एक बार फिर इंदौर ने पेश की मिसाल, लोगों ने की सफाईकर्मियों की ड्यूटी
इंदौर वासियों ने एक दिन के लिए अपने शहर को स्वच्छ रखने का जिम्मा खुद उठाया और झाड़ू थामकर सड़कों पर उतर आएं।
इंदौर (अमित जलधारी)। देश के ‘सबसे स्वच्छ शहर’ इंदौर की सफाई का जिम्मा जिन 6500 सफाईकर्मियों के भरोसे है, वे गोगानवमी के अवसर पर एक दिन का अवकाश चाहते थे। अपने इन समर्पित ‘सफाई मित्रों’ को इंदौरवासियों ने निराश नहीं होने दिया और एक दिन के लिए शहर की सफाई का जिम्मा खुद उठाने का फैसला किया।
खुशी-खुशी निभाया दायित्व
हुआ यह था कि वाल्मीकि समाज के सबसे बड़े पर्व गोगानवमी के मौके पर इंदौर शहर के हजारों सफाईकर्मी अवकाश मनाना चाहते थे। पर समस्या यह थी कि उस दिन शहर को साफ कौन रखेगा। इंदौर निगमायुक्त आशीष सिंह ने शहरवासियों से अपील की और एक दिन के सफाई अभियान से जुड़ने का आग्रह किया। इंदौरवासियों ने आश्वस्त किया कि वे यह काम सहर्ष करेंगे। सफाईकर्मियों को छुट्टी मिल गई।
हर हाथ में थी झाड़
उस दिन सुबह होते ही पूरा शहर झाड़ू थामकर सड़कों पर उतर आया। आम लोग, युवा, महिला-पुरुष, बुर्जुग और बच्चों के अलावा, व्यवसायी, कामकाजी लोग, कंपनियों-विभागों आदि के अधिकारी-कर्मचारी और तमाम सामाजिक संगठनों के लोगों ने साथ मिलकर शहर की स्वच्छता को जरा भी बाधित नहीं होने दिया। लोगों ने अपनी गलियों में सफाईकर्मियों की तरह ही सफाई की। शहर की तमाम सड़कों, चौराहों पर झाड़ू लगाकर शहर को हर रोज की तरह चमका दिया। यही नहीं, एक रात पहले जिस सड़क से गोगानवमीं का जुलूस निकला था, उसको भी बुहार दिया।
वाह! इंदौर
सुबह लगभग तीन घंटे तक चले इस अभियान ने न सिर्फ सफाईकर्मियों के प्रति शहरवासियों की कृतज्ञता को प्रकट किया बल्कि उनके प्रति समता व सम्मान का प्रभावी संदेश दुनिया को दिया। आम लोगों को अहसास हुआ कि स्वच्छता वाकई सेवा है। सफाईकर्मी शहर को स्वच्छ बनाए रखने के लिए जो अहम योगदान देते हैं, वह सेवाभाव के बिना संभव नहीं। स्वच्छता के प्रहरी इन सफाईकर्मियों के सतत समर्पित सेवाभाव के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट कर इंदौरवासियों ने प्रशंसनीय पहल कर दिखाई।
इंदौरवासी डॉ. पुनीत द्विवेदी ने कहा कि महज तीन घंटे झाड़ चलाई तो आभास हुआ कि सफाईकर्मी रोजाना कितना परिश्रम करते हैं। उस दिन सफाई करने के बाद दो-तीन दिनों तक हाथ-पैर दुखते रहे। हम लोगों के मन में सफाईकर्मियों के प्रति बर्ताव और दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है और उनके प्रति सम्मान बढ़ा है। इंदौर में रहने वाले सनप्रीत सिंह का कहना है कि एक दिन में ही समझ आ गया कि 365 दिन सफाईकर्मी रोजाना कितनी मेहनत करते हैं और हमारा शहर साफ रखते हैं। हम वाकई इन सफाईकर्मियों के ऋणी हैं।
बेहतर झाड़ू लगाने की भी ट्रेनिंग होती है यहां
इंदौर नगर निगम समय-समय पर अपने सफाईकर्मियों को सफाई के आसान तौर-तरीके बताने के लिए ट्रेनिंग भी देता है। इसमें उन्हें बताया जाता है कि झाड़ू कैसे पकड़ना है और सफाई कैसे करनी है। कहां-कितने प्रेशर से झाड़ू लगाना चाहिए और एक बार में कितनी चौड़ाई में सफाई करना चाहिए। इससे अनावश्यक मेहनत बचती है और सफाईकर्मी ज्यादा युक्तिसंगत विधि से झाड़ू लगाते हैं। हर सफाईकर्मी को औसतन 500 से 800 मीटर लंबा हिस्सा साफ करने को दिया जाता है।
महज तीन घंटे झाड़ू चलाई तो आभास हुआ कि सफाईकर्मी रोजाना कितना परिश्रम करते हैं। उस दिन सफाई करने के बाद दो-तीन दिनों तक हाथ-पैर दुखते रहे। हम लोगों के मन में सफाईकर्मियों के प्रति बर्ताव और दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है और उनके प्रति सम्मान बढ़ा है।
-डॉ. पुनीत द्विवेदी, इंदौरवासी
एक दिन में ही समझ आ गया कि 365 दिन सफाईकर्मी रोजाना कितनी मेहनत करते हैं और हमारा शहर साफ रखते हैं। हम वाकई इन सफाईकर्मियों
के ऋणी हैं।
- सनप्रीत सिंह, इंदौरवासी
मुझे और मेरे बैंक स्टाफ को अहसास हुआ कि गंदगी फैलाना तो आसान है, लेकिन उसे साफ करने में कितनी मेहनत लगती है। हम लोगों ने जब खुद झाड़ू उठाकर सफाई की तो सफाईकर्मियों की भूमिका समझ आई।
-सुनील न्याती, बैंकर
मैंने भी रिंग रोड के आसपास सफाई की। पहले कुछ लोग आए लेकिन बाद में संख्या बढ़ती गई। यह काम कठिन है और समर्पण मांगता है। मैं शहर के सभी सफाईकर्मियों को सलाम करता हूं।
-एनएस चंदेल, इंदौरवासी