महज 30 सेकंड में जख्म से खून बहना रोक देगा स्वदेशी पाउडर, जल्द मार्केट में होगा उपलब्ध
स्वदेशी पाउडर विकसित हुआ है जो जख्म वाले स्थान पर डालते ही 30 सेकंड के अंदर यह खून का बहना रोक देगा।
दुर्गापुर [हृदयानंद गिरि]। जी हां, इस तरह के पाउडर विदेश में चलन में आ चुके हैं, लेकिन भारतीय युवा वैज्ञानिक ने सस्ता और कारगर स्वदेशी पाउडर विकसित कर दिखाया है। जख्म वाले स्थान पर डालते ही 30 सेकंड के अंदर यह खून का बहना रोक देगा। एनआइटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) राउरकेला में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग से एमटेक साबिर हुसैन की इस युक्ति रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मान्यता दी है।
लोगों की जान बचाने के लिए लिया प्रण
बंगाल के पूर्वी बर्धमान जिले के खंडघोष के रहने वाले मुबारक हुसैन के पुत्र साबिर के इस शोध को हाल ही डीआरडीओ के डेयर टू ड्रीम इनोवेशन कॉन्टेस्ट में प्रथम पुरस्कार मिला। साबिर कहते हैं, दुर्घटना में अक्सर लोगों की अधिक खून निकलने से मौत होने की बात बचपन से ही सुनता था। तभी प्रण किया कि बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर कुछ बड़ा काम करूंगा, ताकि लोगों की जान बच सके। यह स्टॉप ब्लीड पाउडर मौत से जंग कर रहे जख्मी लोगों के लिए संजीवनी का काम करेगा। साबिर का स्टार्टअप अब इसका पेटेंट कराने की तैयारी कर रहा है।
किफायती और कारगर पाउडर बनाने के लिए किया शोध
साबिर ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने इस तरह का किफायती और कारगर पाउडर बनाने के लिए शोध शुरू कर दिया था। 2017 में उन्होंने एमटेक किया। उसके बाद एक अच्छी कंपनी में सहायक इंजीनियर की नौकरी मिली, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। 2018 में साबिर ने दवा बनाने व शोध के लिए स्टार्टअप मिराकल्स मेड सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड शुरू किया। इसमें 20 लाख की लागत से लैब बनाई। पढ़ाई के दौरान रक्तस्त्राव रोकने के लिए जिस दवा की खोज शुरू की, वह यहां पूरी हो गई। तीन वर्ष के प्रयास में पाउडर का एकदम नया फॉर्मूला ईजाद कर लिया।
तीन वर्ष किया गहन शोध
साबिर का कहना है कि पाउडर पर तीन वर्ष तक गहन शोध किया। घाव पर रक्त का थक्का कैसे बनता है, किस रसायन की क्या भूमिका है, इसमें फाइब्रिनोजन, थ्राम्बोप्लास्टिन और ब्लड प्लेटलेट्स कैसे काम करते हैं। इन बिंदुओं पर अध्ययन कर इसका निर्माण किया। जानवरों पर किया गया प्रयोग बेहद उत्साहवर्धक रहा। यह पाउडर रक्त का थक्का जमाने वाले अवयवों को अत्यधिक तेजी से सक्रिय करता है। प्रो. डॉ. देवेंद्र वर्मा के मार्गदर्शन में अंतत: सफलता मिल गई। अब कुछ और तकनीकी बिंदुओं पर काम कर रहे हैं। यह पाउडर बाजार में उपलब्ध रक्तका थक्का बनाने वाली दवाओं से पांच गुना कम कीमत का होगा।
जीता प्रथम पुरस्कार
डीआरडीओ की ओर से भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की याद में किए जाने वाले डेयर टू ड्रीम इनोवेशन कॉन्टेस्ट में साबिर के इस शोध ने प्रथम पुरस्कार जीता। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ चेयरमैन डॉ. जीएस रेड्डी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में साबिर को 15 अक्टूबर को पुरस्कार दिया। डोभाल ने भी इसकी सराहना की।
250 से 300 रुपये आएगी कीमत
साबिर ने जो पाउडर तैयार किया, उसके तीन ग्राम की कीमत 250-300 रुपये के बीच आएगी। बकौल साबिर वह जल्द ही इसका व्यवसायिक उत्पादन शुरू कर देंगे। अपने प्रयोग के सफल होने और उसे मान्यता मिलने से साबिर बहुत खुश और उत्साहित हैं।
शोधार्थी ने कहा
जल्द ही इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर देंगे। कीमत 250 रुपये तक और इससे भी कम लाने की है। यह भी कोशिश होगी कि इसे घर-घर तक पहुंचाया जाए। वाहन चालक भी अपात स्थिति के लिए इसे साथ लेकर चलें।
साबिर हुसैन, शोधार्थी व मिराकल्स मेड सॉल्यूशन स्टार्टअप के संस्थापक
प्रोफेसर ने कहा
साबिर ने स्टॉप ब्लीड पाउडर बनाने में पूरी लगन से प्रयास किया। इस कारण उन्हें सफलता मिली। डीआरडीओ की प्रतियोगिता में शोध ने पहला स्थान पाया। इतनी खुशी है कि शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
डॉ देवेंद्र वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, एनआइटी राउरकेला