बंद करे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिका के विदेश सचिव रेक्स टिलरसन के बीच बातचीत में तीन ऐसे मुद्दे उठे जो दोनों देशों के बीच सुधर रहे रिश्ते में चुभ रहे हैं। लेकिन दोनो विदेश मंत्रियों ने बेहद परिपक्वता से एक दूसरे की बातों को सुना और अपना मत एक दूसरे पर थोपने की कोशिश नहीं की। एक दूसरे के तर्कों को स्वीकारा भी गया।
पहला मुद्दा रहा उत्तर कोरिया के साथ भारत के संबंधों का। टिलरसन की तरफ से मांग रखी गई कि भारत न सिर्फ उत्तर कोरिया के साथ कारोबारी रिश्ते को खत्म करे बल्कि वहां अपने दूतावास को भी बंद करे। इसका जवाब देते हुए स्वराज ने कहा कि, भारत व उत्तर कोरिया के बीच कारोबार का स्तर बहुत ही नगण्य (तकरीबन 9 करोड़ डालर) है। जहां तक दूतावास की बात है तो उसका आकार बेहद छोटा है। साथ ही कठिन समय में भी अमेरिका को अपने कुछ मित्र राष्ट्र का दूतावास वहां रखना चाहिए ताकि बाद में सूचना देने या बातचीत के लिए एक खिड़की उपलब्ध हो।
#USA asked #India to close embassy in #NorthKorea, India declines saying we need a window to talk in future. https://t.co/Fq6mHVVMZB— J P Ranjan (@jpranjan1974) October 25, 2017
भारत के इस तर्क को अमेरिकी विदेश मंत्री ने स्वीकार किया है। सनद रहे कि अमेरिका लगातार यह कोशिश कर रहा है कि उत्तर कोरिया को अलग थलग किया जाए। वैसे भारत ने हाल के दिनों मेंं उत्तर कोरिया से आने वाले अधिकांश उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। अभी सिर्फ दवाइयों और कुछ जरुरी मानवीय चीजों का कारोबार ही किया जा सकता है।
इसी तरह से टिलरसन ने भारत और इरान के रिश्तों का मुद्दा उठाया। भारत पहले ही इरान से तेल खरीद में कटौती कर चुका है। अभी भारत वहां चाबहार पोर्ट बना रहा है जिसके बारे में भारत ने बताया कि यह पोर्ट अफगानिस्तान के विकास के लिए अहम होगा। टिलरसन ने बाद में कहा भी कि, अगर कोई देश इरान के साथ वाजिब कारोबार कर रहा है तो उसे कोई ऐतराज नहीं है। हम इरान की जनता के खिलाफ नहीं है और हमारा मकसद यूरोप, इरान या कोई अन्य देशों के वैध कारोबार पर रोक लगाना नहीं है। इस बयान के बाद चाबहार पोर्ट के अधर में फंसने को लेकर जो कयास लगाये जा रहे थे उस पर विराम लग जाएगा। हाल ही में इरान को लेकर अमेरिका ने अपने तेवर बेहद सख्त कर लिये हैं।
तीसरा चुभने वाला मुद्दा एच-1बी रहा है। भारतीय विदेश मंत्री ने ही इसे उठाया। भारत की तरफ से बताया गया कि किस तरह से एच-1बी वीजा हासिल कर अमेरिका में काम करने वाले प्रोफेशनल भारत व अमेरिका के रिश्तों को प्रगाढ़ कर रहे हैैं। अगर इनके हितों पर असर डाला जाता है तो यह द्विपक्षीय रिश्तों के मौजूदा गर्माहट के मुताबिक नहीं होगा। अमेरिका की तरफ से संभवत: कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। क्योंकि मामला अमेरिकी संसद में फंसा है।