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सुषमा ने नार्वे में भारतीय दंपती से बच्चा लेने की मांगी रिपोर्ट

बताया जाता है कि 13 दिसंबर को बाल कल्याण विभाग पांच वर्षीय आर्यन को माता-पिता को बताए बिना किंडरगार्टन स्कूल से ले गया। उसे ओस्लो से 150 किलोमीटर दूर बाल कल्याण गृह में रखा गया है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 22 Dec 2016 06:26 PM (IST)Updated: Thu, 22 Dec 2016 07:04 PM (IST)
सुषमा ने नार्वे में भारतीय दंपती से बच्चा लेने की मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नार्वे स्थित भारतीय राजदूत से भारतीय दंपती से उनके पांच वर्षीय बच्चे को छीन लेने के मामले में रिपोर्ट मांगी है। भारतीय दंपती का आरोप है कि नार्वे के अधिकारियों ने दु‌र्व्यवहार की मामूली शिकायत पर उनके बच्चे को उनसे अलग कर दिया।

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स्वराज ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'मैंने नार्वे में भारतीय राजदूत को इस मामले में रिपोर्ट भेजने को कहा है।' भाजपा नेता विजय जौली ने इस संबंध में विदेश मंत्री और नार्वे में भारतीय राजदूत को पत्र लिखा था। दंपती ने बच्चे की कस्टडी वापस दिलाने में उनसे मदद मांगी थी।

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इस बीच विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि ओस्लो में हमारे दूतावास के अधिकारियों ने बच्चे के पिता अनिल कुमार शर्मा से संपर्क किया है और उन्हें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है। इस संबंध में नई दिल्ली स्थित नार्वे दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि हमने नार्वे में संबंधित अधिकारियों से विस्तृत सूचना मांगी है।

क्या है मामला

बताया जाता है कि 13 दिसंबर को बाल कल्याण विभाग पांच वर्षीय आर्यन को माता-पिता को बताए बिना किंडरगार्टन स्कूल से ले गया। उसे ओस्लो से 150 किलोमीटर दूर बाल कल्याण गृह में रखा गया है। बच्चे के साथ मारपीट के आरोप में मां गुरविंदरजीच कौर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। बच्चे के पिता ने दु‌र्व्यवहार के आरोप को खारिज किया है।

पहले भी हुए ऐसे मामले

नार्वे में भारतीय बच्चों के साथ पहले भी ऐसे मामले हुए हैं। 2011 में तीन साल और एक साल के बच्चों को माता-पिता से अलग कर दिया गया था। तत्कालीन संप्रग सरकार ने नार्वे के साथ इस मामले को उठाया था। बाद में नार्वे के कोर्ट ने बच्चों को माता-पिता को सौंप दिया था। इसी तरह 2012 में सात साल और दो साल के बच्चों के साथ दु‌र्व्यवहार के आरोप में भारतीय दंपती को जेल जाना पड़ा था। बाद में बच्चों को उनके दादा-दादी के पास हैदराबाद भेज दिया गया था।

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